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सोमवार, 24 सितंबर 2018

ईश्वर सब कुछ बारीकी से देखता है !




पूजा मन की पवित्रता है, आडम्बर नहीं । ईश्वर भेदभाव नहीं करता, सच तो यही है कि वह फुटपाथ पर सोता है । वह कब किसकी झोली में आशीष बन आ जाए, कोई नहीं समझ सकता ।
आपके आगे कोई अजनबी भी आ जाए, हाथ बढ़ा दे तो उसे प्रसाद न देकर, आप किसी अपने को दें, तो वह पूजा व्यर्थ है । दुआएँ तभी फलती हैं, जब आपका मन, आपकी दृष्टि में भेदभाव ना हो । ईश्वर सब कुछ बारीकी से देखता है !

7 टिप्पणियाँ:

Anita ने कहा…

वाकई ईश्वर की नजर से कुछ भी नहीं छुपता..विचारणीय भूमिका के साथ सुंदर बुलेटिन..आभार !

अरुण चन्द्र रॉय ने कहा…

बढ़िया रचनाओं का संकलन। मुझे स्थान देने के लिए शुक्रिया। मुकेश सिन्हा की कविता अत्यंत उल्लेखनीय।

Meena Bhardwaj ने कहा…

बहुत सुंदर संकलन ।

कविता रावत ने कहा…

बहुत अच्छी बुलेटिन प्रस्तुति

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

ईश्वर सब कुछ बारीकी से देखता है ! इसीलिए शायद उसकी लाठी में भी आवाज नहीं होती !

शिवम् मिश्रा ने कहा…

सच में ईश्वर सब कुछ बारीकी से देखता है !

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

बहुत सुन्दर बुलेटिन।

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