प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |
प्रणाम |
एक बार एक शिकारी अपने नौकर के साथ शिकार पर गया। वहाँ उन्होंने पानी में एक जंगली बगुला देखा।
नौकर एक दम से चिल्लाया, "मारिये साहब, वो एक टाँग वाला बगुला है, उड़ नहीं पायेगा।"
शिकारी ने मुस्कुराते हुए हुश किया और बगुले ने अपनी दूसरी टाँग निकाली और उड़ने लगा। शिकारी ने तुरंत उसे गोली मार दी।
जब नौकर ने शाम को बगुले को पकाया तो उसका मन हुआ कि उसका स्वाद चख लिया जाये। उसे इतना स्वादिष्ट लगा कि वो पूरी टाँग खा गया।
खाने के वक़्त शिकारी ने देखा कि बगुले की एक टाँग गायब है। लेकिन खाने के समय मूड ना बिगड़े इसलिए शिकारी ने चुप-चाप खाना खा लिया। खाना खत्म करने के बाद शिकारी ने अपने नौकर से पूछा कि तुमने जो बगुला पकाया था, उसकी एक टाँग गायब थी।
नौकर ने झट से उत्तर दिया, "नहीं साहब, अगर आप सुबह की तरह हुश करते तो वो अपनी दूसरी टाँग भी निकाल लेता!"
नौकर एक दम से चिल्लाया, "मारिये साहब, वो एक टाँग वाला बगुला है, उड़ नहीं पायेगा।"
शिकारी ने मुस्कुराते हुए हुश किया और बगुले ने अपनी दूसरी टाँग निकाली और उड़ने लगा। शिकारी ने तुरंत उसे गोली मार दी।
जब नौकर ने शाम को बगुले को पकाया तो उसका मन हुआ कि उसका स्वाद चख लिया जाये। उसे इतना स्वादिष्ट लगा कि वो पूरी टाँग खा गया।
खाने के वक़्त शिकारी ने देखा कि बगुले की एक टाँग गायब है। लेकिन खाने के समय मूड ना बिगड़े इसलिए शिकारी ने चुप-चाप खाना खा लिया। खाना खत्म करने के बाद शिकारी ने अपने नौकर से पूछा कि तुमने जो बगुला पकाया था, उसकी एक टाँग गायब थी।
नौकर ने झट से उत्तर दिया, "नहीं साहब, अगर आप सुबह की तरह हुश करते तो वो अपनी दूसरी टाँग भी निकाल लेता!"
सादर आपका
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सबका साथ सबका विकास
ये कैसा शहर है..💐
आँख खुली रखना जागना नहीं है, जागरुक होना जागना है.
हरे जिल्द वाली किताब
इमेज को आइकॉन में कन्वर्ट करें इन 5 तरीकों से
रचना प्रक्रिया और विचारधारा
उसने कहा था.....पण्डित चन्द्रधर शर्मा गुलेरी
हिन्दी दिवस और हिन्दी
बह जाते हैं नीर
इन्द्राक्षी दास की कविताएँ
भारतीय वायु सेना के मार्शल अर्जन सिंह जी की प्रथम पुण्यतिथि
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अब आज्ञा दीजिए ...
जय हिन्द !!!
8 टिप्पणियाँ:
बढ़िया कहानी। बहुत जगह हुश नहीं कर पाते हैं हम बहुत कुछ गायब हो जाता है :) बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
रोचक कथा और सार्थक लिंक्स आज के बुलेटिन में ! मेरे आलेख को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार शिवम् जी !
शु प्रभात...
हुश...
बढ़िया
आभार
सादर
सभी लिंक एक से बढकर एक, मेरी पोस्ट को यहाँ स्थान देने के लिए धन्यवाद।
अपना अंतर्जाल
सुंदर बुलेटिन प्रस्तुति बहुत सुंदर रचनाएं पढ़ने मिली बहुत बहुत धन्यवाद सभी रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई
शिवम जी, आपको और ब्लॉग बुलेटिन को हार्दिक शुभकामनाएं
बहुत अच्छी बुलेटिन प्रस्तुति
आप सब का बहुत बहुत आभार।
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