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शुक्रवार, 26 अगस्त 2016

शब्दों का हेर फेर

प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |

विधानसभा का सत्र चल रहा था कि इतने में एक विधायक, जो अपने गुस्से और सनकीपन के लिए मशहूर थे, मध्य सत्र में ही बहुत ही गुस्से में जोर-जोर से चिल्लाने लगे, 
 
"इस सदन में बैठे आधे नेता डरपोक और भ्रष्टाचारी है!"

सदन में बैठे अन्य नेतागण जोर से चिल्लाने लगे कि या तो ये विधायक महोदय अपना बयान वापिस ले या फिर इन्हें बचे हुए सत्र से बर्खास्त कर बाहर भेज दिया जाये!

थोड़ी देर के लिए सदन में बिल्कुल सन्नाटा छा गया!

फिर वह विधायक बोले, 
 
"ठीक है, मैं अपने शब्द वापिस लेते हुए कहता हूँ कि इस सदन में बैठे आधे नेता न तो डरपोक है और न ही भ्रष्टाचारी है!"
 
सादर आपका

8 टिप्पणियाँ:

Barun Sakhajee Shrivastav ने कहा…

बहुत बहुत धन्यवाद...

कविता रावत ने कहा…

बहुत सुन्दर बुलेटिन प्रस्तुति ...आभार !

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सुन्दर बुलेटिन। कहना नहीं चाहता हूँ पर जरूरी है पोस्ट सूचना पोस्ट आफिस चिट्ठी और जवाब । बंद कीजिये । सुझाव है बस ।

गिरिजा कुलश्रेष्ठ ने कहा…

शब्दों का हेरफेर कमाल का है मिश्र जी .

संजय भास्‍कर ने कहा…

सुन्दर बुलेटिन प्रस्तुति .

शिवम् मिश्रा ने कहा…

आप सब का बहुत बहुत आभार |

चला बिहारी ब्लॉगर बनने ने कहा…

पुलिसवाले को मामू कहने पर भड़क गया! पूछा कि मामू मतलब माँ का भाई... क्या प्रॉब्लम? जवाब.. बाप के साले को भी मामू कहते हैं!

चला बिहारी ब्लॉगर बनने ने कहा…

पुलिसवाले को मामू कहने पर भड़क गया! पूछा कि मामू मतलब माँ का भाई... क्या प्रॉब्लम? जवाब.. बाप के साले को भी मामू कहते हैं!

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