मैंने कुछ बुत बनाये थे अपनी अनकही सुनाने के लिए
.... जाने कब वे जी उठे और मेरा अनकहा दर्द बन कहीं और चल दिए !
बुत यूँ ही साथ चलते हैं
साथ होकर भी दूर होते हैं ...
ब्लॉग जगत में लिखी पढी जा रही पोस्टों , उनमें दर्ज़ की जा रही टिप्पणियां ,बहस ,विमर्श ..सबको समेट कर तैयार है बुलेटिन ... ब्लॉग बुलेटिन ...
3 टिप्पणियाँ:
बढ़िया बुलेटिन ।
बहुत बढ़िया मिली-जुली बुलेटिन प्रस्तुति हेतु आभार!
यादों के सफर मे कोई तो साथी हो ... अब वो यह बुत ही सही ... तो यही सही !!
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