प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |
आज मैं आप सब को एक छोटी सी कहानी सुना रहा हूँ ... पर यह एक डरावनी कहानी है, सो कमजोर दिल वाले इसे ना पढ़ें।
कलकत्ता के कॉलेज स्ट्रीट मे एक बूढ़ा आदमी हाथ में एक बेहद पुरानी किताब बेचने के लिए खड़ा था। पर कोई उस से वो किताब नहीं खरीद रहा था ... तभी एक आदमी आया और उसने वो किताब 3000 रूपए में खरीद ली।
बूढ़े आदमी ने किताब दे कर कहा, "जब तक कोई मुसीबत ना आए, किताब का आखिरी पन्ना मत देखना।"
आदमी ने किताब पूरी पढ़ ली। लेकिन डर के कारण आखिरी पन्ना नहीं खोला। एक दिन उससे रहा नहीं गया और आखिरी पन्ना खोल के देख ही लिया और सदमें से मर गया।
बूढ़े आदमी ने किताब दे कर कहा, "जब तक कोई मुसीबत ना आए, किताब का आखिरी पन्ना मत देखना।"
आदमी ने किताब पूरी पढ़ ली। लेकिन डर के कारण आखिरी पन्ना नहीं खोला। एक दिन उससे रहा नहीं गया और आखिरी पन्ना खोल के देख ही लिया और सदमें से मर गया।
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पन्ने पर लिखा था 'मूल्य सिर्फ 70 रूपए'!
पन्ने पर लिखा था 'मूल्य सिर्फ 70 रूपए'!
सादर आपका
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अब आज्ञा दीजिये ...
जय हिन्द !!!
10 टिप्पणियाँ:
वाह..कहानी वाकई जोरदार है..सुंदर सूत्रों से सजी बुलेटिन..आभार !
और वही किताब आज फिर उसी बूढ़े के हाथ मे है..
बेहतरीन रचनाओं से अगत हुई आज..
सादर
सुन्दर संकलन. मेरी कविता शामिल करने के लिए आभार.
बहुत ज्यादा जिज्ञासा भी उचित नहीं। .
बहुत अच्छी बुलेटिन प्रस्तुति हेतु आभार!
शिवम जी , मेरी रचना 'जाल ' को ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, " एक 'डरावनी' कहानी - ब्लॉग बुलेटिन " , मे शामिल करने हेतु ... सादर आभार !
सदमा ऐसा भी होता है :)
विशाल रेगिस्तान की शुरुआत पर स्थित पेट्रोल पंप पर लिखा था, "पेट्रोल 70 रु. लीटर", ध्यान दें इस कीमत पर आपको आगे ईंधन नहीं मिलेगा।
जिसको भी आगे जाना होता वह अपना टैंक पूरा भरवा लेता। पर मरू पार कर अपना सर पीट लेता, पिछले पंप की सच्ची बात और यहां पेट्रोल की कीमत 65 रु. लीटर देख :-)
बहुत सुन्दर प्रस्तुति सुंदर कहानी के साथ ।
आप सब का बहुत बहुत आभार |
बहुत ही रुचिकर लघु कहानी। धन्यवाद।
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