अमां प्यार की बातें रहने दो
बातें होती ही नहीं प्यार ...
प्यार एहसास है
कर्तव्य है
ख्याल है ...
प्यार कोई तलाश नहीं
प्यार स्वयं में गंगोत्री है
तुम्हारे अंदर यदि गंगा नहीं
फिर समंदर से मिलने की चाह कैसी
बहस कैसी !
समंदर की लहरें खूबसूरत लगती हैं
हौले से पाँव बढ़ाओ
तो धीरे से छू जाती हैं
लेकिन व्यर्थ का खेल किया
तो निगल जाती हैं ...
समंदर गंगा का निर्माण नहीं करता
गंगा अवतरित होती है
फिर समंदर से मिलने को बढ़ती है
तो चलिए कलम से मुखातिब होते हैं ... कुछ नई - कुछ पुरानी
5 टिप्पणियाँ:
अच्छी बुलेटिन प्रस्तुति हेतु आभार!
बढ़िया बुलेटिन
सच प्यार अहसास ही तो है ... :)
प्यार का "होना" ही उसकी परिभाषा है... बस आँखें बन्द करके ख़ुद से बतियाने का नाम प्यार है! आपकी परिभाषा प्यार को गंगोत्री का उद्गम और महासागर का विस्तार प्रदान करती है! बहुत सुन्दर बुलेटिन. और ख़ूबसूरत लिंक्स!!
बहुत ही भावपूर्ण प्रस्तुति।
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