कई साल पहले एक व्याख्यान में मैंने कहा था कि लोकतंत्र के कुल चार बन्दर हैं। पक्ष विपक्ष जनता और मीडिया। यह बन्दर क्यों हैं क्योंकि यह सभी घुड़की देने में माहिर होते हैं। मीडिया और जनता निष्पक्ष रहती तो उसे बन्दर की श्रेणी से निकाल देते लेकिन ऐसा नहीं है और यह दोनों ही अब मजबूती से राजनैतिक स्टैंड लेने लगे हैं। पक्ष की मीडिया, विपक्ष की मीडिया, जनता में पक्ष के भक्त और विपक्ष के भक्त सभी चहुँ-ओर छाये हुए हैं। भारतीय जनता और मीडिया के अपने इतने पूर्वाग्रह हो गए हैं कि वह अपने अपने पूर्वाग्रह से इतर कुछ सुनना चाहते ही नहीं। यह सब होना तकलीफदायक है लेकिन फिर भी इसे मान लिया जा सकता है, तकलीफ की शुरुआत तब होती है जब अपने इस पूर्वाग्रह को बनाये रखने के लिए कोई भी पक्ष देश को भी तराजू के पलड़े पर रख देता है। सैनिक की मृत्यु को यदि कोई सिर्फ अपने स्वार्थ और पूर्वाग्रह के लिए किसी सरकारी टैक्स के पैसे से चलने वाले विश्विद्यालय में त्यौहार की तरह मनाने लगे तब यह देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए बहुत बड़ा खतरा है। जब उस पर कोई कार्यवाही हो और फिर न्यायालय अपने विवेक से काम लेकर उसे जमानत पर बाहर छोड़े और फिर उसका क्रांतिकारी की तरह मीडिया द्वारा हीरो बनाया जाना गले नहीं उतरता।
विरोधियों का पूर्वाग्रह अब देश के सम्मान के लिए चुनौती बन रहा है, पाकिस्तान टीवी पर कन्हैया की खबर दिखाई गयी, उसे कश्मीर की आज़ादी का नया सिपाही बताया गया, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का समर्थक और मोदी विरोध की लहर का कारण बताया गया। यह सब देखना और फिर स्मरण हो आया बाइस साल में सौरभ कालिया का।
वाकई शब्द गौण हो गए.... कुछ भी लिखने का सामर्थ्य समाप्त हो गया... न जाने कौन से स्वार्थ से जनित... देशद्रोही मानसिकता का इस कदर पनप जाना... सरकारी अनुदान से चलते यह संस्थान जो तिरंगा फहराने में बेइज़्ज़ती महसूस करने लगें? जब देश का राष्ट्रगान, राष्ट्रगीत धर्म के दायरे में आ जाए तो क्या कहा जाए? मोदी विरोध अब देश के सम्मान की सीमा लांघ रहा है और यह खतरनाक तरीके से बढ़ रहे इस देशद्रोह के पूर्वाग्रह पर रोक लगाना ज़रूरी हो गया है।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
7 टिप्पणियाँ:
Aabhaar aapka
धन्यवाद कि आपने मेरी कविता को चुना ......अच्छे-अच्छे लिंक्स हैं......
Aabhaar aapka
अच्छे लिंक्स! सामयिक विषय!!
अच्छे लिंक्स! सामयिक विषय!!
बन्दर कहना पक्ष और विपक्ष के सटीक है । सुन्दर बुलेटिन ।
सामयिक बुलेटिन, देव बाबू ... आभार आपका |
एक टिप्पणी भेजें
बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!