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सलिल वर्मा |
औफिस में जरूरी कागज को जब नत्थी करने जाएँ त स्टैप्लर में पिन खतम हो जाये,
कोनो अर्जेण्ट काम करने बैठिये अऊर माथा खाने वाला कस्टमर आकर समय बरबाद कर जाये,
कहीं पार्टी में जाना हो अऊर मैचिंग सर्ट का बटन टूटा निकल जाये, सबसे सस्ता
फ्लाइट का टिकट कल बुक करेंगे सोचकर टाल दें अऊर अगिला दिन दाम डेढ़ गुना बढ़ जाए, ट्रेन
का कनफर्म टिकिट बुक करते हुये पेमेण्ट करने के बाद आर.ए.सी. हो जाये, अपना सब
पसन्दीदा सिनेमा का डीवीडी रखा रहे अऊर देखने का समय नहीं मिल पाये, कोनो उपन्यास
का दस पन्ना पढ़ लेने के बाद भी माथा में कुछ नहीं जाये, दोस्त लोग का फोन अऊर मेल
का जवाब अब देते हैं-अब देते हैं सोचते-सोचते हफ्ता निकल जाये, करीबी लोग के बच्चा
के सादी में सामिल नहीं होना त दूर, फोन करने का बात भी दिमाग से निकल जाये, ब्लॉग
जगत में सम्मान देने वाला साथी ब्यापारी बन जाये अऊर फोन काटने लगे अऊर फेसबुक-ब्लॉग
पर केतना पानी बह गया इसका खबर भी न मिल पाये त समझिये किस्मत बदला लेने पर उतारू
है अऊर सजा पाने वाला सख्स का नाम है – सलिल वर्मा. ओही सलिल वर्मा, जो एक
जमाना में चला बिहारी ब्लॉगर बनने के नाम से ब्लॉग लिखते थे अऊर एहीं पर
बुलेटिनो छाप दिया करते थे.
अब एही दिन देखना बाकी था कि अपना परिचय हमको खुद देना पड़ रहा है. आप लोग में
से केतना लोग तो एही सोच रहे होइयेगा कि कहाँ से ई जाहिल गँवार को धर लाया है
बुलेटिन का लोग. बाकी हम आज कुच्छो नहीं कहेंगे अऊर बुरा भी नहीं मानेंगे. एगो
सायर कहिये गये हैं कि आँख से दूर न हो,
दिल से उतर जाएगा. त भाई लोग दिल से
मत उतारिये, काहे से कि आँख से दूर होने का कारन हम बताइये दिये हैं.
एकीन मानिये कि जेतना कहे हैं मुसीबत उससे कहीं जादा है. लेकिन ऊ का है कि (हम
केतना बार कहे हैं) कि दुनिया में अपने आँसू का बिग्यापन कभी नहीं करना चाहिये,
मार्केट नहीं है आँसू का. हर अदमी अपना कोटा लिये घूम रहा होता है. फरक एतने
है कि कोई तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो टाइप रहता है, तो कुछ शगुफ़्ता लोग
भी टूटे हुये होते हैं अन्दर से टाइप का होता है.
हमको पता है कि मायूसी का बात बेकार है. टाइम कहाँ है लोग के पास. आपका तकलीफ
का भैलू दुनिया के नजर में है - बिग जीरो. हम एही जीरो में खुस रहते हैं.
काहे कि जब जीरो दिया मेरे भारत ने, दुनिया को तब गिनती आई. अब देखिये न 13
नवम्बर 2011 को जो ब्लॉग बुलेटिन का पोस्ट नम्बर 1 था ऊ 24 नवम्बर 2011
को 10 हो गया. 01 मार्च 2012 को हम लिखे पहिला पोस्ट, पोस्ट
नम्बर 100. अऊर आज यानि 26 जून 2015 को हम लिख रहे हैं 1000 वाँ
पोस्ट. अब हमरा कंट्रीब्यूसन त जीरो रहा. बीच बीच में आधा सैकड़ा अऊर सैकड़ा
वाला पोस्ट भी लिखे हम. एतना सारा पोस्ट लिखने के बाद लगा कि बुलेटिन का सब जीरो हमरे
जिन्नगी में भी उतर आया है.
दुआ कीजिये कि हम सलामत रहें अऊर 10000 वाँ पोस्ट भी हम ही लिखें. एगो माफ़ी भी
बनता है तमाम दोस्त लोग से कि बहुत जल्दी सब दिक्कत-परेसानी मिटाकर हम जल्दी हाजिर होते हैं अऊर ब्लॉग पर
अपना टिप्पणी बिखरते हैं.
अंत में आप सब लोग का सुभकामना का इच्छा, अपने गैरहाजिरी का माफी अऊर हज़ारवाँ
पोस्ट पूरा करने के लिये ब्लॉग-बुलेटिन को बधाई का कामना लिये, अनुज शिवम को लिंक्स
सजाने का अनुरोध करते हैं.
सलिल वर्मा
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नीचे दिये सभी चित्रों मे एक ब्लॉग पोस्ट का लिंक लगा हुआ है ... चित्र पर चटका लगते ही आप उस ब्लॉग पोस्ट को पढ़ पाएंगे |
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पूरी ब्लॉग बुलेटिन टीम की ओर से सभी पाठकों का हार्दिक धन्यवाद ... आप के स्नेह को अपना आधार बना हम चलते चलते आज इस मुकाम पर पहुंचे है और ऐसे ही आगे बढ़ते रहने की अभिलाषा रखते है |
17 टिप्पणियाँ:
भइया ,हम अभी कोई भी लिंक नहीं देख पाये है ,बस बार - बार आप के कथन का ही मनन कर रहे हैं .... बिहारी के दोहे जैसे ही लग रही है हमारे बिहारी भइया की बातें ....
आपका चयन तो अच्छा होगा ही और उसमें मेरे संकल्प को भी स्थान दिया ,आभारी हूँ !
अब पढ़ना शुरू करते हैं … सादर !
बहुते सुंदर - का काम का बात बतीयाये दादा एक दम कंटास - 1000वे बुलेटिनवा का बहुत बधाई। सारा टीम जिंदाबाद - जय हो - मंगलमय हो - हर हर महादेव
बहुते सुंदर - का काम का बात बतीयाये दादा एक दम कंटास - 1000वे बुलेटिनवा का बहुत बधाई। सारा टीम जिंदाबाद - जय हो - मंगलमय हो - हर हर महादेव
बहुते सुंदर - का काम का बात बतीयाये दादा एक दम कंटास - 1000वे बुलेटिनवा का बहुत बधाई। सारा टीम जिंदाबाद - जय हो - मंगलमय हो - हर हर महादेव
हजारिया बुलेटिन, बहुत बढ़िया. बधाई.
Dhanyawad ... Post ko sthaan dene ke liye ...
saath hi Hajaravan Buletin Prakashit karne ke liye badhai Aant shubhakamanayen ...
एक हजारवीं पोस्ट की हार्दिक बधाई। इस पोस्ट में 'लज़ीज़ खाना - Laziz Khana' को शामिल करने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया।
बहुत दिन बाद आपकी पोस्ट देखने को मिली। अच्छा लगा। दुआ है दस हजारिया बुलेटिन भी आप ही लिखें।
सलिल जी की धमाकेदार इंदराज । हमे लगने लगा था कहीं अपहरण तो नहीं कर लिया गया है । चलिये बहुत अच्छा लगा ब्लागर दिखा तो सही और मौके पर दिखा । बधाइयाँ हजार की हजार हजार 'उलूक' की '999' पोस्ट को जगह दी उसके लिये दिल से आभार ।
पहली १०० और अब उसमें एक जीरो लगा लिया और बना दिया १०००वीं पोस्ट ....
जबरदस्त बुलेटिन प्रस्तुति पर १०००वीं पोस्ट के लिए हार्दिक शुभकामनायें ... यूँ ही चलता रहे ये सफर ...
बधाइयाँ.....हजारवीं पोस्ट हेतु.....
मुझे भी गर्व है कि मेरा ब्लाग इसमें शामिल है
आभार
सादर....
सुंदर रचना......मेरी रचना शामिल की गयी आभार आपका....
ब्लॉग बुलेटिन के साथियों और हमारे प्रिय पाठकों का जी भरकर शुक्रिया अदा करता हूँ. आप सबों का यह प्रेम मुझे परेशानियों का आभास भी नहीं होने देता और हमेशा यहाँ खींच लाता है. अपना प्रेम बनाए रखें. सादर.
00000 ... 100वीं, 500वीं और अब 1000वीं पोस्ट पर सहस्र बधाई ... ब्लॉग बुलेटिन यूं ही बढ़ता रहे।
ब्लॉग बुलेटिन की पूरी टीम और सभी पाठकों को इस कामयाबी पर ढेरों मुबारकबाद और शुभकामनायें|
सलिल दादा और पूरी ब्लॉग बुलेटिन टीम की ओर से सभी पाठकों का हार्दिक धन्यवाद ... आप के स्नेह को अपना आधार बना हम चलते चलते आज इस मुकाम पर पहुंचे है और ऐसे ही आगे बढ़ते रहने की अभिलाषा रखते है |
ऐसे ही अपना स्नेह बनाए रखें ... सादर |
ये बिहारी सबका चहेता है, जब बोलता है,लिखता है तो कोनो हिलता नहीं, चुपचाप सुनता-पढता है।
आउर जब अपना परिचय खुदे दे त उसका दृष्टि सोच का कमाल भी सुनने में कमाल लगता है .... इ हमरा भाई है, हीरो
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