किसी राजनैतिक मुद्दे पर लिखना अपने आप में कई विवादों को जन्म देता है लेकिन आज भारत और बांगला देश के समझौते के बारे में फैली भ्रांतियों को दूर करने के लिए ज़रूरी है कि कई बातों को प्रकाश में लाया जाए। मैं स्वयं भी पहले इसको समझ नहीं पाया था लेकिन जब इसके बारे में दस्तावेज़ों का अध्ययन किया तब समझ की यह समझौता वाकई में ऐतिहासिक है और आज तक इस मुद्दे को लटकाने के लिए ज़िम्मेदार लोगों पर कार्यवाही होनी चाहिए।
आइये पहले इसकी हकीकत को जानने का प्रयास किया जाए:
क्या है भारत-बांग्लादेश सीमा विवाद:
1971 में बांग्लादेश के निर्माण के बाद श्रीमती इंदिरा गांधी और शेख मुजीबुर्रहमान के बीच कोई सीमा समझौता नहीं हुआ था, लेकिन दोनों देशों ने इस विवाद को सुलझाने के लिए सन 1974 में एक समझौते पर हस्ताक्षर किये थे। इस समझौते का ऐतिहासिक दस्तावेज़ विदेश मंत्रालय के आर्काइव में है और उसका लिंक यह रहा: http://www.mea.gov.in/Uploads/PublicationDocs/24529_LBA_MEA_Booklet_final.pdf
इसमें वह पॉकेट्स का ज़िक्र है जो भारत और बांग्लादेश के बीच विवाद का केंद्र हैं |
आप देख सकते हैं भारत और बांग्लादेश के भीतर ड्यूल-पोज़ेशन के कितने पॉकेट्स हैं |
(समझौते के तहत) |
(समझौते के तहत) |
कुच विहार का क्षेत्र |
1947 के पूर्वी पाकिस्तान और भारत की स्थिति |
यह कुछ ऐसा है |
1947 की स्थिति |
इन दस्तावेज़ों से समझा जा सकता है कि भारत सरकार ने बांग्लादेश को इस ज़मीन के हस्तांतरण का मसौदा 1974 में ही तैयार कर लिया था। लेकिन इस पर क्रियान्वयन कभी हुआ ही नही।
अब समझते हैं तीस्ता जल विवाद क्या है
तीस्ता नदी, पहुनरी ग्लेशियर से (समुद्र ताल से 23189 फुट की ऊंचाई पर) निकलते हुए हिमालय की घाटियों से गुज़रती हुई बंगाल और सिक्किम से गुज़रते हुए जलपाईगुड़ी के बाद रंगपुर ज़िले में बांग्लादेश में प्रवेश करती है। इसका रुट मैप कुछ यूँ है। ब्रम्हपुत्र में प्रवेश के पहले यह 309 किमी की यात्रा करती है जिसमे से
भारत और बांग्लादेश के क्षेत्र |
विवाद: इस नदी में पानी का बंटवारा विवाद का बड़ा कारण है, भारत ने इस नदी पर कई हाइड्रो-इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट बना रखे हैं, जो पानी की गति को प्रभावित करते हैं। बांग्लादेश की मांग पानी के 50-50 बंटवारे की है। दोनों देशों के बीच यह विवाद पिछले १८ सालों से है और अभी तक कोई ठोस हल नहीं निकला। ममता बनर्जी बांधों से अतिरिक्त पानी छोड़ने को तैयार नहीं और बांग्लादेश इसको लेकर एक समझौता चाहता है।
भारत की विदेश नीति हमेशा अजीब सी ही रही, भारत ने कभी अपने पड़ोसियों को ध्यान नहीं दिया इसीलिए यह सभी पडोसी चीन और पाकिस्तान के अधिक करीब चले गए। इन सभी देशों में भारत विरोधी गतिविधियाँ रोकने में सभी कूटनीतिक प्रयास विफल हुए और बांग्लादेश भी भारत विरोधी गतिविधियों का गढ़ बन गया। यदि भारत ने इन विवादित मुद्दों को पहले हल कर लिया होता तो यह इस स्तर तक नहीं पहुँचता।
प्रधानमंत्री मोदी समस्याओं के हल के लिए जाने जाते हैं और उन्हें कोई मुद्दा लटकाना नहीं आता। कांग्रेस ने कभी इस मुद्दे को हल नहीं किया क्योंकि इन इलाकों में बांग्लादेश के शरणार्थी उसके लिए बड़े वोट बैंक हैं। उन्होंने हमेशा सर्व-सम्मति से कोई निर्णय का लेने का निर्णय किया और मामला लटकता रहा। मोदी ने इस विवाद का हल करके एक बहुत बड़ा ऐतिहासिक फैसला किया है। वह इसके लिए बधाई के पात्र हैं। विरोध अपनी जगह है लेकिन यदि असली बात समझ कर तर्कयुक्त बात की जाए तो अधिक श्रेयस्कर होती है।
अब आज के बुलेटिन की ओर चलते हैं.............................
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वैसे चलते चलते अपनी भी पोस्ट चिपकाता चलूँ, जानिये कंप्यूटर वर्चुअलिज़ेशन और ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर के बारे में
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आशा है आज का बुलेटिन आपको पसंद आया होगा, आपसे अगली मुलाकात अगले रविवार को होगी, तब तक के लिए नमस्कार, बरसात आने को है सो बचाकर रहिये, खुद की सुरक्षा और फिर अपने परिवार की सुरक्षा कीजिये।
शुभकामनाओं के साथ आपका देव.
5 टिप्पणियाँ:
सुंदर कड़ियों के साथ सुंदर रविवारीय बुलेटिन ।
समसामयिक बुलेटिन देव बाबू ... इस मसले को काफी तरीके से समझाया आपने ... आभार बंधु |
ज्ञानवर्धक चर्चा
उम्दा कड़िया...मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद .
श्रमपूर्ण और उम्दा पठनीय बुलेटिन प्रस्तुत करने के लिए आभार देव सर।।
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