प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |
एक आदमी को चिकन - मटन खाने का बहुत शौंक था और वो हर शुक्रवार को चिकन और मटन बनाता था लेकिन जिस मोहल्ले में वो रहता था वहां उसके सभी पडोसी बड़े धार्मिक किस्म के थे और उन्हे उनके धर्म गुरु ने शुक्रवार के दिन चिकन और मटन खाने के लिए मना किया था। लेकिन अपने पडोसी के घर से आने वाली चिकन और मटन की खुशबू उन को बहुत विचलित करती थी। इसलिए उन्होने आखिर अपने धर्म गुरु से इस बारे में बात की।
धर्म गुरु उस आदमी से मिलने के लिए उसके घर आया और उसने उसे भी धर्म परिवर्तन करने की सलाह दी। उस धर्मगुरु के और अपने पडोसियों के बहुत मनाने और समझाने बुझाने के बाद आदमी रविवार को उनके धार्मिक स्थल में उनकी प्रार्थना सुनने चला गया। फिर अचानक उस धर्म गुरु ने उस आदमी के शरीर पर पवित्र जल छिडका और कहा, ''तुम जन्म से जो थे और जो भी बन कर बडे हुए उसे भूल जाओ, अब तुम हमारे पंथ के हो और तुम पर भी वो सभी नियम लागू होते है जो तुम्हारे बाकी पड़ोसीयों पर लागू होते है !!"
उस आदमी के सभी पडोसी बहुत खुश थे - लेकिन सिर्फ अगला शुक्रवार आने तक ही।
अगले शुक्रवार की रात फिर से आदमी के घर से चिकन और मटन कबाब की खुशबू सारे मोहल्ले में फैल गई। पडोसियों ने तुरंत धर्म गुरु को बुलाया। धर्म गुरु जब आदमी के घर के पिछवाडे से उसके घर में दाखिल हुए और उसे डांटने के लिए तैयार ही थे, तब वे अचानक रुक गए और आश्चर्य से आदमी की तरफ देखने लगे।
वो आदमी छोटी सी पानी की बोतल पकडकर खडा था। उसने वह पानी चिकन और मटन पर छिड़का और बोला, "तुम जनम से चाहे चिकन और मटन थे, और चिकन और मटन बन कर ही बडे हो गए, लेकिन अब मटर और पनीर हो।"
प्रणाम |
एक आदमी को चिकन - मटन खाने का बहुत शौंक था और वो हर शुक्रवार को चिकन और मटन बनाता था लेकिन जिस मोहल्ले में वो रहता था वहां उसके सभी पडोसी बड़े धार्मिक किस्म के थे और उन्हे उनके धर्म गुरु ने शुक्रवार के दिन चिकन और मटन खाने के लिए मना किया था। लेकिन अपने पडोसी के घर से आने वाली चिकन और मटन की खुशबू उन को बहुत विचलित करती थी। इसलिए उन्होने आखिर अपने धर्म गुरु से इस बारे में बात की।
धर्म गुरु उस आदमी से मिलने के लिए उसके घर आया और उसने उसे भी धर्म परिवर्तन करने की सलाह दी। उस धर्मगुरु के और अपने पडोसियों के बहुत मनाने और समझाने बुझाने के बाद आदमी रविवार को उनके धार्मिक स्थल में उनकी प्रार्थना सुनने चला गया। फिर अचानक उस धर्म गुरु ने उस आदमी के शरीर पर पवित्र जल छिडका और कहा, ''तुम जन्म से जो थे और जो भी बन कर बडे हुए उसे भूल जाओ, अब तुम हमारे पंथ के हो और तुम पर भी वो सभी नियम लागू होते है जो तुम्हारे बाकी पड़ोसीयों पर लागू होते है !!"
उस आदमी के सभी पडोसी बहुत खुश थे - लेकिन सिर्फ अगला शुक्रवार आने तक ही।
अगले शुक्रवार की रात फिर से आदमी के घर से चिकन और मटन कबाब की खुशबू सारे मोहल्ले में फैल गई। पडोसियों ने तुरंत धर्म गुरु को बुलाया। धर्म गुरु जब आदमी के घर के पिछवाडे से उसके घर में दाखिल हुए और उसे डांटने के लिए तैयार ही थे, तब वे अचानक रुक गए और आश्चर्य से आदमी की तरफ देखने लगे।
वो आदमी छोटी सी पानी की बोतल पकडकर खडा था। उसने वह पानी चिकन और मटन पर छिड़का और बोला, "तुम जनम से चाहे चिकन और मटन थे, और चिकन और मटन बन कर ही बडे हो गए, लेकिन अब मटर और पनीर हो।"
आशा है आप सब तक इस कथा का संदेश पहुँचा होगा !!
सादर आपका
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अब आज्ञा दीजिये ...
जय हिन्द !!!
9 टिप्पणियाँ:
क्या मटन का पनीर बनाया । एक सुंदर समझ में आने वाली कहानी के साथ एक सुंदर सूत्रों से सजा सोमवारीय बुलेटीन ।
कहानी मटर और पनीर की बढ़िया है |उम्दा लिंक्स |
KYAA SAMJHAYA HAI JI ! ?? SUNDAR OR AASAAN BHASHA HI EK LEKHAK KI KHOOBSURTI HOTI HAI !
बहुत बढ़िया लिंक्स-सह बुलेटिन प्रस्तुति हेतु आभार!
मस्त मजा आया मटर पनीर की कहने का ... लिंक जोरदार सभी ....
आभार मेरी रचना को शामिल करने का ...
चुल्लू का पानी भी गजब है, किसी को डुबो देता है किसी को तरवा देता है।
आप सब का बहुत बहुत आभार |
itne sundar sandesh ke sath itni achhi buletin...
बहुत बढिया बुलेटिन ,और इन बढिया बढिया लोगों के साथ मुझे शामिल किया बहुत ही धन्यवाद।
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