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रविवार, 14 जून 2015

मुखौटे.. कैसे कैसे मुखौटे

सभी ब्लॉगर मित्रों को देव बाबा का राम राम... आज बात मानवीय मूल्यों और अपने सामाजिक सरोकारों की करते हैं, हर समय कंप्लेन करने वाले हम लोग खुद के जीवन में कैसे हैं यदि समझ लिया जाए तो भला हो...
मैंने कोई पांच साल पहले एक कविता लिखी थी "मुखौटे".... 
चित्र गूगल से साभार 
मुखौटे..
तरह तरह के मुखौटे
रंग बिरंगे मुखौटे
कभी हंसते
कभी रोते
हर वर्ण
हर भेष में
पाए जाते
मुखौटे
वह ज़माना और था
जब इन्सान मुखौटे
लगाता था
मसखरी के लिए
समाज में
व्यंग्य और विनोद
के लिए
मुखौटे थोड़े ही देर
के लिए लगाता
और फिर इन्सान
लौट आता अपनी
पहचान में
लौट आता
अपने यथार्थ में
मगर अब
मुखौटे
इन्सान के चेहरे
से इस कदर
चिपक गए हैं
की अब शरीर का
हिस्सा हो गये हैं
इंसान की
पहचान हो गए हैं
अब तो आस्तीन के सांप भी
शैतानों के बाप भी
सफ़ेद मुखौटे पहनते हैं
यहां शराफ़त का लबादा ओढे
शैतान राज करते हैं
शैतान इंसान का रुप धरकर
इन्सां पे वार करते हैं
मुखौटे ही राज करते हैं
मुखौटे ही राज करते हैं
-------------
कोई पांच साल बाद स्थिति लगभग वैसी ही है, आज भी मुखौटे ही मुखौटे हैं। कथनी कुछ और करनी कुछ और, कैसे कैसे लोग और कैसे कैसे चरित्र... सोच कर देखिए....

इन्हीं विचारों के बीच पेश है आज की बुलेटिन ...
इश्क्ज़ादे Gopesh Jaswal at तिरछी नज़र

लड़के देवेन्द्र पाण्डेय at बेचैन आत्मा

योग हिंदुओं ने ही ईज़ाद किया, करो या न करो Barun K. Sakhajee at आम आदमी सरकारी चंगुल में......

मैं और यादें ; विक्रम बैताल Anand Kumar Dwivedi at आनंद

" सिफ़र से शिखर तक ......." Amit Srivastava at "बस यूँ ही " .......अमित

रक्तदान है महादान - 14 जून विश्व रक्तदान दिवस शिवम् मिश्रा at बुरा भला 

लघुकथा- वक्त-वक्त की बात ... Jyoti Dehliwal at आपकी सहेली

योग पर दुर्योग राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर at रायटोक्रेट कुमारेन्द्र

प्राइम टाइम देश सेवा में, रिटायरमेंट के बाद मिलती है मौत...खुशदीप Khushdeep Sehgal at देशनामा 

कैसे गिरी थी वाजपेयी की 13 महीने की सरकार? Akhilesh Sharma at मेरी कही 

बूढ़े का घर बनाना :)) संजय भास्‍कर at शब्दों की मुस्कुराहट 
अब आज्ञा दीजिये ... 

10 टिप्पणियाँ:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

देव बाबा ने राम राम लिखा है और मैं रामदेव पढ़ रहा था अब मुखौटे के पीछे से कोई पढ़ने की कोशिश करे तो यही होवे कोई नी बुलेटिन बहुत सुंदर है सुंदर सूत्रों की सुंदर कड़ियों के साथ :)

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

मुखौटे कविता अच्छी लगी।

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

मोबाइल से कमेन्ट करने में बार-बार कमेन्ट प्रकाशित हो गया। इसका मुझे खेद है। इसे और डिलीट कमेन्ट हटा दें।

Barun Sakhajee Shrivastav ने कहा…

धन्यवाद

Khushdeep Sehgal ने कहा…

मेरी पोस्ट का लिंक देने के लिए शुक्रिया...

जय हिंद...

Dev K Jha ने कहा…

देवेन्द्र जी: मैनें उन टिप्पणियोंं को डिलीट कर दिया है… आपका आभार :-)

शिवम् मिश्रा ने कहा…

बढ़िया बुलेटिन लगाए देव बाबू ... आभार |

Jyoti Dehliwal ने कहा…

मेरी पोस्ट शामिल करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद...

संजय भास्‍कर ने कहा…

मेरी पोस्ट का लिंक देने के लिए शुक्रिया...

Tamasha-E-Zindagi ने कहा…

अच्छी बुलेटिन - जय हो

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