नमस्कार दोस्तो,
आज
थोड़ी सी चर्चा फाउंटेन पैन की हो जाये. ऐसा इसलिए क्योंकि अपने लगभग सैकड़ा भर फाउंटेन
पैन की सफाई के दौरान यह ख्याल आया. यह हम सभी जानते हैं कि यह एक ऐसा पैन होता है
जिसकी निब (नोंक) नुकीली होती है. इसके अंदर स्याही के भरने के लिए जगह होती है. उपयोग
के दौरान स्याही समाप्त हो जाने के बाद दोबारा स्याही भरकर उसे उपयोग में लाया जाता
है. गुरुत्वाकर्षण बल के कारण स्याही नीचे निब की पिन में आती है और कागज़ पर अक्षर
रूप में उतर कर रचनाओं को जन्म देती है. फाउंटेन पैन से लिखने की आदत हमारे चाचा
जी द्वारा डलवाई गई है. उनका कहना था कि फाउंटेन पैन से लिखने से राइटिंग अच्छी
होती है.
उनके
द्वारा पैन से लिखने की जो आदत बचपने में पड़ी वो अभी तक बनी हुई है. पैन को लेकर
स्थिति यह है कि एकदम लालच जैसी स्थिति है. आये दिन कोई न कोई पैन खरीदा ही जाता
है, बस इसके लिए एक मौका चाहिए होता है, बहाने के रूप में. कभी अपने जन्मदिन पर,
कभी अपने परिजनों के जन्मदिन पर, कभी किसी ख़ुशी के मौके पर, कभी किसी त्यौहार पर. कभी-कभी
हमें उपहार में भी ये मिल जाते हैं. अपने सभी पैन की देखभाल भी हम बहुत ध्यान से
करते हैं. सस्ते से सस्ता पैन भी हम कभी बर्बाद न होने देते हैं. हमारे कई मिलने
वाले, कई अनजान, अपरिचित मुलाकाती करने वाले, मित्र, कॉलेज के सहयोगी, विद्यार्थी हमारे
फाउंटेन पैन से लिखने को लेकर आश्चर्यचकित रहते हैं.
बहरहाल,
आज के समय में जैसी कमी फाउंटेन पैन से लिखने वालों की दिख रही है वैसी ही कमी
इंटरनेट पर फाउंटेन पैन से सम्बंधित जानकारी/सामग्री की दिख रही है. हिन्दी में तो
कहीं जानकारी मिली ही नहीं, एक-दो जगह अंग्रेजी में अवश्य कुछ देखने को मिला है. (पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें.) ये भी हो सकता है कि हमारी पहुँच में जानकारी न आ रही हो, तो ऐसे में यदि आपमें से
किसी के पास यदि फाउंटेन पैन से सम्बंधित जानकारी-सामग्री हो तो हमें अवश्य
भेजिएगा.
हम
सभी जानते हैं कि फाउंटेन पैन का आविष्कार लेविस वाटरमैन ने 1884 में USA में किया था. उन्होंने लकड़ी को छील कर उसका निब और अंगूर के रस से स्याही
बनाई. इन दोनों की सहायता से उनके द्वारा फाउंटेन पैन का जन्म हुआ. इसके बाद भी
यदि देखा जाये तो समाज में मानवीय संरचना होने के काफी सालों बाद पैन जैसी चीज़ का
आविष्कार भले हुआ हो मगर लेखन सम्बन्धी कार्य के लिए कोई न कोई सामग्री लगभग 24000 साल पहले ही तैयार कर ली गई थी. तत्कालीन मानव समाज द्वारा रेखाचित्र
बनाने के लिए, साज-सज्जा करने के लिए पत्थर, लकड़ी आदि से इस तरह की वस्तु निर्मित
कर ली गई थी. उनके द्वारा अपनी खेती, फसल, शिकार किए गए जानवरों आदि के चित्र दीवार
पर बनाने के लिए पत्थर से बने औजार का प्रयोग किया गया. बाद में मिस्र के लोगों ने
पेड़-पौधे का उपयोग करके कागज बनाया गया और उस पर लिखने के लिए बांस द्वारा
निर्मित पैन बनाया गया. कई सालों तक इसी तरह के पैन उपयोग में लाये जाते रहे. इसके
बाद अलग अलग तरीकों से पैन बनाने के लिए लिए बहुत से लोग इस काम में लग गए लेकिन हर
पैन में कोई न कोई कमी बनी रही.
M. Klein and Henry W. Wynne
received U.S. Patent 68,445 in 1867 for an ink chamber and delivery system in the handle of the
fountain pen
लगातार
होते रहे विकासपरक आविष्कारों के बाद फाउंटेन पैन का सफल आविष्कार सामने आया.
यद्यपि स्याही के देर से सूखने, हाथों के स्याही से गंदे होने, पैन की स्याही बह
जाने से कपड़ों के ख़राब होने सम्बन्धी दिक्कतें लगातार बनी रहीं. इसके बाद भी
फाउंटेन पैन से लेखन-कार्य अनवरत चलता रहा. इसकी समस्याओं का समाधान खोजने के लिए
कालांतर में बॉल पैन का आविष्कार हुआ और 1938 में बॉल पैन का
पहला पैटेंट Laszlo Biro को मिला. आज अनेक तरह के रंग-बिरंगे
और आकर्षक बॉल पैन बाज़ार में उपलब्ध हैं. नई पीढ़ी के लेखन का यह महत्त्वपूर्ण
अस्त्र बना हुआ है, इसके बाद भी फाउंटेन पैन के शौक़ीन आज भी हैं जो अपने संग्रह
में लगातार फाउंटेन पैन एकत्र करते जा रहे हैं.
यह
बुलेटिन भले ही फाउंटेन पैन से न लिखी गई हो मगर आप इसका आनंद लीजिये, फाउंटेन पैन
पर दी गई संक्षिप्त जानकारी के साथ.
++++++++++
7 टिप्पणियाँ:
अति उत्तम
शुभ प्रभात..
बेहतरीन जानकारी..
आभार..
सादर...
अति रोचक भूमिका के साथ सुंदर रचनाओं का पठनीय संकलन है बहुत सुंदर संकलन सर..मेरी रचना को स्थान देने के लिए सादर आभार।
फाउंटेन पेन की संक्षिप्त कहानी दिलचस्प है। 'तरकश' के तीर का लिंक भी है। आभार। बाकी लिंक बहुत ही बढ़िया हैं। सभी रचनाकारों के बधाई। सादर।
फाउंटेन पेन, जिसकी सहायता से दिमाग में परिसीमित विचार झरने की तरह कागज पर उतरते चले जाते हैं
फाउंटेन पेन की संक्षिप्त कहानी दिलचस्प लगी, कभी मिले तो आप का ये संग्रह देखना चाहूँगा |
सादर |
फाउंटेन पेन की कहानी पसंद आई,मेरी लघुकथा सही गलत को शामिल करने के लिए आभार
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