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सोमवार, 7 जनवरी 2019

आर्थिक आधार पर मिलेगा आरक्षण




सरकार ने आखिरकार आरक्षण के भूत की एक बार फिर से चुटिया पकड़ ली है | हालांकि मेरे जैसे एक साधारण व्यक्ति जो सिर्फ अपने श्रम और संघर्ष पर अपना मुकाम हासिल कर पाया के लिए किसी भी तरह का आरक्षण , ठीक उस बैसाखी की तरह है जो दो पाँव से चलने दौड़ने वाले तक को जबरन थमाया जा रहा है ताकि उन्हें अपने पैरों की शक्ति से अधिक भरोसा उसकी कमजोरी (जो सरकारें एहसास कराती रहती हैं ) पर यकीन बना रहे और सरकारें , राजनीतिक दल , और ऐसे तमाम मुखौटे लगाने वाले इसका समय समय पर उपयोग और दुरूपयोग कर सकें | 


कल संभवतः सरकार इस आशय का एक विधेयक संसद में पेश करके एक नई बहस को जन्म देगी हालांकि बहस (टीवी पर चल रही भौं भौं को यदि आप बहस मानते हैं तो ) आज से ही शुरू हो चुकी है | आने वाले समय में ये आरक्षण का जिन्न इस देश का कितना भला बुरा करेगा ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा तब तक तेल देखिये और तेल की धार देखिये .....

चलिए इन सबसे आगे बढ़ते हैं और देखते हैं की   आज किसने अपने ब्लॉग में किस विषय पर  क्या कहा सुना ,लिखा पढ़ा .........


यह विदाई है या स्वागत : गौतम राजऋषि

दिल मचल उठा : अनुराधा चौहान

चौबे गए छब्बे  बनने दूबे बनकर आ गए : हरेश कुमार

लम्हे इश्क के : दिगंबर नासवा

मैंने ढूंढा तेरा चेहरा :डॉ. वर्षा सिंह

छत से टपकती माँ बाबूजी  की आहट :श्याम बिहारी श्यामल

ये ज़िंदगी भी ख़ाक है : रेवती रमण झा


शुभरात्रि ...खूब लिखें , खूब दिखें |

3 टिप्पणियाँ:

संजय भास्‍कर ने कहा…

सुन्दर प्रस्तुति।

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

वोट जिंदा रहे बस मरे नहीं। सुन्दर।

शिवम् मिश्रा ने कहा…

सामयिक बुलेटिन प्रस्तुति अजय भाई |

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