नमस्कार
दोस्तो,
पूर्वाग्रह
में ग्रसित होकर हम सब कैसे मशीन बनते जा रहे हैं, इसका उदाहरण हमें खुद अभी मिला,
जबकि हम एक एक कार्यक्रम में सहभागिता करके वाराणसी से वापस उरई आ रहे थे. वातानुकूलित
कोच होने के कारण कागज के लिफाफे में चादर, तौलिया आदि यथास्थान रखे हुए थे. चादर,
तौलिया निकाल लेने के बाद यह कागज़ का लिफाफा हमारे बहुत काम आता है. ट्रेन में यह
कागज़ हमारी रचनाशीलता का गवाह बनता है, हमारी सक्रियता का साथी बनता है. इसके
अलावा ऐसा कोई कागज़ जिसमें किसी भी तरफ लिखा जा सकता है, सदैव हमारे काम का रहता
है.
उस दिन दोपहर
बाद चली ट्रेन आधी रात के आसपास लखनऊ पहुँची. लखनऊ में आने वाले लोग एकसाथ आये. वे
लोग अपने-अपने लेटने की सुविधा का दोहन करने का विचार बनाकर चादर वगैरह लिफाफों से
निकालकर उन्हें कोच की धरती की भेंट चढ़ा चुके थे. कई हिस्सों में फटे लिफाफे गंदगी
सी फैलाये हुए दरवाजे के पास ही पड़े थे. बजाय उन लोगों से कुछ कहने के हमने उन
लिफाफों को ये सोचकर उठाया कि एक तो गन्दगी साफ़ हो जाएगी और यदि ज्यादा बुरी हालत
में नहीं होने तो हमारे काम आ जायेंगे.
लिफाफों
के उठाते ही एक ज्यादा स्मार्ट से सज्जन ने टोका, क्यों भाईसाहब आप भाजपा से जुड़े
हैं? लिफाफे जिस मुद्रा में हाथ में थे सोचा कि उनके मुँह पर मारते हुए जवाब दे ही
दें मगर उनकी उम्र का ख्याल कर हँस दिए. उन लिफाफों को तह बनाते हुए हमने देखा वे
सज्जन मंद-मंद मुस्कुराते हुए कभी हमें, कभी उन लिफाफों की तरफ देखे जा रहे थे.
उनकी मानसिकता समझ आ ही चुकी थी, सोचा कि कुछ झटकेदार इनकी खोपड़ी में घुसा ही दें.
काम आ सकने वाले लिफाफों की तह बनाकर उन्हें अपने बैग के हवाले किये तो उनकी आँखें
कुछ चौड़ी हुईं. उनके हावभाव में प्रश्नवाचक देखकर उनकी तरफ जवाब फेंका, आपको पता
नहीं मोदी जी की योजना? उनके प्रश्नवाचक चिन्ह को और बड़ा होते देखा और उसे अपनी
तरफ से और बड़ा कर दिया यह कहते हुए कि उपयोग किये गए ये कागज़ के लिफाफे सही से तह
करके किसी स्टेशन पर जमा कर दो तो प्रति लिफाफे बीस रुपये मिलते हैं. अबकी वे
महाशय कुछ सन्नाटा सा खींचते समझ आये और हमने भी बैग पर ऐसे कब्ज़ा जमाया जैसे
उसमें कोई बड़ा खजाना रखा हुआ हो.
++++++++++
2 टिप्पणियाँ:
हा हा। बहुत खूब। अगली बार से हमारी नजर भी लिफाफों पर रहेगी। बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
हा हा हा हा ... सटीक राजा साहब ... बेहद सटीक ... इन जैसों को ऐसा ही जवाब देना था |
जय हो |
एक टिप्पणी भेजें
बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!