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शुक्रवार, 11 जनवरी 2019

५३ वर्षों बाद भी रहस्यों में घिरी लाल बहादुर शास्त्री जी की मृत्यु

प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |

आज ही के दिन ताशकन्द में पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब ख़ान के साथ युद्ध समाप्त करने के समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद 11 जनवरी 1966 की रात में ही रहस्यमय परिस्थितियों में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी की मृत्यु हो गयी थी। 
मृत्यु का कारण हार्ट अटैक बताया गया। शास्त्रीजी की अन्त्येष्टि पूरे राजकीय सम्मान के साथ शान्तिवन (नेहरू जी की समाधि) के आगे यमुना किनारे की गयी और उस स्थल को विजय घाट नाम दिया गया।

शास्त्रीजी की मृत्यु को लेकर तरह-तरह के कयास लगाये जाते रहे। बहुतेरे लोगों का, जिनमें उनके परिवार के लोग भी शामिल हैं, मत है कि शास्त्रीजी की मृत्यु हार्ट अटैक से नहीं बल्कि जहर देने से ही हुई। पहली इन्क्वायरी राज नारायण ने करवायी थी, जो बिना किसी नतीजे के समाप्त हो गयी ऐसा बताया गया। मजे की बात यह कि इण्डियन पार्लियामेण्ट्री लाइब्रेरी में आज उसका कोई रिकार्ड ही मौजूद नहीं है। यह भी आरोप लगाया गया कि शास्त्रीजी का पोस्ट मार्टम भी नहीं हुआ। 2009 में जब यह सवाल उठाया गया तो भारत सरकार की ओर से यह जबाव दिया गया कि शास्त्रीजी के प्राइवेट डॉक्टर आर०एन०चुघ और कुछ रूस के कुछ डॉक्टरों ने मिलकर उनकी मौत की जाँच तो की थी परन्तु सरकार के पास उसका कोई रिकॉर्ड नहीं है। बाद में प्रधानमन्त्री कार्यालय से जब इसकी जानकारी माँगी गयी तो उसने भी अपनी मजबूरी जतायी।

2009 में, जब साउथ एशिया पर सीआईए की नज़र (अंग्रेजी: CIA's Eye on South Asia) नामक पुस्तक के लेखक अनुज धर ने सूचना के अधिकार के तहत माँगी गयी जानकारी पर प्रधानमन्त्री कार्यालय की ओर से यह कहना कि "शास्त्रीजी की मृत्यु के दस्तावेज़ सार्वजनिक करने से हमारे देश के अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्ध खराब हो सकते हैं तथा इस रहस्य पर से पर्दा उठते ही देश में उथल-पुथल मचने के अलावा संसदीय विशेषधिकारों को ठेस भी पहुँच सकती है। ये तमाम कारण हैं जिससे इस सवाल का जबाव नहीं दिया जा सकता।"।


पिछले वर्ष आई अनुज धर की किताब "Your Prime Minister is Dead" में इस घुत्थी को परत दर परत सुलझाने का दावा जरूरी किया गया है पर वो एक लेखक के विचार हैं आधिकारिक रूप से उसे मान्यता नहीं दी गई है |


यह हम भारतियों का दुर्भाग्य ही है आजतक इस रहस्य के खुलासे कोई भी ठोस आधिकारिक जांच नहीं हुई | इसी उम्मीद के साथ कि शास्त्री जी को न्याय मिलेगा आज उनकी ५३ पुण्यतिथि पर ब्लॉग बुलेटिन टीम और हिन्दी ब्लॉग जगत की ओर से उनको सादर नमन |

सादर आपका

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सार्थक लेखन किसको कहते हैं ( 1000 वीं पोस्ट ) डॉ लोक सेतिया

सबका विकास - देश का विकास

किताबो के बाजार में...!!!

शिकायत और हिदायत

सबको सत्ता चाहिए

बच्चे जो मर जाते हैं

जाम हो, शराब हो, पर ख़ुमारी न हो

मधु ऋतु

हिंदी

नमो रागा और राष्ट्रीय महिला आयोग

भूतपूर्व प्रधानमंत्री स्व.लाल बहादुर शास्त्री जी की 53 वीं पुण्यतिथि

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अब आज्ञा दीजिए ... 

जय हिन्द !!!

9 टिप्पणियाँ:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

नमन स्व0 लाल बहादुर शास्त्री जी को उनकी पुण्यतिथि पर।

अनीता सैनी ने कहा…

भूतपूर्व प्रधानमंत्री स्व.लाल बहादुर शास्त्री जी उनकी पुण्यतिथि पर शत शत नमन |

बहुत सुन्दर प्रस्तुति

Meena Bhardwaj ने कहा…

स्व. श्री लाल बहादुर शास्त्री जी को शत शत नमन ।

Sadhana Vaid ने कहा…

लाल बहादुर शास्त्री जी की पुण्य तिथि पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि ! ऐसे महापुरुष धरा पर विरले ही जन्म लेते हैं ! आज के बुलेटिन में मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से धन्यवाद एवं आभार !

yashoda Agrawal ने कहा…

साद नमन..
भारत के लाल..
आदरणीय शास्त्री जी को...
बढ़िया बुलेटिन...
सादर..

गोपेश मोहन जैसवाल ने कहा…

नेता जी की मृत्यु के बाद शास्त्री जी की मृत्यु को भी मुख्य रूप से एक राजनीतिक शगूफ़े के रूप में उछाला जाता है. इस विषय में किसी भी व्यक्ति का कोई भी वक्तव्य आज तक पूर्णतया प्रामाणिक सिद्ध नहीं हुआ है. हाँ, परिस्थितियां यह अवश्य संकेत करती हैं कि शास्त्री जी की मृत्यु एक सीधे-सादे हार्ट अटैक की वजह से नहीं हुई थीं.
अब शास्त्री जी की मृत्यु के मुद्दे को सत्ताधारी दल, गाँधी परिवार को इसमें फंसने के लिए उठा रहा है. चुनावों के बाद इस मुद्दे को फिर से अल्मारी में बंद कर दिया जाएगा. स्वयं शास्त्री जी के बच्चे इस विषय में समय-समय पर अपने विचार बदलते रहे हैं. 53 साल पहले की इस दुर्घटना को उठाकर देश को कोई लाभ नहीं मिलने वाला है. आर्थिक और सैनिक दृष्टि से पिछड़े स्वतंत्र भारत की दुनिया में जो भी साख थी वह गाँधी जी और नेहरु जी के कारन थी और वह भी 1962 में चीन द्वारा भारत को पटखनी दिए जाने के बाद मिट गयी थी. 1966 के प्रारंभ तक भी यही स्थिति थी. अगर शास्त्री जी को ताशकंद समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया जा सकता था तो उनकी इस राज़ को भारत जाकर खोलने की आशंका से उनकी हत्या भी की जा सकती थी और तब भारत में इस काण्ड की जांच करने की कोई हैसियत नहीं थी और आज भी इस प्रकार की जांच हो नहीं सकती, यह सब जानते हैं किन्तु इस विवाद को भुनाना सब लोग चाहते हैं.

varsha ने कहा…

बचपन से ही शास्त्री जी की असामयिक मृत्यु की बातें सुनी लेकिन कभी ठोस जानकारी नहीं मिल सकी...पुण्यात्मा को नमन

शिवम् मिश्रा ने कहा…

आप सब का बहुत बहुत आभार |

मन की वीणा ने कहा…

देश के सच्चे सपूत लाल बहादुर शास्त्री जी को सादर श्रृद्धा सुमन अर्पित करती हूं ।

उनकी मृत्यु सदा रहस्य ही रही ।
आज का अंक बहुत शानदार है बहुत खोज कर एक एक सामग्री, बहुत सुन्दर सशक्त रचनाऐं।
इस अंक में मेरी रचना को शामिल करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया।
सभी रचनाकारों को बधाई ।

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