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मंगलवार, 8 जनवरी 2019

ये उन दिनों की बात है : ब्लॉग बुलेटिन


नमस्कार साथियो,
आज आपके सामने हाइकु कविता के साथ एक किया गया एक प्रयोग प्रस्तुत कर रहे हैं. हाइकु मूल रूप से जापानी कविता है. यह तीन पंक्तियों में लिखी जाती है. हिन्दी हाइकु के लिए पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी में 7 अक्षर और तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर होते हैं. इस तरह कुल 17 अक्षरों की कविता का नाम हाइकु है. यह अनेक भाषाओं में लिखे जाते हैं. इनमें वर्णों या पदों की गिनती का क्रम अलग-अलग हो सकता है किन्तु तीन पंक्तियों का नियम सभी में अपनाया जाता है.

हिन्दी हाइकु नियम का पालन करते हुए प्रयोग के रूप में हाइकु कविता के सम्मिलित रूप को एक कविता की तरह बनाया है. संभवतः आपको पसंद आएगा.


++

उन दिनों की
ये बात है जबकि
दिल था नादाँ.
.
तितली बन
उड़ता रहता था
दिन औ रात.
.
परियों संग
सैर आसमान की
मज़ेदार सी.
.
नहीं थी चिंता
कल की और न था
डर आज का.
.
छोटी मगर
दुनिया थी हसीन
यार-दोस्तों की.
.
उन दिनों की
ये बात है जबकि
तुम मिले थे.
.
एहसास था
वो अपनेपन का
कुछ मीठा सा.
.
ख़ामोश लफ़्ज़
दिल से दिल तक
राह बनाते.
.
बस गए थे
मुझ में तुम ऐसे
ज्यों धड़कन.
.
नहीं था पता
बदलेगा ख़्वाब में
ये अफ़साना.

++++++++++











5 टिप्पणियाँ:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

पसंद आया। बहुत सुन्दर।

शिवम् मिश्रा ने कहा…

बढ़िया प्रयास राजा साहब |

Digvijay Agrawal ने कहा…

आनन्दित हुआ...
आभार...
सादर

दिगम्बर नासवा ने कहा…

वाह ... बहुत खूब ...
हाइकू और रचना भी साथ ... सोने पे सुहागा ... अच्छा लगा ये प्रयोग आपका ... आभार मेरी रचना को स्थान देने के लिए आज ...

Smart Indian ने कहा…

सुंदर संकलन, धन्यवाद!

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