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गुरुवार, 3 जनवरी 2019

सुभाष बाबू जिन्दाबाद का जयघोष और ब्लॉग बुलेटिन


नमस्कार साथियो,
व्यावहारिक रूप से हमने भले ही आज़ादी सन 1947 में पाई हो मगर हम एक तरह से  30 दिसंबर 1943 को ही आजाद हो गए थे. इसी दिन देश के एक क्रांतिकारी बेटे ने स्वतंत्र भारत के रूप में राष्ट्र ध्वज फहराया था. देश के जन-जन में बसे महान स्वतंत्रता सेनानी और आजाद हिंद फौज के संस्थापक नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने सबसे पहले अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के पोर्ट ब्लेयर में राष्ट्र ध्वज फहराया था. नेताजी देश की तत्कालीन पहली अंतरिम सरकार के मुखिया के रूप में राष्ट्रध्वज के वाहक बने थे. सभी देशवासी इस दिन को पूरी श्रद्धा और देशभक्ति के साथ मनाते हैं. इसके बाद भी नेता जी के योगदान को विस्मृत कर दिया जाता है. अंग्रेजों की कैद से निकल कर विदेश जाना और वहाँ पहुँच कर तमाम देशों के सहयोग से आज़ाद हिन्द फ़ौज का गठन करना अपने आपमें अभूतपूर्व कार्य था. एक-दो नहीं वरन एशिया के अनेक देशों के सहयोग से नेताजी ने आजाद हिंद फौज का गठन किया. 


सन 1942 में अंग्रेजों से लड़ते हुए जापानी सेना अंडमान-निकोबार द्वीप समूह तक आ पहुंची और 23 मार्च 1942 को जापानी सेना ने अंडमान के द्वीपों पर कब्जा कर वहां से अंग्रेजी सेना को खदेड़ दिया. 25 अक्टूबर 1943 को नेताजी ने भी अंग्रेजी सरकार के खिलाफ युद्ध की घोषणा कर दी थी. नेताजी से प्रभावित होकर तत्कालीन जापानी प्रधानमंत्री हिदेकी तोजो ने 07 नवंबर 1943 को अंडमान-निकोबार द्वीपों को नेताजी की अंतरिम सरकार को सौंप दिया. इसके बाद नेताजी ने 30 दिसंबर 1943 को पहली बार अंडमान-निकोबार की धरती पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया. उन्होंने ने केवल राष्ट्रीय ध्वज फहराया बल्कि इन द्वीपों का नाम शहीद और स्वराज रखा. आज भी पोर्ट ब्लेयर के जिमखाना मैदान को अब नेताजी स्टेडियम के नाम से जाना जाता है, यहाँ पर तिरंगा फहराने के बाद नेताजी ने वहां के क्रांतिकारियों, आजाद हिंद फौज के सिपाहियों तथा जनता को संबोधित करते हुए कहा था कि हिंदुस्तान की आजादी की जो गाथा अंडमान की भूमि से शुरू हुई है वह दिल्ली में वायसराय के घर पर तिरंगा फहराने के बाद ही रुकेगी. 


वर्तमान में भारत सरकार द्वारा एक स्मारक का निर्माण उसी जगह पर किया गया है जहाँ कि नेताजी ने ध्वज फहराया था. इस स्थान पर प्रतिवर्ष 30 दिसंबर को स्थानीय प्रशासन द्वारा अनेक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. पोर्ट ब्लेयर जैसे छोटे से शहर में इस मौके पर हजारों की भीड़ का जुटना इसका परिचायक है कि अंडमान-निकोबार के निवासी सारे नेताजी को बहुत आदर के साथ याद करते हैं. देश के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 30 दिसम्बर 2018 को पोर्ट ब्लेयर के उसी पटल पर भारत का राष्ट्रीय ध्वज फहरा कर देश के स्वतंत्रता आंदोलन के शहीदों को पूरे राष्ट्र की तरफ से श्रद्धांजलि दी.


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5 टिप्पणियाँ:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सुन्दर बुलेटिन प्रस्तुति।

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत रोचक बुलेटिन...

संजय भास्‍कर ने कहा…

रोचक बेहतरीन रचनाओं का शानदार संकलन मेरी रचना को शामिल करने हेतु बहुत बहुत धन्यवाद !!

शिवम् मिश्रा ने कहा…

नेताजी ज़िंदाबाद | आज़ाद हिन्द फ़ौज ज़िंदाबाद |

जय हिन्द !

Jitu ने कहा…

मुझे आपकी वेबसाइट पर लिखा आर्टिकल बहुत पसंद आया इसी तरह से जानकारी share करते रहियेगा|
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