सभी हिंदी ब्लॉगर्स नमस्कार।
आज की बुलेटिन में बस इतना ही कल फिर मिलेंगे तब तक के लिए शुभरात्रि। सादर ... अभिनन्दन।।
सुमित्रानंदन पंत (अंग्रेज़ी: Sumitranandan Pant, जन्म: 20 मई 1900; मृत्यु: 28 दिसंबर, 1977) हिन्दी साहित्य में छायावादी युग के चार स्तंभों में से एक हैं। सुमित्रानंदन पंत नये युग के प्रवर्तक के रूप में आधुनिक हिन्दी साहित्य में उदित हुए। सुमित्रानंदन पंत ऐसे साहित्यकारों में गिने जाते हैं, जिनका प्रकृति चित्रण समकालीन कवियों में सबसे बेहतरीन था। आकर्षक व्यक्तित्व के धनी सुमित्रानंदन पंत के बारे में साहित्यकार राजेन्द्र यादव कहते हैं कि 'पंत अंग्रेज़ी के रूमानी कवियों जैसी वेशभूषा में रहकर प्रकृति केन्द्रित साहित्य लिखते थे।' जन्म के महज छह घंटे के भीतर उन्होंने अपनी माँ को खो दिया। पंत लोगों से बहुत जल्द प्रभावित हो जाते थे। पंत ने महात्मा गाँधी और कार्ल मार्क्स से प्रभावित होकर उन पर रचनाएँ लिख डालीं। हिंदी साहित्य के विलियम वर्ड्सवर्थ कहे जाने वाले इस कवि ने महानायक अमिताभ बच्चन को ‘अमिताभ’ नाम दिया था। पद्मभूषण, ज्ञानपीठ पुरस्कार और साहित्य अकादमी पुरस्कारों से नवाजे जा चुके पंत की रचनाओं में समाज के यथार्थ के साथ-साथ प्रकृति और मनुष्य की सत्ता के बीच टकराव भी होता था। हरिवंश राय ‘बच्चन’ और श्री अरविंदो के साथ उनकी ज़िंदगी के अच्छे दिन गुजरे। आधी सदी से भी अधिक लंबे उनके रचनाकाल में आधुनिक हिंदी कविता का एक पूरा युग समाया हुआ है।
आज सुमित्रानंदन पंत जी के 118वें जन्म दिवस पर हम सब उन्हें शत शत नमन करते हैं।
~ आज की बुलेटिन कड़ियाँ ~
आज की बुलेटिन में बस इतना ही कल फिर मिलेंगे तब तक के लिए शुभरात्रि। सादर ... अभिनन्दन।।
7 टिप्पणियाँ:
शुभ प्रभात हर्ष भाई
बेहतरीन बुलेटिन
सारी रचनाएँ अन पढ़ी हैं
अभी पढ़ी जाएँगी
सादर
सभी रचनाएँ सुंदर। पिंडारी ग्लेशियर यात्रा वर्णन ने इतना मन मोह लिया कि शुरू से अंत तक पढ़ गई। कविवर्य पंत जी को बुलेटिन के माध्यम से सादर नमन। मेरी रचना को शामिल करने हेतु सादर आभार।
मेरी रचना सम्मिलित करने के लिए आपको हार्दिक धन्यवाद..
सुन्दर बुलेटिन। नमन सुमित्रानन्दन पन्त को उनके जन्मदिवस पर।
कविवर सुमित्रानंदन पंत जी को सादर नमन।
सुंदर व विचारणीय प्रस्तुति।
सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएं।
सुन्दर बुलेटिन। मेरे यात्रा वृतांत को सम्मिलित करने के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद।।
आज की इस महत्वपूर्ण प्रस्तुति में माननीय सुमित्रनंदन पंत जी की चर्चा के साथ मेरी रचना भी सम्मिलित करने के लिए आपको हार्दिक धन्यवाद..
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