ओ लाडली,
कोई ताकीद नहीं है यह
बस एक बात है
इसे सुनो सिर्फ बात की तरफ
मानने के लिए नहीं, सोचने के लिए
जो लोग डरायें तुम्हें
उनसे डरना नहीं,
भिड़ने को तैयार रहना
ताकत जुटाना
मजबूती से लड़ना और जीतना
लेकिन बचाए रखना एक कोना संवाद का भी
कोमलता का भी
हो सकता है उनके भीतर कोई दोस्त मिल जाए
वो भय जो तुम्हें दिखा रहे थे
उनका ही कोई भय निकले वो
और अब तक हिंसक दिखने वाले
दिखने लगें निरीह और मासूम
जो विनम्रता और स्नेह से आते हों पेश
उनसे मिलना मुस्कराकर
करना बात मधुरता से
भरोसा करना उन पर
उनके कहे का रखना मान भी
कहना अपना मन भी
लेकिन बचाकर रखना एक संशय का कोना भी
कि न जाने विनम्रता की परत
कब उतर जाए
और स्नेह का कटोरा फूटा निकले
उनके कोमल स्पर्श में कांटे उगते महसूस होने लगें
खुद को महफूज रखने के लिए
जरूरी है बचाए जाने
थोड़े संशय और बहुत सारा भरोसा
11 टिप्पणियाँ:
सार्थक रचनाओं का सुंदर संकलन , मुझे स्थान देंव के लिए हार्दिक आभार रश्मि जी
सुन्दर बुलेटिन।
हार्दिक आभार आ0 रश्मि प्रभा जी ।
बेटी के नाम खत अत्यंत प्रभावशाली रचना । इसके अतिरिक्त अन्य प्रस्तुतियां भी अप्रतिम ।
शुभ प्रभी दीदी
सादर नमन
आनन्दित हुई आज की बुलेटिन देख कर
आभार...हम बेटियाों का
सादर
सुप्रभात,
सुन्दर लिंकों से सजा बुलेटिन,
आभार|
सुप्रभात, सुबह सुबह सुंदर सूत्रों का परिचय देता हुआ बुलेटिन मन को आशा से भर रहा है। आभार रश्मि जी !
बहुत सुंदर ....
बेहतरीन ब्लॉग बुलेटिन। सुंदर प्रस्तुति।
hardik dhnyavad rashmi di , sundar charcha aur hamen shamil karne hetu dil se abhar
बहुत खूब 👌👌
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