नमस्कार साथियो,
बुन्देलखण्ड
सदैव से अनेकानेक रत्नों से सुशोभित रहा है. शौर्य, सम्मान, कला, संस्कृति,
साहित्य, सामाजिकता आदि में यहाँ विलक्षणता देखने
को मिलती आई है. यहाँ के निवासी अपने-अपने स्तर पर बुन्देलखण्ड की संस्कृति को उत्कर्ष
पर ले जाने का कार्य करते रहते हैं. इसी कड़ी में बुन्देलखण्ड निवासी फिल्म अभिनेता
राजा बुन्देला उनकी पत्नी सुष्मिता मुखर्जी (जो फ़िल्मी
दुनिया का जाना-पहचाना नाम है) द्वारा ओरछा में इस वर्ष, 2018
में भारतीय फिल्म समारोह का आयोजन किया गया. पाँच दिवसीय यह आयोजन 18 मई से
लेकर 22 मई तक चला. राजा बुन्देला फिल्मों की दृष्टि से जाना-पहचाना नाम है और उनकी
एक विशेषता यह भी है कि मुम्बई में रहने के बाद भी वे बराबर, नियमित रूप से बुन्देलखण्ड से सम्पर्क बनाये हुए हैं. बुन्देलखण्ड राज्य की
माँग में भी उनकी आवाज़ सुनाई देती है.
बुन्देलखण्ड
की उस पावन धरा में, जहाँ श्रीराम राजा रूप
में विराजमान हैं, भारतीय फिल्म समारोह का आयोजन अपने आपमें सुखद
एहसास जगाता है. ओरछा में राजा बुन्देला द्वारा स्थापित, संस्कारित
रुद्राणी कलाग्राम में पाँच दिवसीय फिल्म समारोह का आयोजन निश्चित ही बुन्देलखण्ड
की उन प्रतिभाओं को एक मंच दिया, जो स्व-प्रोत्साहन, स्व-संसाधनों से फिल्म निर्माण में सक्रिय हैं. ओरछा में बेतवा नदी के किनारे
लम्बे-चौड़े प्राकृतिक क्षेत्र में फैले रुद्राणी कलाग्राम में भारतीय फिल्म समारोह
के लिए दो टपरा टॉकीज बनाई गईं हैं. टपरा टॉकीज एक तरह की अस्थायी व्यवस्था
होती है जो बाहर से महज एक विशालकाय तम्बू जैसी प्रतीत होती है मगह अन्दर से पूरी तरह
से किसी हॉल का एहसास कराती है. एक टपरा टॉकीज में बुन्देलखण्ड क्षेत्र में बनी फिल्मों
का प्रदर्शन किया जा रहा है और दूसरी में हिन्दी फीचर फ़िल्में दिखाई जा रही हैं. इसके
साथ-साथ सांध्यकालीन सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के लिए सुरम्य प्राकृतिक वातावरण में,
हरे-भरे घने वृक्षों के आँचल में मुक्ताकाशी मंच का निर्माण किया गया
है. कलाग्राम के दूसरी ओर बने स्थल पर फिल्म से सम्बंधित विषय पर आख्यान की भी व्यवस्था
है. जहाँ फ़िल्मी दुनिया के रोहिणी हट्टंगड़ी, रजत कपूर, केतन आनंद, नफीसा अली,
यशपाल शर्मा जैसे नामचीन कलाकार सबसे रू-ब-रू होते हैं.
सबकुछ
यथावत चलता देखकर अच्छा लगा. एक अकेले व्यक्ति राजा बुन्देला के प्रयास और उनके छोटी
सी टीम के समर्पण से यह समारोह सुखद अनुभूति दे रहा है. यद्यपि इस पहले प्रयास में
कुछ कमियां भी देखने को मिलीं तथापि वे इस कारण नकारने योग्य हैं क्योंकि एक तो यह
पहला प्रयास है, दूसरे बिना किसी तरह की आर्थिक मदद के इतना बड़ा
आयोजन करवाना अपने आपमें जीवट का काम है. राजा बुन्देला और उनकी पत्नी सुष्मिता मुखर्जी
इन कमियों को देख-महसूस कर रहे हैं और अगले आयोजन में इनको सुधारने की इच्छाशक्ति भी
व्यक्त करते हैं. यही संकल्पशक्ति ही ऐसे समारोहों का भविष्य तय करती है. जिस स्तर
का समारोह हो रहा है, जिस तरह का उद्देश्य लेकर समारोह संचालित
है, जिस तरह का मंच कलाकारों को प्रदान किया जा रहा है उससे आने
वाले समय में निश्चित ही बुन्देलखण्ड को, यहाँ के कलाकारों को
फिल्म क्षेत्र में उत्कृष्ट पहचान मिलेगी. बुन्देलखण्ड की कला-प्रतिभाओं को
शुभकामनाओं, उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना सहित आज की बुलेटिन आपके सामने प्रस्तुत
है.
4 टिप्पणियाँ:
हम भी बुन्देलखण्ड की कला-प्रतिभाओं को अपनी शुभकामनाएं देते हैं |
अनूठी ज्ञानवर्धक रचनाओं का संकलन,प्रभावशाली अग्रलेख व प्रस्तुति। सादर धन्यवाद इन ब्लॉग्स से परिचित कराने के लिए.....
बहुत बढ़िया बुलेटिन प्रस्तुति
Thank you very much for giving me place in Buletin.
I wish for a great success of Bundelkhand
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