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शुक्रवार, 27 अप्रैल 2018

जज साहब के बुरे हाल

प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम|

एक बार एक व्यक्ति ने अदालत में तलाक की अर्जी दी ... तारीख़ आने पर जज ने सवाल किया ...

जज: तुम्हें तलाक़ क्यों चाहिए?

याचिका कर्ता: जज साहब, मेरी पत्नी मुझ से लहसुन छिलवाती है, प्याज़ कटवाती है, बर्तन मँजवाती है!

जज: इसमें दिक्कत क्या है? लहसुन को थोड़ा गर्म कर लिया करो आसानी से छीले जायेगें!
प्याज को काटने से पहले फ्रिज में रख दिया करो, काटने के समय आँखें नहीं जलेगी!
बर्तन मांजने से 10 मिनट पहले भरे टब में डाल दिया करो आसानी से साफ़ हो जायेगें!
कपडे सर्फ में डालने से आधा घंटा पहले सादे पानी में भिगो दो दाग आसानी से निकल जायेगें और हाथों को भी तकलीफ नहीं होगी!

याचिका कर्ता: समझ गया हज़ूर! अर्जी वापिस ही दे दो मेरी!

जज: क्या समझे?

याचिका कर्ता: यही कि, आपकी हालत मुझसे भी खराब है!

सादर आपका

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फाँस















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अब आज्ञा दीजिये ...

जय हिन्द !!!

7 टिप्पणियाँ:

विभा रानी श्रीवास्तव ने कहा…

हार्दिक आभार
आपके पोस्ट की भूमिका बेहद पसंद है

Meena sharma ने कहा…

मनोरंजक भूमिका एवं पठनीय लिंकों का संकलन ! अच्छी प्रस्तुति बुलेटिन की.... मेरी रचना का चयन करने हेतु सादर आभार !

yashoda Agrawal ने कहा…

सुबह की शुरुआत अच्छी रही
एक शानदार बुलेटिन
सादर

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

बढ़िया बुलेटिन।

Rohitas Ghorela ने कहा…

"..मै दो बाप कि ओलाद हो गया" नामक लेख ने खासा प्रभावित किया. पढ़ कर लगा कि आज भी सचे लोग जिन्दा है.

इस बुलेटिन के सारे लिंक्स बेहद लाजवाब रहे.

मुझे इस बुलेटिन का नीव बनाने के लिए आभार. :)

अर्चना तिवारी ने कहा…

अच्छे सूत्र हैं।

Anita ने कहा…

रोचक भूमिका के साथ सुंदर सूत्रों तक ले जाता शानदार बुलेटिन..आभार !

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