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बुधवार, 2 अक्टूबर 2013

बुलेटिन में लिंक्स हों - ज़रूरी तो नहीं (1)




अम्मा की एक नहीं कई तस्वीरें उभरती हैं 
बाल संवारती अम्मा 
सपनों को 
एहसासों को - शब्द देती अम्मा 
धर्मयुग ढूंढती 
चम्मच गिनती 
न मिलने पर 
हमारी शामत लाती 
माइग्रेन के विस्फोटक दर्द में रोती 
खिलखिलाती,चिढाती,लूडो में हारकर लड़ती अम्मा 
बिगड़ी चीजों को शक्ल देती अम्मा  ……………
…………। 
डायरी में उसने सिर्फ अपने एहसासों को नहीं संजोया 
कब किसने क्या कहा,क्या लिखा 
सबकुछ जतन से रखा है 
बिल्कुल ताजे ताजे !
पति,बच्चे,दोस्त,पड़ोसी,काम करनेवाले  
सब उसकी ज़िन्दगी के पन्नों में हैं 
उसकी कॉपी हो या छोटी सी नोटबुक 
डायरी या कोई कतरा कागज़ का 
उसमें गुजरे हुए हर पल और मोड़ हैं। 
…. 
शायद तुम भूल गए होगे 
मैं भूल गई होऊं 
वे भूल गए हों 
पर उसकी कलम ने यादों का कमरा बनाया है 
पन्ने की किसी सुराही में दर्द है 
किसी कटोरे में ख़ुशी 
किसी सिरहाने इंतज़ार 
- समय दो 
तो जीवन की मासूमियत पा लोगे। 

- उनकी डायरी का एक अंश = 29 जून 2009 

चेहरे से झाँकती लकीरों में 
एक लंबा सफरनामा अंकित है 
अक्सर किसी लम्हें को पास बिठाकर 
बातें करती हूँ,
तो लगता है - कहीं बारिश हो रही है 
हथेली में भरकर 
देखती हूँ बूंदों को 
इनमें छिपा है ज़िन्दगी का राज़ 
मेरे पास आकर सुनो 
निरंतर बजता है कोई साज 
- वही साज 
जिस पर कभी खुलकर गाया था 
लोगों का दिल बहलाया था !
सफरनामे पर दौड़ती तुम्हारी दृष्टि 
बताती है,
शायद तुम साज सुन रहे हो 
और लगता है - बीते कल की स्तुति दुहराने पर बाध्य हो जाओगे 
वंस मोर प्लीज़ वंस मोर !



बुलेटिन में लिंक्स हों - ज़रूरी तो नहीं - फिर भी कुछ लिंक्स 

12 टिप्पणियाँ:

राजीव कुमार झा ने कहा…

अम्मा की यादों को संजोती,सुंदर बुलेटिन,आज का.

shikha varshney ने कहा…

संग्रहणीय बुलेटिन.

SANJAY TRIPATHI ने कहा…

माँ से जुडी भावनाओं का सुंदर प्रस्तुतिकरण

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

बहुत उम्दा माँ की भावनाओं जुड़े सुंदर लिंक्स एवं रचना !

RECENT POST : मर्ज जो अच्छा नहीं होता.

HARSHVARDHAN ने कहा…

माँ को समर्पित आज की कड़ियाँ।। अम्मा जी को हमारा भी सादर नमन।।

शिवम् मिश्रा ने कहा…

अम्मा को सादर प्रणाम !
बस ऐसे ही खुद को संभालिए और हम सब को भी ... :)

kunal kumar ने कहा…

Sundar post hamare blog par bhi aakar apni ray de next post hai MS OFFICE

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

ममताभरा बुलेटिन, आभार

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

अम्मा....................
:-(
याद कर करके आँसू बहाने से ही शायद दर्द कम हो.....

सादर
अनु

Darshan jangra ने कहा…

सुंदर बुलेटिन आभार

विभा रानी श्रीवास्तव ने कहा…

!!

Tamasha-E-Zindagi ने कहा…

सुन्दर बुलेटिन दी |

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