नमस्कार दोस्तों,
प्रस्तुत है आज की बुलेटिन मेरी नई कविता के साथ -
कौन निभाता किसका साथ
आती है रह-रह कर यह बात
मर कर भी ना भूलें जो बातें
कोई बंधा दे अब ऐसी आस
गुज़रे लम्हों को लगे जिलाने
रो रो दिनभर कर ली है रात
सूना यह दिल किसे पुकारे
दया ना आती जिसको आज
आना होता अब तो आ जाता
अपनी कहने सुनने को पास
कह देता इतना मत रो अब
यह अपने आपस की बात
झूठी हसरत सुला कब्र में
सुबह हुई 'निर्जन' अब जाग
आती है रह-रह कर यह बात
कौन निभाता किसका साथ
आज की कड़ियाँ
पता नहीं समझने में कौन ज्यादा जोर लगाता है - सुशिल कुमार जोशी
स्मृतियाँ - अनुलाता
जाने कहाँ चली गई ज़िंदगी - रेखा जोशी
अल्टीमेट मूल्य सूची - रविशंकर श्रीवास्तव
साठ माह और सही - कृतीश भट्ट
ख्वाब के पौधे - शहीद अंसारी
बददुआ - उदय
रिश्ते, नेहरू और पटेल के - मोहन क्षत्रिय
हिन्दुस्तान में हिन्दू होने की सजा - विकेश
इन मुखौटों की सच्चाई तुम क्या जानो - उपासना सिआग
लाज - इमरान अंसारी
आज के लिए बस इतना ही फिर मुलाक़ात होगी तब तक के लिए विदा |
जय हो मंगलमय हो | हर हर महादेव | जय बजरंगबली महाराज
प्रस्तुत है आज की बुलेटिन मेरी नई कविता के साथ -
कौन निभाता किसका साथ
आती है रह-रह कर यह बात
मर कर भी ना भूलें जो बातें
कोई बंधा दे अब ऐसी आस
गुज़रे लम्हों को लगे जिलाने
रो रो दिनभर कर ली है रात
सूना यह दिल किसे पुकारे
दया ना आती जिसको आज
आना होता अब तो आ जाता
अपनी कहने सुनने को पास
कह देता इतना मत रो अब
यह अपने आपस की बात
झूठी हसरत सुला कब्र में
सुबह हुई 'निर्जन' अब जाग
आती है रह-रह कर यह बात
कौन निभाता किसका साथ
पता नहीं समझने में कौन ज्यादा जोर लगाता है - सुशिल कुमार जोशी
स्मृतियाँ - अनुलाता
जाने कहाँ चली गई ज़िंदगी - रेखा जोशी
अल्टीमेट मूल्य सूची - रविशंकर श्रीवास्तव
साठ माह और सही - कृतीश भट्ट
ख्वाब के पौधे - शहीद अंसारी
बददुआ - उदय
रिश्ते, नेहरू और पटेल के - मोहन क्षत्रिय
हिन्दुस्तान में हिन्दू होने की सजा - विकेश
इन मुखौटों की सच्चाई तुम क्या जानो - उपासना सिआग
लाज - इमरान अंसारी
आज के लिए बस इतना ही फिर मुलाक़ात होगी तब तक के लिए विदा |
जय हो मंगलमय हो | हर हर महादेव | जय बजरंगबली महाराज
12 टिप्पणियाँ:
आती है रह-रह कर यह बात
कौन निभाता किसका साथ
सच्ची बात .....
वक़्त लगता हैं एक एक लिंक तक जाने में .पढ़कर वह ही कमेंट करूंगी आपने अछे लिनक्स संजोये हैं शुक्रियां
बेहतरीन सूत्रों के साथ उल्लूक का पता नहीं समझने में कौन ज्यादा जोर लगाता है को भी शामिल किया आभार बहुत सुंदर बुलेटिन प्रसारित आज किया !
वाह बहुत खूब ... बढ़िया भाव दर्शाये कविता के माध्यम से ... बुलेटिन भी चकाचक है ... जय हो |
bahut khoob ... behatreen ...
सुंददर चर्चा...
सादर।
बढ़िया बुलेटिन.....हमारी रचना को शामिल करने का शुक्रिया..
अनु
बहुत बहुत शुक्रिया हमारे ब्लॉग कि पोस्ट को यहाँ शामिल करने का |
Bahut khoob!! Dekhta hoon dhire dhire..
बढ़िया बुलेटिन...
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पठनीय बुलेटिन..
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