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शुक्रवार, 25 अक्टूबर 2013

सब 'उल्टा-पुल्टा' चल रहा है - ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय ब्लॉगर मित्रों ,
प्रणाम !

आज २५ अक्तूबर है ... ठीक एक साल पहले आज ही के दिन एक दुर्घटना मे हम सब ने एक ज़िंदादिल इंसान और एक बेहद उम्दा व्यंग्यकार को खो दिया ... 

जसपाल भट्टी (3 मार्च 1955 – 25 अक्तूबर 2012) हिन्दी टेलिविज़न और सिनेमा के एक जाने-माने हास्य अभिनेता, फ़िल्म निर्माता एवं निर्देशक थे। व्यंग्य चित्रकार (कार्टूनिस्ट) जसपाल भट्टी, 80 के दशक के अंत में दूरदर्शन की नई प्रातःकालीन प्रसारण सेवा में उल्टा-पुल्टा कार्यक्रम के माध्यम से प्रसिद्ध हुए थे। इस शो से इससे पहले जसपाल भट्टी चण्डीगढ़ में द ट्रिब्यून नामक अख़बार में व्यंग्य चित्रकार के रूप में कार्यरत थे। एक व्यंग्य चित्रकार होने के नाते इन्हे आम आदमी से जुड़ी समस्याओं और व्यवस्था पर व्यंग्य के माध्यम से चोट करने का पहले से अनुभव था। अपनी इसी प्रतिभा के चलते उल्टा-पुल्टा को जसपाल भट्टी बहुत रोचक बना पाए थे। ९० के दशक के प्रारम्भ में जसपाल भट्टी दूरदर्शन के लिए एक और टेलीविज़न धारावाहिक, फ्लॉप शो लेकर आए जो बहुत प्रसिद्ध हुआ और इसके बाद जसपाल भट्टी को एक कार्टूनिस्ट की बजाय एक हास्य अभिनेता के रूप में जाना जाने लगा। हिन्दी फिल्म जगत मे भी उन्होने अपनी मजबूत पैठ बनाई | २५ अक्टूबर, २०१२ को सुबह ३ बजे जालंधर, पंजाब में एक सड़क दुर्घटना में उनका निधन हो गया।

पूरी ब्लॉग बुलेटिन टीम और हिन्दी ब्लॉग जगत की ओर से हम भट्टी साहब को शत शत नमन करते है !
सादर आपका 
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आइये जानते हैं रैनसमवेयर (Ransomware)नाम के कंप्यूटर वायरस के बारे में

manoj jaiswal at ultapulta
[image: आइये जानते हैं रैनसमवेयर नाम के कंप्यूटर वायरस के बारे में] म नोज जैसवाल : सभी पाठकों को मेरा प्यार भरा नमस्कार। काफी समय पहले जब मैने यह ब्लॉग बनाया और इसका नाम रखा। तब मुझे नहीं मालूम था कि इसी नाम से स्वर्गीय श्री जसपाल भट्टी साहब ने अपना एक सीरियल भी बनाया था। मैं जल्द से जल्द अपने इस ब्लॉग का नाम कोई दूसरा रख लेने का प्रयास करूंगा। जसपाल भट्टी साहब की प्रथम पुण्यतिथि पर स्वर्गीय श्री जसपाल भट्टी साहब को शत शत नमन। आज की पोस्ट में मैं आपको जानकारी दूँगा 'आइये जानते हैं रैनसमवेयर नाम के कंप्यूटर वायरस के बारे में' एक नया कंप्यूटर वायरस सामने आया है, जिसे रैनसमवेयर कहा Rea... more » 

हनुमान जी का एक और रूप, सालासर के बालाजी महाराज

गगन शर्मा, कुछ अलग सा at कुछ अलग सा
श्री श्री बाला जी महाराज राजस्थान के चूरू जिले के एक कस्बे सुजानगढ़ से करीब 34 किलोमीटर दूर एक गांव, सालासर, जो नॅशनल हाईवे 65 पर पड़ता है. इसी के बीचोबीच स्थित है हनुमान जी का सुप्रसिद्ध बालाजी का मंदिर. जहां साल भर भक्तों का तांता लगा रहता है. चैत्र और आश्विन पूर्णिमा के समय यहाँ मेला भरता है जब लाखों लोग अपनी आस्था और भक्ति के साथ यहाँ आकर हनुमान जी के दर्शन का पुण्य लाभ उठाते हैं. मंदिर की चांदी जड़ी दीवारें मंदिर के बारे में जनश्रुति है कि वर्षों पहले नागौर जिले के एक गांव असोटा के एक किसान को अपने खेत में काम करने के दौरान हनुमान जी की एक मूर्ती प्राप्त हुई. दिन था .more » 

फ्लावर वेस (flower vase)

महंगे कीमती फ्लावर वेस में करीने से लगा व सजा मेरा जीवन मूल पौधे से कट कर फिर भी पानी व खाद के साथ एसी कमरे मे सजा कर बढ़ा दी गई लाइफ मेरी पर कहाँ रह पता मेरा जीवन वो पौधे से जुड़े रह कर खिलना और फिर गर्मी व अंधर में जल्द ही मुरझा जाना मुझे तो दे दो ऐसा ही जीवन दरख्तों से जुड़े रह कर मुसकाना,खिलखिलाना और फिर यूं ही गिरती पंखुड़ियों की बिछती सैया मे शामिल हो जाना मैं तो चाहती बस ऐसा ही जीवन रासायनिक खादों से भरपूर जीवन देकर पर,फिर तोड़ कर अंततः फ्लावर वेस में सजा कर मत करो मेरा बरबाद जीवन बिखेरने दो सुरभि मुझे पराग निषेचन के लिए आने दो मेरे पंखुड़ियों पर तितलियों ... more » 

जय, जय, जय शोभन सरकार...

आने वाले हैं अब चुनाव, कहां है सौना मुझे बताओ, कृपा करो मुझ पर अब, जय, जय, जय शोभन सरकार... मिलता मुझे येसौना सारा, चमक जाता भाग्य का सितारा, देता नोट, लेता वोट, जय, जय, जय शोभन सरकार... जंता के बीच कैसे जाऊं, क्या अपनी मजबूरी बताऊं, न कर सका पूरे चुनावी वादे, जय, जय, जय शोभन सरकार... रात को अब नींद न आती, दिन को कुर्सी की चिंता सताती, जो भी कहो, मैं दूंगा जीतकर, जय, जय, जय शोभन सरकार... जब जीतकर मैं आऊंगा, तुम्हारे मंदिर को महल बनाउंगा, तुम्हे विश्व ख्याती दिलाउंगा जय, जय, जय शोभन सरकार...

192..कसीदाकारी

ऋता शेखर मधु at मधुर गुंजन
* * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * *आज दर्द का इक **टुकड़ा * *फ़लक में उड़ा दिया हमने* *चंद ख्वाबों से हँसकर* *पीछा छुड़ा हमने* *चाँद से चुराकर एक किरन* *जीवन की चादर पर* *कसीदाकारी की है* *बड़े जतन से * *समेटकर शबनम* *यादों की रुनझुन पायल पर* *मीनाकारी की है* *होठों पर सजाकर* *मुसकान की कलियाँ* *खुश्बुओं को ओढ़ने की * *अदाकारी की है* *ऐ जिन्दगी,* *तुम भी तो हम इंसानों के संग* *तरह तरह की बाजीगरी दिखाती हो* *तुम्हारी प्रतिद्वंदि बन कर* *तुमसे टक्कर लेने को* *फिर क्यूँ न हम भी कारीगरी कर जाएँ|* *.........................ऋता* 

क्या फेसबुक से ब्लॉग पर सक्रियता कम हो रही है ? (5)

रेखा श्रीवास्तव at मेरा सरोकार
कहने को तो फुरसतिया जी नाम से लगते हैं कि बड़ी फुरसत में रहते होंगे, लेकिन विषय पर उन्होंने अपने ब्लॉग से कथन उठाने की अनुमति दी है। सो विषय के अनुरूप हमने उनके विचारों को लिया। सफाई इसा लिए पेश कर रही हूँ कि चोरनी का लेबल न लग जाय ! संकलक के अभाव में यह कहना मुश्किल है कि ब्लॉग बनने की गति क्या है और प्रतिदिन छपने वाली पोस्टों की संख्या क्या है लेकिन यह तय बात है कि ब्लॉग धड़ाधड़ अब भी बन रहे हैं और लोग पोस्टें भी लिख रहे हैं। फ़िर यह बात कैसे फ़ैली कि ब्लॉगिंग कम हो गयी है। हुआ शायद यह कि कुछ लोग जो पहले से लिख रहे थे और जिनके पाठक... more » 

अकथ

आनंद कुमार द्विवेदी at आनंद
मैंने कह दिया, लेकिन कह पाया केवल खुद को नहीं नहीं खुद की इच्छाओं को, अकथ आज भी नहीं कहा जा सका मुझसे मैं ये क्या कह रहा हूँ और क्यों ? पर... क्या मैं कह रहा हूँ ये सब, मैं तो तुम हो गया हूँ प्रियतम ये कहना भी अर्चन है तुम्हारा मेरे मंदिर के घंटियों की ध्वनियाँ इन्हें बेतरतीब ही स्वीकार लो ! - आनंद 

इंतज़ार में हूँ

आजकल मेरा समय काटे नहीं कटता है सारा दिन तुम्हारे ख्यालों में खोया रहता है समस्त बातों का केंद्रबिंदु हो गए हो तुम. सारे विचार तुम तक जाकर लौट आते हैं मेरे सारे सपने तुम में ही ठौर पाते हैं तुम और तुम्हारे एहसास से लिपटी रहती हूँ अपने इस हाल पर विस्मित रहती हूँ . यहाँ,मेरा यह हाल है .... पर, पता नहीं तुम वहाँ क्या करते हो ? क्या कभी तुम्हें मेरा ख्याल आता है क्या तुम मुझे अपने पास पाते हो कभी मेरी कमी का एहसास होता है इन सभी सवालों के जवाब पाने के लिए .. मैं बहुत बेचैन रहती हूँ .. पर,तुम तो फिर तुम हो न मैं आँखों से जब कहती हूँ तुम अनदेखा कर जाते हो जो मैं तुमसे कुछ पूछूँ तुम... more » 

क्षणिकाएं

कम्पोज़ की गोली वह बिचोलिया है जो अक्सर मेरी नींद और मेरे सपनो का मेल करवा देती है ***************** सो रही है रात जाग रही आँखे जैसे मंजिल से दूर बेनाम सा कोई रास्ता ............ *************** दिवार पर छेद करती ड्रिल मशीन भुरभुरा कर गिरती लाल मिट्टी न जाने क्यों एक सी लगी मुझे तेरे और अपने होने की .... *********** कैसे हो होती हैं पल पल मेरी ज़िन्दगी भी ठीक उस सांवली रात की तरह .. जो सूरज से मिलने की तड़प की इन्तजार में सिसक सिसक कर दम तोड़ देती है | और यूँ ही उम्र तमाम होती जाती है भुरभुरा के दुःख सुख की परतों में 

सुरसा सी बढ़ रही मंहगाई से आम आदमी त्रस्त और नेता हैं मस्त ....

mahendra mishra at समयचक्र
देश में जिस तरह से मंहगाई बढ़ रही है उससे आम आदमी त्रस्त हो गया है. कभी प्याज तो कभी दूध तो कभी सब्जियां इनके दाम इस कदर तेजी के साथ बढ़ रहे हैं कि लोगबाग परेशान हैं . अभी प्याज के मूल्यों में जिस तरह से तेजी आई कि यह आम आदमी की भोजन की थाली से दिनोंदिन दूर होती जा रही है. केन्द्रीय मंत्री उलजुलूल बयान दे रहे हैं . कोई मंत्री कहता है कि प्याज की जमाखोरी के कारण प्याज के दामों में तेजी आई है तो दूसरा मंत्री कहता है कि देश में प्याज की जमाखोरी नहीं हो रही है और अधिक बारिश के कारण प्याज की फसल खराब हो गई है और उसकी सप्लाई समय पर नहीं हो पा रही है. एक प्रदेश के मुख्यमंत्री ने दूसरे प्रद... more » 

एक आवाज़ जिसने गज़ल को दिए नए मायने

मखमली आवाज़ की रूहानी महक और ग़ज़ल के बादशाह जगजीत सिंह को हमसे विदा हुए लगभग २ साल बीत चुके हैं, बीती १० तारिख को उनकी दूसरी बरसी के दिन, उनकी पत्नी चित्रा सिंह ने उनके करोड़ों मुरीदों को एक अनूठी संगीत सी डी का लाजवाब तोहफा दिया. "द वोईस बियोंड' के नाम से जारी इस नायब एल्बम में जगजीत के ७ अप्रकाशित ग़ज़लें सम्मिलित हैं, जी हाँ आपने सही पढ़ा -अप्रकाशित. शायद ये जगजीत की गाई ओरिजिनल ग़ज़लों 
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 अब आज्ञा दीजिये ...
 
जय हिन्द !!!

14 टिप्पणियाँ:

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

pyare links
mujhe bhi shamil karne ke liye dhanyawad.......

shikha varshney ने कहा…

बढ़िया बुलेटिन .. देखते हैं लिंक्स.
भट्टी साहब को नमन.

समय चक्र ने कहा…

समयचक्र की पोस्ट को सम्मिलित करने के लिए आपका आभारी हूँ ....

ऋता शेखर 'मधु' ने कहा…

achhe links mile...meri rachna shamil karne ke liye aabhar !!

रेखा श्रीवास्तव ने कहा…

भट्टी साहब को नमन ! ऐसे जिंदादिल लोग रोज पैदा नहीं होते। लिंक्स देख रही हूँ। मुझे शामिल करने के लिए आभार !

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

भट्टी साहब को नमन. मुझे शामिल करने के लिए आभार !

अजय कुमार झा ने कहा…

जिंदगी को जीने का एक नया अंदाज़ सिखाने वाले जसपाल भट्टी को यूं याद करने का मौका देने के लिए , आपका शुक्रिया शिवम भाई , लिंक्स के सुंदर संयोजन से पन्ना परिपूर्ण होकर बुलेटिन को सार्थकता प्रदान कर रहा है । आभार

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

सुन्दर व पठनीय सूत्र

Unknown ने कहा…

सुन्दर व पठनीय सूत्र, स्वर्गीय श्री जसपाल भट्टी साहब को नमन। मेरी पोस्ट को शामिल करने के लिए ह्रदय से आभार।

Asha Joglekar ने कहा…

सुंदर लिंक्स की सुंदर चर्चा।

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

स्व॰ श्री जसपाल भट्टी को श्रद्धासुमन !
सुंदर चर्चा सुंदर प्रस्तुति !

शिवम् मिश्रा ने कहा…

आप सब का बहुत बहुत आभार !

kuldeep thakur ने कहा…

सुंदर चर्चा में मेरी रचना शामिल की गयी आभार...

चला बिहारी ब्लॉगर बनने ने कहा…

Ek zindadil insaan jo sada jeevit hain hamare andar..
Behatareen links..

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