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सोमवार, 11 जून 2018

२ महान क्रांतिकारियों की स्मृतियों को समर्पित ११ जून

प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |
 
 
राम प्रसाद 'बिस्मिल' (जन्म: ११ जून १८९७ फाँसी: १९ दिसम्बर १९२७)

राम प्रसाद 'बिस्मिल' भारत के महान क्रान्तिकारी व अग्रणी स्वतन्त्रता सेनानी ही नहीं, अपितु उच्च कोटि के कवि, शायर, अनुवादक, बहुभाषाभाषी, इतिहासकार व साहित्यकार भी थे जिन्होंने भारत की आजादी के लिये अपने प्राणों की आहुति दे दी। शुक्रवार ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी विक्रमी संवत् १९५४ को उत्तर प्रदेश के ऐतिहासिक नगर शाहजहाँपुर में जन्मे राम प्रसाद जी को ३० वर्ष की आयु में सोमवार पौष कृष्ण एकादशी विक्रमी संवत् १९८४ को बेरहम ब्रिटिश सरकार ने गोरखपुर जेल में फाँसी दे दी। 'बिस्मिल' उनका उर्दू तखल्लुस (उपनाम) था जिसका हिन्दी में अर्थ होता है आत्मिक रूप से आहत। बिस्मिल के अतिरिक्त वे राम और अज्ञात के नाम से भी लेख व कवितायें लिखते थे। उन्होंने सन् १९१६ में १९ वर्ष की आयु में क्रान्तिकारी मार्ग में कदम रक्खा और ३० वर्ष की आयु में फाँसी चढ़ गये। ग्यारह वर्ष के क्रान्तिकारी जीवन में उन्होंने कई पुस्तकें लिखीं जिनमें से ग्यारह उनके जीवन काल में प्रकाशित भी हुईं। ब्रिटिश सरकार ने उन सभी पुस्तकों को जब्त कर लिया ।
लीला नाग (02/10/1900 - 11/06/1970)

लीला नाग का जन्म ढाका के प्रतिष्ठित परिवार में 2 अक्तूबर 1900 ई. में हुआ था। उनके पिता का नाम गिरीश चन्द्र नाग और माता का नाम कुंजलता नाग था | 

लीला नाग (बाद में लीला राय) का भारत की महिला क्रांतिकारियों में विशिष्ट स्थान है। पर दुर्भाग्य से उन्हें अपने योगदान के अनुरूप ख्याति नहीं मिल पाई।

1947 के विभाजन के दंगों के दौरान लीला राय गांधी जी के साथ नौआखली मे  मौजूद थी ... गांधी जी के वहाँ पहुँचने से भी पहले लीला राय ने वहाँ राहत शिविर की स्थापना कर ली थी और 6 दिनों की पैदल यात्रा के दौरान लगभग 400 महिलाओं को बचाया था | 

आज़ादी के बाद लीला राय कलकते मे ही जरुरतमन्द महिलाओं और ईस्ट बंगाल के शरणार्थीयों के लिए कार्य करती रही |

कलकते मे ही 11 जून 1970 को लीला राय जी का निधन हुआ |

ब्लॉग बुलेटिन टीम और हिन्दी ब्लॉग जगत की ओर से आज हम इन दोनों महान क्रांतिकारियों को सादर नमन करते हैं !! 
वन्दे मातरम !!
इंकलाब ज़िंदाबाद !!
सादर आपका
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याद कर लेना कभी हमको भी भूले भटके

माँ हो ऐसी ~

महिला शक्ति : फर्श से अर्श तक ऐसा था प्रथम 'महिला फाइटर पायलट' अवनि चतुर्वेदी का सफर, 7 खास बातें

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कुछ तो है...

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साथ गर मेरा तुम्हे स्वीकार हो ...

बर्थ नंबर तीन...

जरूरी है फटी रजाई का घर के अन्दर ही रहना खोल सफेद झक्क बस दिखाते चलें धूप में सूखते हुऐ करीने से लगे लाईन में

ग़ज़ल

कहानी नहीं है ( बेबसी जुर्म है ) - डॉ लोक सेतिया

तू चन्दा मैं चाँदनी - 2

~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
अब आज्ञा दीजिये ...  

जय हिन्द !!!

11 टिप्पणियाँ:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

नमन क्रांतिकारियों को। आभार 'उलूक' की फटी रजाई को जगह देने के लिये।

HARSHVARDHAN ने कहा…

महान स्वतंत्रता सेनानी पंडित रामप्रसाद बिस्मिल जी और लीला राय जी के अविस्मरणीय योगदान को स्मरण करते हुए श्रद्धापूर्वक शत शत नमन।

shashi purwar ने कहा…

Bahut sundar hardik dhnyavad hamen shamil karne hetu. Abhar

shashi purwar ने कहा…

Bahut sundar hardik dhnyavad hamen shamil karne hetu. Abhar

दिगम्बर नासवा ने कहा…

नमन है देश से सच्चे क्रांतिकारियों को ...
आभार मेरी रचना को इस अंक में जगह देने के लिए ...

Jyoti Dehliwal ने कहा…

शिवम जी, लीला राय जी के बारे में मुझे भी जानकारी नही थी। शेयर करने के लिए धन्यवाद। मेरी रचना शामिल करने के लिए भी बहुत बहुत धन्यवाद।

Anita ने कहा…

क्रांतिकारियों के जीवन से अपार प्रेरणा मिलती है, दोनों महान आत्माओं को विनम्र श्रद्धांजलि ! विविधरंगी रचनाओं की खबर देता बुलेटिन..आभार !

Ravindra Singh Yadav ने कहा…

महान क्रांतिकारियों को सादर नमन। सुंदर प्रस्तुति।

शिवम् मिश्रा ने कहा…

आप सब का बहुत बहुत आभार |

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत अच्छी बुलेटिन प्रस्तुति

Bhavana Lalwani ने कहा…

dhanywad meri rachna ko bhi shamil karne ke liye. mere blog ke setting section mein kuchh galti ki vajah se comment ke notification disable ho gaye the aaj saare comment dekhe tab pata chala aur publish bhi kar diye.

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