नमस्कार साथियो,
आज, 5 जून को हम सब विश्व पर्यावरण दिवस का आयोजन मना
रहे हैं. इसे पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण हेतु पूरे विश्व में मनाया जाता
है. वैश्विक स्तर पर पर्यावरण के प्रति राजनीतिक और सामाजिक जागृति लाने हेतु इसको
मनाने की घोषणा संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 1972 में की थी. उसके बाद 5
जून 1974 को पहला विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया था. सन 1987 में
इसके आयोजन से सम्बंधित केंद्र को बदलते रहने का सुझाव दिया गया और उसके बाद से इसका
आयोजन अलग-अलग देशों में किया जाने लगा. इस वर्ष 2018 का आयोजन भारत में किया जा रहा है. प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले इस
दिवस की अलग-अलग थीम तैयार की जाती है. वर्ष 2018 के लिए
विश्व पर्यावरण दिवस की थीम है Beat Plastic Pollution यानि कि प्लास्टिक प्रदूषण को मात देना.
प्लास्टिक को लेकर भयावहता यह कि जिस तत्त्व को वैज्ञानिकों ने इन्सान की
सुविधा के लिए पैदा किया था वह अब समूचे पर्यावरण के विनाश का कारण बन चुकी है. इसमें
शामिल पाली एथीलीन से बनने वाली एथिलीन गैस पर्यावरण को नुकसान पहुँचती है. इसके
अलावा पालीयूरोथेन रसायन के साथ-साथ पालीविनायल क्लोराइड (पीवीसी) की उपस्थिति के कारण
प्लास्टिक को नष्ट करना संभव नहीं होता है. जमीन में गाड़ने, जलाने, पानी में बहाने अथवा किसी अन्य तरीके से नष्ट
करने से भी इसको न तो समाप्त किया जा सकता है और न ही इसमें शामिल रसायन के दुष्प्रभाव
को मिटाया जा सकता है. यदि इसे जलाया जाये तो इसमें शामिल रसायन के तत्व वायुमंडल में
धुंए के रूप में मिलकर उसे प्रदूषित करते हैं. यदि इसको जमीन में दबा दिया जाये तो
भीतर की गर्मी, मृदा-तत्त्वों से संक्रिया करके ये रसायन जहरीली
गैस पैदा करते हैं, इससे भूमि के अन्दर विस्फोट की आशंका पैदा
हो जाती है. यही कारण है कि आज हमारी धरती में चारों तरफ प्लास्टिक ही प्लास्टिक दिखाई
दे रही है. जाने-अनजाने में हम सब प्लास्टिक पी रहे हैं, प्लास्टिक
ही खा रहे हैं.
केन्द्रीय सरकार ने रिसाइक्लड, प्लास्टिक मैन्यूफैक्चर
एण्ड यूसेज रूल्स के अन्तर्गत 50 माइक्रोन से कम मोटाई के रंगयुक्त
प्लास्टिक बैग के प्रयोग तथा उनके विनिर्माण पर प्रतिबंध लगा दिया है किन्तु ऐसे प्रतिबन्ध
सिर्फ कागजों तक ही सीमित दिख रहे हैं. हालाँकि अभी भी कुछ सामानों, दूध की थैली, पैकिंग वाले सामानों आदि के लिए सरकार ने
पॉलीथीन के प्रयोग की छूट दे रखी है, इसके लिए नागरिकों को सजग
रहने की आवश्यकता है. उन्हें ऐसे उत्पादों के उपयोग के बाद पॉलीथीन को अन्यत्र,
खुला फेंकने के स्थान पर किसी रिसाइकिल स्टोर पर अथवा निश्चित स्थान
पर जमा करवाना चाहिए. प्लास्टिक के द्वारा उत्पन्न वर्तमान समस्या और भावी संकट को
देखते हुए नागरिकों को स्वयं जागरूक होना पड़ेगा. कोई भी सरकार नियम बना सकती है किन्तु
उसे अमल में लाने का काम नागरिकों का है. इसके लिए उनके द्वारा दैनिक उपयोग में प्रयोग
के लिए कागज, कपड़े और जूट के थैलों का उपयोग किया जाना चाहिए.
स्वयं जागरूक होकर दूसरों को भी प्लास्टिक का उपयोग करने से रोकना होगा. यदि आज न
जागे तो कल बहुत देर हो चुकी होगी.
आइये संकल्प करें और चलें आज की बुलेटिन की तरफ....
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2 टिप्पणियाँ:
बहुत कुछ प्लास्टिक हो गया है कहीं कहीं सोच भी। रोकना जरूरी है। सुन्दर बुलेटिन।
प्लास्टिक के बारे में पूरी दुनिया बड़ी चिंतित हैं, लेकिन समस्या जस की तस है, इसका तो एक ही उपाय हो सकता है कि उत्पादन ही बंद हो, ताकि न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी, लेकिन शायद बाँसुरी का मोह दुनिया छोड़ने को तैयार नहीं ..............बजाए जाओ ...
बहुत अच्छी बुलेटिन प्रस्तुति
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