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सोमवार, 6 नवंबर 2017

32वीं पुण्यतिथि - संजीव कुमार - ब्लॉग बुलेटिन

सभी हिन्दी ब्लॉगर्स को मेरा सादर नमस्कार।
संजीव कुमार (अंग्रेज़ी: Sanjeev Kumar, जन्म- 9 जुलाई, 1938, मुंबई; मृत्यु- 6 नवम्बर, 1985, मुंबई) हिन्दी फ़िल्मों के भारतीय अभिनेता थे। इनका नाम हरिभाई जरीवाल था, लेकिन फ़िल्मी दुनिया में ये अपने दूसरे नाम 'संजीव कुमार' के नाम से प्रसिद्ध हैं। फ़िल्मी दुनिया में संजीव कुमार ने नायक, सहनायक, खलनायक और चरित्र कलाकार की भूमिकाओं को निभाया। इनके द्वारा अभिनीत प्रसिद्ध फ़िल्मों में 'कोशिश', 'शोले', 'अंगूर', 'त्रिशूल', 'पारस', 'अनामिका', 'खिलौना', 'मनचली', 'शतरंज के खिलाड़ी', 'सीता और गीता', 'आंधी', 'मौसम', 'विधाता', 'दस्तक', 'नया दिन नयी रात' आदि हैं।
संजीव कुमार का जन्म मुंबई में 9 जुलाई, 1938 को एक मध्यम वर्गीय गुजराती परिवार में हुआ था। वह बचपन से ही फ़िल्मों में बतौर अभिनेता काम करने का सपना देखा करते थे। इसी सपने को पूरा करने के लिए वह अपने जीवन के शुरुआती दौर में रंगमंच से जुड़े और बाद में उन्होंने फ़िल्मालय के एक्टिंग स्कूल में दाख़िला लिया। इसी दौरान वर्ष 1960 में उन्हें फ़िल्मालय बैनर की फ़िल्म 'हम हिन्दुस्तानी' में एक छोटी सी भूमिका निभाने का मौक़ा मिला।




आज महान अभिनेता संजीव कुमार जी के 32वीं पुण्यतिथि पर हम सब उनको स्मरण करते हुए शत शत नमन करते  हैं।



~ आज की बुलेटिन कड़ियाँ ~













आज की बुलेटिन में बस इतना ही कल फिर मिलेंगे तब तक के लिए शुभरात्रि। सादर ... अभिनन्दन।। 

6 टिप्पणियाँ:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

जैसे अभी अभी की बात हो। पर 32 वर्ष निकल गये। पुण्यतिथी पर नमन संजीव कुमार जी को। आभार हर्षवर्धन आज के बुलेटिन में 'उलूक' के कब्ज को भी जगह देने के लिये।

रश्मि शर्मा ने कहा…

नमन संजीव कुमार जी को। मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार।

yashoda Agrawal ने कहा…

शुभ प्रभात हर्षबरधन जी
आदरांजली संजीव जी को
आभार आपको
सादर

गोपेश मोहन जैसवाल ने कहा…

संजीव कुमार ऐसे साहसी अभिनेता थे जिन्होंने किसी भी चुनौतीपूर्ण भूमिका को निभाते समय अपनी स्टार-इमेज की चिंता नहीं की. ऋषिकेश मुकर्जी, गुलज़ार और रमेश सिप्पी की फ़िल्मों में उन्होंने यादगार भूमिका निभाई थी. जया भादुड़ी (जया बच्चन) के साथ उनकी जोड़ी लाजवाब थी. इस महान अभिनेता को नमन.

दिगम्बर नासवा ने कहा…

अपनी अलग पहचान बनने वाले संजीव कुमार को लोग लम्बे समय तक याद रखेंगे ... नमन है उन्हें ...
आपका आभार आज मेरी ग़ज़ल को यहाँ स्थान देने के लिए ...

कविता रावत ने कहा…

बहुत अच्छी बुलेटिन प्रस्तुति .....

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