कोई यह मानने से इंकार नहीं करेगा कि एक वक़्त था, जब देश जवहर लाल नेहरू का था, उनकी वेशभूषा, उनका व्यक्तित्व ... उनकी लिखी किताबें अपनी ओर खींचती थीं। बच्चों के बीच उनका होना बच्चों को ख़ुशी से भर देता था, गुलाब उनकी पहचान थी , उनका जन्मदिन बच्चों का दिन था !
आज वही दिन है - बच्चों का। हर बच्चों के नाम एक गुलाब, ...
जवाहरलाल नेहरू के बाल्यकाल की घटना है। उनके घर पिंजरे में एक तोता पलता था। पिता मोतीलालजी ने तोते की देखभाल का जिम्मा अपने माली को सौंप रखा था। एक बार नेहरूजी स्कूल से वापस आए तो तोता उन्हें देखकर जोर-जोर से बोलने लगा। नेहरूजी को लगा कि तोता पिंजरे से आजाद होना चाहता है। उन्होंने पिंजरे का दरवाजा खोल दिया। तोता आजाद होकर एक पेड़ पर जा बैठा और नेहरूजी की ओर देख-देखकर कृतज्ञ भाव से कुछ कहने लगा। उसी समय माली आ गया। उसने डाँटा- "यह तुमने क्या किया! मालिक नाराज होंगे।
बालक नेहरू ने कहा- "सारा देश आजाद होना चाहता है। तोता भी चाहता है। आजादी सभी को मिलनी चाहिए।
बच्चों का दिन सबको मुबारक हो
3 टिप्पणियाँ:
बहुत अच्छी लगी सामयिक प्रासंगिक बुलेटिन प्रस्तुति ...
आजादी सभी का अधिकार... बहुत ही सुंदर बुलेटिन प्रस्तुति। सादर ... अभिनन्दन।।
बच्चों का दिन भी नहीं ।
सुन्दर प्रस्तुति । 14 नवम्बर की शुभकामनाएं।
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