प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |
एक बार एक आदमी समुद्र में नहाते हुए डूबने लगता तो वह भगवान् से प्रार्थना करते हुए कहता है,
"हे भगवान्! मैं बच गया तो 100 गरीबों को बिरयानी खिलाऊंगा"।
अभी उसकी बात ख़त्म ही हुई होती है की एक तेज़ लहर उसे किनारे पर फेंक देती है।
जैसे ही वह आदमी किनारे पर पहुंचा, उसने ऊपर देखा और कहा,
"कौन सी बिरयानी !!??"
तभी अचानक एक और लहर आयी और उसे वापस समुद्र में ले गयी।
आदमी: "मेरा मतलब था चिकन या मटन??"
सादर आपका
शिवम् मिश्रा
प्रणाम |
चित्र गूगल से साभार |
सादर आपका
शिवम् मिश्रा
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गर्मी बहुत है
यदि खुद 'खुश' रहना चाहते हैं...तो दूसरों को ‘क्षमा’ करें!
संघर्ष :: कुछ भाव दशाएं / डॉ. सत्य नारायण पाण्डेय
प्रासंगिकता ......
ताटंक छंद
बिना मेकअप की सेल्फियाँ
मोह से निर्मोह की ओर
गणपति बप्पा मोरया
याद तुम्हारी
वक्त.....वक्त की बात है!!!
अमावस की रात .......
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अब आज्ञा दीजिये ...
जय हिन्द !!!
6 टिप्पणियाँ:
बहुत अच्छी बुलेटिन प्रस्तुति ...
इंसान ईश्वर से भी मोलभाव करने में पीछे नहीं रहता।
मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति ।कल ब्लागर काम नहीं किया।
आभार आपका .
आप सब का बहुत बहुत आभार |
लाजवाब बिरयानी के लिए शुक्रिया ।
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