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शनिवार, 15 जुलाई 2017

सात साल पहले भारतीय मुद्रा को मिला था " ₹ "'

प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |

शायद ही किसी को याद हो ... पर सात साल पहले आज के ही दिन ... अपने रुपये को अपनी पहचान मिली थी ...



दुनिया भर में अब भारतीय मुद्रा की भी अपनी अलग पहचान होगी शायद यही सोच १५ जुलाई २०१० को भारतीय मुद्रा को एक नई पहचान दी गई इस से पहले तक यह सम्मान सिर्फ चार देशों की मुद्राओं को ही प्राप्त था। लेकिन तब की सरकार ने भारतीय रुपये को पहचान देते हुए इसके लिए एक प्रतीक चिन्ह या 'सिंबल' देने का ऐलान किया। अमेरिकी डॉलर, ब्रिटेन के पौंड स्टर्लिग, जापानी येन और यूरोपीय संघ के यूरो के बाद रुपया पांचवी ऐसी मुद्रा बन गया, जिसे उसके सिंबल से पहचाना जाएगा।
 
एक साथ देवनागरी के 'र' और रोमन के अक्षर 'आर' से मिलते जुलते इस प्रतीक चिन्ह [सिंबल] पर १५ जुलाई २०१० को कैबिनेट की मुहर लग गई। तत्कालीन सरकार ने तय किया कि इस पहचान को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय बनाने के लिए एक अभियान शुरू होगा ।

भारतीय रुपये की अलग पहचान बनाने की प्रक्रिया २००८ से चल रही थी। इसका ऐलान तत्कालीन वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी ने अपने बजट भाषण में भी किया था। इसके लिए एक राष्ट्रीय प्रतियोगिता आयोजित की गई थी। इसके तहत सरकार को तीन हजार से ज्यादा आवेदन प्राप्त हुए थे। रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर की अध्यक्षता में गठित एक उच्चस्तरीय समिति ने भारतीय संस्कृति के साथ ही आधुनिक युग के बेहतर सामंजस्य वाले इस प्रतीक को अंतिम तौर पर चयन करने की सिफारिश की थी। यह प्रतीक चिन्ह आईआईटी, गुवाहाटी के प्रोफेसर डी. उदय कुमार ने डिजाइन किया।

कैबिनेट के फैसले की जानकारी देते हुए तत्कालीन सूचना प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी ने बताया था कि राष्ट्रीय स्तर पर रुपये के प्रतीक को लागू करने में छह महीने का समय लगेगा जबकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस काम में 18 से 24 महीने का वक्त लगेगा। इसमें राज्यों का भी सहयोग लिया जाएगा। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसे लागू करने के लिए आईएसओ, आईईसी 10646 और आईएस 13194 मानक के तहत पंजीयन कराया जाएगा। साथ ही दुनिया भर की लिपियों में शामिल करने के लिए 'यूनिकोड स्टैंडर्ड' में इसे शामिल किया जाएगा।

यूनिकोड स्टैंडर्ड में शामिल होने के बाद दुनिया भर की सॉफ्टवेयर कंपनियों के लिए इसका इस्तेमाल करना आसान हो जाएगा। इससे अभी जिस तरह से डॉलर का प्रतीक चिन्ह हर कंप्यूटर या की बोर्ड में होता है, उसी तरह से रुपये का प्रतीक चिन्ह भी इनका हिस्सा बन जाएगा। आईटी कंपनियों के संगठन नासकॉम से कहा गया था कि वह सॉफ्टवेयर विकसित करने वाली कंपनियों के साथ मिलकर कर इस प्रतीक चिन्ह को लोकप्रिय बनाए। जब तक की-बोर्ड पर इसे चिन्हित नहीं किया जाता है, तब तक कंपनियां अपने सॉफ्टवेयर में यह व्यवस्था करें कि इसे कंप्यूटर पर लिखा जा सके। अभी यूरो के प्रतीक चिन्ह के साथ भी ऐसा ही होता है। पर अफसोस कि सात साल गुज़र जाने के बाद भी ये हर कीबोर्ड पर अपनी जगह नहीं बना पाया है |

प्रतीक चिन्ह का होना ग्लोबल अर्थंव्यवस्था में भारत के बढ़ते महत्व व आत्मविश्वास को बताता है। यह प्रतीक बांग्लादेश, पाकिस्तान, नेपाल व इंडोनेशिया में प्रचलित मुद्रा रुपये के सापेक्ष भारतीय मुद्रा को एक अलग पहचान देता है|

सादर आपका 

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हिन्दी ब्लॉगिंग : आह और वाह!!!...2

कहो तो ..........

नौशेरा के शेर - ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान की १०५ वीं जयंती

एक क़ता----

"सुघड़ गृहणी "

कार्टून :- ... मरा तब मानि‍यो जो तेरहवीं हो जाए

उसकी कहानी (भाग -3 )

शब्द-शब्द हाइकू ...

आयो सखि सावन.....

टॉप टेन बरसात के गाने और सन्दर्भ सहित व्याख्या ---

२६८.ख़तरा

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अब आज्ञा दीजिये ...

जय हिन्द !!!

4 टिप्पणियाँ:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सुन्दर सूत्र चयन सुन्दर प्रस्तुति।

केवल राम ने कहा…

रोचक जानकारी

चला बिहारी ब्लॉगर बनने ने कहा…

अच्छी जानकारी!

Anupama Tripathi ने कहा…

प्रभावी लिनक्स और बहुत बढ़िया जानकारी भी |मेरी रचना को शामिल करने हेतु सादर आभार शिवम् !

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