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मंगलवार, 18 जुलाई 2017

काश ! समय रहते तुम मजबूत हो जाओ




कमज़ोरी यदि बीमारी बन जाए 
तो ज़िम्मेदार तुम 
निकलने का रास्ता भी तुम 
.... 
सोचना तुम्हें है 
जो साथ हैं उनको खो देना है 
या खुद खोकर यह साबित करना है 
कि उनका होना कोई मायने नहीं रखता था !

काश ! समय रहते तुम मजबूत हो जाओ 



5 टिप्पणियाँ:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

बढ़िया सूत्र सुन्दर प्रस्तुति।

'एकलव्य' ने कहा…

वाह ! क्या बात है सुन्दर ,कोमल भावनाओं से सजी रचना आभार। "एकलव्य"

कविता रावत ने कहा…

बहुत अच्छी बुलेटिन प्रस्तुति ...

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

बहुत सुंदर, आभार.
रामराम
#हिन्दी_ब्लॉगिंग

Atoot bandhan ने कहा…

अच्छा बुलेटिन तैयार किया , विशेषकर महिला व्यंग्यकार और पुरुष व्यंग्यकार का अंतर्विरोध बहुत सटीक लगा ... वंदना बाजपेयी

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