षष्टम कात्यायनी - आज उन रातों का छट्ठा दिन है, माँ कात्यायनी का दिन
एक पौराणिक कथानुसार महर्षि कात्यायन की इच्छा थी कि भगवती उनके घर में पुत्री के रूप में जन्म लें, अतः इन्होंने भगवती की उपासना करते हुए बहुत वर्षों तक बड़ी कठिन तपस्या की थी। उनके इस तपस्या से प्रसन्न हो कर देवी ने उनकी प्रार्थना स्वीकार कर अश्विन कृष्ण चतुर्दशी को महर्षि कात्यायन के घर में जन्म लिया। जन्म लेने के पश्चात महर्षि कात्यायन ने शुक्ल सप्तमी, अष्टमी और नवमी, तीन दिनों तक देवी की पूजा अर्चना की, अतः महर्षि कात्यायन की पुत्री होने तथा सर्व प्रथम उनके द्वारा पूजित होने के कारण देवी का यह रूप कात्यायनी कहलाया।
2 टिप्पणियाँ:
बहुत अच्छी बुलेटिन प्रस्तुति हेतु आभार!
सुन्दर प्रस्तुति ।
एक टिप्पणी भेजें
बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!