'माँ...हमारा घर कहाँ है'
................
'मेरी गोद तुम्हारी धरती
मेरी बाहों का घेरा कमरा
मेरी आँखें खिड़कियाँ
मेरी दुआएं आकाश ...'
'माँ माँ
ये घर हमेशा होगा न ...'
'हमेशा रहता तो है
पर कभी कभी अदृश्य सा हो जाता है
तब इन दीवारों का सामर्थ्य लेकर
एक एक घर
फिर तुम बनाना ...'
'माँ , हम कैसे बनायेंगे
हमें तो वही रंग अच्छे लगते हैं
जो तुम लाती हो
हमें तो पता ही नहीं और कुछ ...'
'मुझे कहाँ पता था !
मुझे इन रंगों की भाषा मेरी माँ ने सिखाया
... यही तो क्रम है ............
वरना
यूँ तो कहने को रंग सात हैं
पर आठवां रंग - प्यार का
उनको अदभुत बनाता है
बिना आठवें रंग के सारे रंग बदरंग होते हैं
दीवारों पे ठहरते नहीं....'
' माँ
हम तो इससे अलग होंगे ही नहीं
क्योंकि हमें पता है -
ये आठवां रंग तुम हो...
विश्वास रखो माँ
हम भी आठवां रंग बनेंगे
बिल्कुल तुम्हारी तरह !'
मेरी दुआएं आकाश ...'
'माँ माँ
ये घर हमेशा होगा न ...'
'हमेशा रहता तो है
पर कभी कभी अदृश्य सा हो जाता है
तब इन दीवारों का सामर्थ्य लेकर
एक एक घर
फिर तुम बनाना ...'
'माँ , हम कैसे बनायेंगे
हमें तो वही रंग अच्छे लगते हैं
जो तुम लाती हो
हमें तो पता ही नहीं और कुछ ...'
'मुझे कहाँ पता था !
मुझे इन रंगों की भाषा मेरी माँ ने सिखाया
... यही तो क्रम है ............
वरना
यूँ तो कहने को रंग सात हैं
पर आठवां रंग - प्यार का
उनको अदभुत बनाता है
बिना आठवें रंग के सारे रंग बदरंग होते हैं
दीवारों पे ठहरते नहीं....'
' माँ
हम तो इससे अलग होंगे ही नहीं
क्योंकि हमें पता है -
ये आठवां रंग तुम हो...
विश्वास रखो माँ
हम भी आठवां रंग बनेंगे
बिल्कुल तुम्हारी तरह !'
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नाम लिखते वो
मिटा देते हैं
जाने किस
जुर्मे-तमन्ना की
सज़ा देते हैं
मिटा देते हैं
जाने किस
जुर्मे-तमन्ना की
सज़ा देते हैं
दाग़ दिल के तो
खुशनसीबी है
वो मियाँ !
चुटकियों में
दाग़ छुटा देते हैं
खुशनसीबी है
वो मियाँ !
चुटकियों में
दाग़ छुटा देते हैं
क्या वो बारूद हैं
असलाह या
हैं विस्फोटक ?
जाने क्यूँ लोग उन्हें
आग लगा देते हैं
असलाह या
हैं विस्फोटक ?
जाने क्यूँ लोग उन्हें
आग लगा देते हैं
कोई बता दे
वो दरवेश
कहाँ मिलते हैं
मार के चिमटे से
जो भाग जगा देते हैं
वो दरवेश
कहाँ मिलते हैं
मार के चिमटे से
जो भाग जगा देते हैं
हम वो दीवाने जो
उग जाते हैं
पेड़ों की तरह
इश्क़ की आरी से
गर्दन भी कटा देते हैं
उग जाते हैं
पेड़ों की तरह
इश्क़ की आरी से
गर्दन भी कटा देते हैं
कोई शिक़वा न करें
उनको भी
रुसवा न करें
चलो ! ऐसा करें
हम खुद को हटा देते हैं
उनको भी
रुसवा न करें
चलो ! ऐसा करें
हम खुद को हटा देते हैं
2 टिप्पणियाँ:
बहुत सुन्दर प्रस्तुति ।
link thik se nahi lagi shayad fecebook ki ...
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