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शुक्रवार, 16 सितंबर 2016

एक मच्छर का एक्सक्लूजिव इंटरव्यू

प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |

भारत के विभिन्न शहरों मे आजकल बीमारियों का डेरा है ... तरह तरह के बुख़ार ... तरह तरह के बीमार ... ऐसे मे एक रिपोर्टर के मन मे आया कि इन बीमारियों की जडों मे से एक ... मच्छर ... का इंटरव्यू लिया जाये |

तो वो पहुँच गया इंटरव्यू लेने ... 

रिपोर्टर: आपका प्रकोप दिनो-दिन बढ़ता ही जा रहा है, क्यों?
मच्छर: सही शब्द इस्तेमाल कीजिये, इसे प्रकोप नहीं फलना-फूलना कहते हैं. पर तुम इंसान लोग तो दूसरों को फलते-फूलते देख ही नहीं सकते न, आदत से मजबूर जो ठहरे।

रिपोर्टर: हमें आपके फलने-फूलने से कोई ऐतराज़ नहीं है पर आपके काटने से लोग जान गँवा रहे हैं, जनता में भय व्याप्त हो गया है।
मच्छर: हम सिर्फ अपना काम कर रहे हैं. श्रीकृष्ण ने गीता में कहा है कि 'कर्म ही पूजा है'। अब विधाता ने तो हमें काटने के लिए ही बनाया है, हल में जोतने के लिए नहीं ! जहाँ तक लोगों के जान गँवाने का प्रश्न है तो आपको मालूम होना चाहिए कि `हानि-लाभ, जीवन-मरण, यश-अपयश विधि हाथ'।

रिपोर्टर: लोगों की जान पर बनी हुई है और आप हमें दार्शनिकता का पाठ पढ़ा रहे हैं।
मच्छर: आप तस्वीर का सिर्फ एक पहलू देख रहे हैं। हमारी वजह से कई लोगों को लाभ भी होता है, ये शायद आपको पता नहीं ! जाइये इन दिनों किसी डॉक्टर, केमिस्ट या पैथोलॉजी लैब वाले के पास, उसे आपसे बात करने की फ़ुर्सत नहीं होगी। अरे भैया, उनके बीवी-बच्चे हमारा 'सीजन' आने की राह देखते हैं, ताकि उनकी साल भर से पेंडिंग पड़ी माँगे पूरी हो सकें. क्या समझे आप? हम देश की इकॉनोमी बढाने में महत्त्वपूर्ण योगदान कर रहे हैं, ये मत भूलिये।

रिपोर्टर: परन्तु मर तो गरीब रहा है न, जो इलाज करवाने में सक्षम ही नहीं है।
मच्छर: हाँ तो गरीब जी कर भी क्या करेगा? जिस गरीब को आप अपना घर तो छोडो, कॉलोनी तक में घुसने नहीं देना चाहते, उसके साथ किसी तरह का संपर्क नहीं रखना चाहते, उसके मरने पर तकलीफ होने का ढोंग करना बंद कीजिये आप लोग।

रिपोर्टर: आपने दिल्ली में कुछ ज्यादा ही कहर बरपा रखा है।
मच्छर: देखिये हम नेता नहीं हैं जो भेदभाव करें... हम सभी जगह अपना काम पूरी मेहनत और लगन से करते हैं। दिल्ली में हमारी अच्छी परफॉरमेंस की वजह सिर्फ इतनी है कि यहाँ हमारे काम करने के लिए अनुकूल माहौल है। केंद्र और राज्य सरकार की आपसी जंग का भी हमें भरपूर फायदा मिला है।

रिपोर्टर: खैर, अब आखिर में आप ये बताइये कि आपके इस प्रकोप से बचने का उपाय क्या है?
मच्छर: उपाय तो है अगर कोई कर सके तो... लगातार सात शनिवार तक काले-सफ़ेद धब्बों वाले कुत्ते की पूँछ का बाल लेकर बबूल के पेड़ की जड़ में बकरी के दूध के साथ चढाने से हम प्रसन्न हो जायेंगे और उस व्यक्ति को नहीं काटेंगे।

रिपोर्टर: आप उपाय बता रहे हैं या अंधविश्वास फैला रहे हैं?
मच्छर: दरअसल आम हिंदुस्तानी लोग ऐसे ही उपायों के साथ आराम महसूस करते हैं। उन्हें विज्ञान से ज्यादा कृपा में यकीन होता है। वैसे सही उपाय तो साफ़-सफाई रखना है, जो रोज ही टीवी चैनलों और अखबारों के जरिये बताया जाता है, पर उसे मानता कौन है? अगर उसे मान लिया होता तो आज आपको मेरा इंटरव्यू लेने नहीं आना पड़ता।
 
यह सुनते ही रिपोर्टर भाग लिया ... ऐसे मच्छरों से तो डरना ही भला ... जान है तो जहान है !!
 
 
 
( यह पूरी पोस्ट व्हाट्सअप से प्राप्त एक मित्र के संदेश पर आधारित है सो कृपया मौलिकता का तक़ाज़ा न करें ... ऐसे संदेशों के सोत्र न मुझे ज्ञात हैं न मेरे मित्र को !! ) 
 
सादर आपका
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13 टिप्पणियाँ:

वाणी गीत ने कहा…

बड़े ज्ञानी होते जा रहे मच्छर!
सटीक व्यंग्य.
लिंक्स के लिए आभार.

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

बढ़िया बुलेटिन शिवम जी ।

shikha varshney ने कहा…

मजेदार बुलेटिन। भुक्खड़ घाट को शामिल करने के लिए आभार।

shikha varshney ने कहा…

मजेदार बुलेटिन। भुक्खड़ घाट को शामिल करने के लिए आभार।

priyadarshini ने कहा…

आज के ब्लॉग बुलेटिन में मेरी ब्लॉग पोस्ट को शामिल करने का शुक्रिया

चला बिहारी ब्लॉगर बनने ने कहा…

हा हा हा!! यह इंटरव्यू भी मजेदार रहा.
मेरी अनियमितता की शिकायत दूर हो गयी होगी अब. मेरी अनियमितता का सम्बन्ध सदा मेरी अस्वस्थता से होता है या कार्यालयीन व्यस्तता से होता है.
ब्लॉग बुलेटिन से मेरा जुड़ाव है और ये मेरे दिल के करीब है!

Harihar (विकेश कुमार बडोला) ने कहा…

सादर धन्‍यवाद।

अजय कुमार झा ने कहा…

हा हा हा हा हा वाह क्या शानदार साक्षात्कार रहा मच्छर का | बुलेटिन बहुत बढ़िया बन पड़ा है | सारे लिंक्स कमाल धमाल के हैं | पोस्ट को शामिल और साझा करने के लिए बुलेटिन टीम का आभार

कविता रावत ने कहा…

एक मच्छर का सम-सामयिक एक्सक्लूजिव इंटरव्यू बड़ा ही रोचक व जागरूकता भरा है , बढ़िया बुलेटिन प्रस्तुति हेतु आभार! ..

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

बढ़िया व्यंग्य है. लिंक देखता हूँ.

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

सभी ब्लॉग पढ़े, अच्छे भी लगे. प्रतिभा की दुनियाँ ने खासा प्रभावित किया.

शिवम् मिश्रा ने कहा…

आप सब का बहुत बहुत आभार |

शशि पाधा ने कहा…

मेरा स्मृति लेख ' तस्वीरें बोलती है ' को यहाँ स्थान देने के लिए आभार |

आज और भी आलेख पढ़ने का अवसर मिल गया | बधाई |

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