मेरी आवाज़ ब्लॉग की गलियों से है
संभव है कि किसी ब्लॉग को दुबारे लिख दूँ ... उम्र का तकाज़ा है
भूलने की आदत सी है
तो आप भी भूल जाइयेगा :)
मकसद है
छोड़ आये हम जो गलियाँ
वहाँ लौट चलें
कोई तो कहे,
"तुम आ गए हो, नूर आ गया है ... "
10 टिप्पणियाँ:
कोई फर्क नहीं पड़ता है एक गली में दो बार भी जाया जा सकता है आज की गलियाँ लगा कर कुल हो गई 181 गलियाँ नौ दिन में इतना घुमा तो दिया आपने :)
बहुत सुन्दर ।
प्रतिकूल परिस्थितियों के बाद भी आपकी ये श्रृंखला अविरल चलती यही याद दिला रही है रश्मि दीदी ...शो मस्ट गो ऑन | बहुत ही सुन्दर बुलेटिन दीदी |
bahut shukriya shamil karne ke liye ..
उम्दा लिंक्स रश्मि जी |
आभारी हूँ , मेरे ब्लॉग लिंक को शामिल करने के लिए ..शुक्रिया .
बहुत सुन्दर याद...
ज्वाला सुलगा है ...
आभार आपका ।
मेरे ब्लॉग का लिंक शामिल करने के लिए आभार - वंदना बाजपेयी
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