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बुधवार, 21 सितंबर 2016

भूली-बिसरी सी गलियाँ - 3



बचपन में लौटने की चाह है 
तो ब्लॉग पर क्यूँ नहीं ?
मत करो कमेंट 
पोस्ट तो डालो 
उनको पढ़ने दो - जो तुम्हें पढ़ना चाहते हैं 


एक कली दो पत्तियां

KAVITA RAWAT

An Indian in Pittsburgh - पिट्सबर्ग में एक भारतीय

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून

वीर बहुटी

मधुर गुंजन

शिप्रा की लहरें

Hathkadh । हथकढ़

"सच में!"

उलूक टाइम्स

"बस यूँ ही " .......अमित

झरोख़ा

आधा सच...

अनुशील

 उसने कहा था...

सोचालय

Sourav Roy

my dreams 'n' expressions.....याने मेरे दिल से सीधा कनेक्शन ...

घुघूतीबासूती


क्रमशः 

20 टिप्पणियाँ:

विभा रानी श्रीवास्तव ने कहा…

गया पल लौट आया

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

"पोस्ट तो डालो उनको पढ़ने दो - जो तुम्हें पढ़ना चाहते हैं " बिल्कुल सौ आना पते की बात कही है आपने । सहमत :) 'उलूक' के जबरदस्ती छापे जा रहे अखबार जिसकी खबरें ज्यादातर किसी के पल्ले नहीं पड़ती हैं वैसे तो फिर भी जिक्र करने के लिये दिल से आभार भी ।

amit kumar srivastava ने कहा…

आपका आदेश सर माथे पे।

Atul Shrivastava ने कहा…

जरूर

Atul Shrivastava ने कहा…

जरूर

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून ने कहा…

मैं तो निरंतर पोस्ट डालता ही रहा हूं जी. हर रोज़ तीन चार सौ भले लोग तो आज भी देख जाते हैं =D

शेफाली पाण्डे ने कहा…

Zaroor lautna chahungi....bas thoda sa samay aur

चला बिहारी ब्लॉगर बनने ने कहा…

बहुत सारी यादें... इन सबों की सक्रियता ही जीवंत कर सकती है ब्लॉग को! जाने कहाँ गए वो दिन!!

सदा ने कहा…

Bhuli - bisri galiyan ........ Kitnon ko manjil tk pahuncha deti hain ......

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

सच बड़ा मन करता है कि regular रहें....अब थोड़ा और धक्का देंगे ख़ुद को :-)
शुक्रिया दी...मुझे और मेरे ब्लॉग को याद रखने के लिए...
अनु

Maheshwari kaneri ने कहा…

जी ज़रूर..... आभार आप का मेरे ब्लॉग को याद करने के लिए

SKT ने कहा…

दूसरा पहलू! पढो, बताओ कि पढ़ा ताकि लिखने वाले को पता लगे...यानि कमेन्ट भी करो!!
फिर देखो कोई क्यूँ नहीं लिखता!

SKT ने कहा…

दूसरा पहलू! पढो, बताओ कि पढ़ा ताकि लिखने वाले को पता लगे...यानि कमेन्ट भी करो!!
फिर देखो कोई क्यूँ नहीं लिखता!

राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर ने कहा…

शायद ये आपका अप्रत्यक्ष आदेश बहुत पहले से हमारे लिए काम कर रहा था, बराबर लिखा जा रहा है, जिसे पढ़ना है वो पढ़ रहा है, जिसे नहीं पढ़ना वो कहीं नहीं पढ़ रहा है.
इंटरनेट पर आप सभी से ब्लॉग के माध्यम से जुड़ना हुआ. वो माध्यम कभी बंद न होने देंगे हम, व्यक्तिगत स्तर पर.
"ब्लॉग गलियों में विचरण का पर्व है आपका प्रयास"

रेखा श्रीवास्तव ने कहा…

फिर से आ गये हैं , विचरने के लिए रोज न सही हफ्ते में एक पोस्ट का वचन देती हूँ ।

शिवम् मिश्रा ने कहा…

यह भी एक अलग तरह का अवलोकन ही हुआ ... चलता रहे सिलसिला यादों का |

Amrita Tanmay ने कहा…

नींद से जगाना ...महान व्यक्तित्व ही कर सकता है ।

कैलाश शर्मा ने कहा…

सत्य कहा है। आभार

कैलाश शर्मा ने कहा…

सत्य कहा है। आभार

ktheLeo (कुश शर्मा) ने कहा…

"सच में" आपका आभार फ़िर से लिखूं यहाँ भी पर पढे कौन! . कैसे हैं आप?

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