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शनिवार, 11 जून 2016

११ जून का दिन और दो महान क्रांतिकारियों की याद

प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |

आज 11 जून है ... आज का दिन समर्पित है ... दो महान क्रांतिकारियों को ... एक की आज जयंती है और दूसरे की पुण्यतिथि |


राम प्रसाद 'बिस्मिल' (जन्म: ११ जून १८९७ फाँसी: १९ दिसम्बर १९२७)

राम प्रसाद 'बिस्मिल' भारत के महान क्रान्तिकारी व अग्रणी स्वतन्त्रता सेनानी ही नहीं, अपितु उच्च कोटि के कवि, शायर, अनुवादक, बहुभाषाभाषी, इतिहासकार व साहित्यकार भी थे जिन्होंने भारत की आजादी के लिये अपने प्राणों की आहुति दे दी। शुक्रवार ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी विक्रमी संवत् १९५४ को उत्तर प्रदेश के ऐतिहासिक नगर शाहजहाँपुर में जन्मे राम प्रसाद जी को ३० वर्ष की आयु में सोमवार पौष कृष्ण एकादशी विक्रमी संवत् १९८४ को बेरहम ब्रिटिश सरकार ने गोरखपुर जेल में फाँसी दे दी। 'बिस्मिल' उनका उर्दू तखल्लुस (उपनाम) था जिसका हिन्दी में अर्थ होता है आत्मिक रूप से आहत। बिस्मिल के अतिरिक्त वे राम और अज्ञात के नाम से भी लेख व कवितायें लिखते थे। उन्होंने सन् १९१६ में १९ वर्ष की आयु में क्रान्तिकारी मार्ग में कदम रक्खा और ३० वर्ष की आयु में फाँसी चढ़ गये। ग्यारह वर्ष के क्रान्तिकारी जीवन में उन्होंने कई पुस्तकें लिखीं जिनमें से ग्यारह उनके जीवन काल में प्रकाशित भी हुईं। ब्रिटिश सरकार ने उन सभी पुस्तकों को जब्त कर लिया ।
 
लीला नाग (02/10/1900 - 11/06/1970)
लीला नाग का जन्म ढाका के प्रतिष्ठित परिवार में 2 अक्तूबर 1900 ई. में हुआ था। उनके पिता का नाम गिरीश चन्द्र नाग और माता का नाम कुंजलता नाग था | 
लीला नाग (बाद में लीला राय) का भारत की महिला क्रांतिकारियों में विशिष्ट स्थान है। पर दुर्भाग्य से उन्हें अपने योगदान के अनुरूप ख्याति नहीं मिल पाई।
1947 के विभाजन के दंगों के दौरान लीला राय गांधी जी के साथ नौआखली मे मौजूद थी ... गांधी जी के वहाँ पहुँचने से भी पहले लीला राय ने वहाँ राहत शिविर की स्थापना कर ली थी और 6 दिनों की पैदल यात्रा के दौरान लगभग 400 महिलाओं को बचाया था | 
आज़ादी के बाद लीला राय कलकते मे ही जरुरतमन्द महिलाओं और ईस्ट बंगाल के शरणार्थीयों के लिए कार्य करती रही |
कलकते मे ही 11 जून 1970 को लीला राय जी का निधन हुआ |
 
आज हम इन दोनों महान क्रांतिकारियों को सादर नमन करते हैं !! 
 
वन्दे मातरम !!
 
इंकलाब ज़िंदाबाद !!
सादर आपका
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कुकरैल जंगल की सैर के बहाने...

ये कैसे संत और कैसी इनकी संतई… !

है गर्व मुझे इस देश में मैने जन्म लिया

बून्दी-- हाड़ौती की रानी

गोली जो खनकी...बागों में

ट्रांसजेंडर यानि हिजड़े

अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार, अमेरिका चीन और हम

दो ग़ज़ ज़मीन

नीतीश के ‘दाग़ अच्छे नहीं हैं’

छत्तीसगढ़ में लोक संगीत के नागरी प्रस्तुति का बीजारोपण

मेघा

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अब आज्ञा दीजिये ... 

जय हिन्द !!!

5 टिप्पणियाँ:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

महान क्रांतिकारियों को नमन । सुन्दर बुलेटिन प्रस्तुति ।

Asha Joglekar ने कहा…

रामप्रसाद बिस्मिल और लीला राय जी को सादर नमन, इन्ही की बदौलत मिली हमें आजादी। आप हमेशा इन क्रांतिकारियों की जानकारी हमें देते रहते हैं आपको भी सादर प्रणाम। लिंक्स देखते हैं।

Parmeshwari Choudhary ने कहा…

क्रांतिकारियों को नमन .लीला नाग के बारे में तो आप ही से जानकारी मिली . धन्यवाद आपका . 'बूंदी-हाडौती की रानी' शामिल करने के लिए आपका बहुत आभार .

शिवम् मिश्रा ने कहा…

आप सब का बहुत बहुत आभार |

Anil Dayama EklA ने कहा…

देशभक्तो को सादर नमन।

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