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गुरुवार, 16 जून 2016

किताबी संसार में ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |

नौकर: मालिक हमरा के चार दिन की छुट्टी दई दो, 3 साल बाद बिहार जा रहे हैं।
मालिक: क्या करेगा बे बिहार जा के?
नौकर: मालिक घर से चिठ्ठी आई है, हमारी MA की पढ़ाई पूरी हो गई है। ओ ही का डिग्री लेने जाना है।

"क्या रखा है इस किताबी संसार में,
आओ बिना पढ़े टॉप करें बिहार में।"

सादर आपका

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खुशबुओं की बस्ती

इंफोटेनमेंट

कर्मसूत्र...

काला तोहफा-लघुकथा

एकांत - एक का अंत

क्या रखा है इस किताबी संसार में

नवगीत - तू दंड दे मेरी खता है

कहाँ गई 'आप'की नैतिकता?

शुद्धता ने हमें दूसरे गाँधी से वंचित कर दिया

ज़रा ठहर तो बच्चू

अम्माजी के छोटे-छोटे सपने

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अब आज्ञा दीजिये ...

जय हिन्द !!! 

5 टिप्पणियाँ:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सुन्दर गुरुवारीय बुलेटिन शिवम जी ।

Sushil Bakliwal ने कहा…

बेहतर संकलन... आभार !

कविता रावत ने कहा…

बढ़िया बुलेटिन प्रस्तुति
अाभार!

शिवम् मिश्रा ने कहा…

आप सब का बहुत बहुत आभार |

Sadhana Vaid ने कहा…

सार्थक सूत्रों का सुन्दर संकलन ! मेरी प्रस्तुति 'ज़रा ठहर तो बच्चू' को सम्मिलित करने के लिये आपका धन्यवाद शिवम जी ! आभार !

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