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गुरुवार, 7 अप्रैल 2016

विस्फोटक स्थिति के बीच हलकी-फुल्की ब्लॉग बुलेटिन

नमस्कार साथियो,
भारतीय नववर्ष की शुभकामनाओं सहित आज की बुलेटिन लिए हम फिर उपस्थित हैं. कितना औपचारिक सा होता जा रहा है, शुभकामनाओं का आदान-प्रदान. कुछ भी तो बदलता नहीं दिखता अपने आसपास. सब कुछ और भी बिगड़ता सा महसूस होता है. कोई आतंकी मारा जाता है तो वो बेटी-बेटा बताया जाने लगता है; कोई आतंकी फांसी चढ़ाया जाता है तो वो शहीद बताया जाने लगता है और कोई अधिकारी मारा जाता है तो ख़ामोशी अख्तियार कर ली जाती है. देश की बर्बादी के नारे लगने वालों की गिरफ़्तारी को कानूनी राय ले जाती है किन्तु तिरंगा फहराने पर देश में ही लाठीचार्ज सहना पड़ता है. ऐसी विस्फोटक, विध्वंसक स्थिति में अनेकानेक बार मन-मष्तिष्क संज्ञा-शून्य हो जाता है. संभव है आप सभी का भी होता होगा. इसलिए आज की बुलेटिन को कुछ हलके-फुल्के रूप में प्रस्तुत करने का मन हो आया है.

इस स्व-लिखित लघुकथा के साथ आज की बुलेटिन का आनंद लीजिये. विश्वास है कि आज के तनाव भरे दौर में आप कुछ हल्का महसूस करेंगे.

मोबाइल में मैसेज के नोटिफिकेशन की घंटी ने आवाज़ दी, उसने लपक कर मोबाइल की स्क्रीन पर खेलना शुरू कर दिया. स्क्रीन पर उभर कर आई तस्वीर देख उसकी आँखें और बड़ी हो गईं. स्क्रीन नग्न स्त्री देह के साथ चमक रही थी, जिसके अंग-प्रत्यंग एक-एक कर बदलती फोटो के साथ सामने आते जा रहे थे. अपने आसपास एक जासूसी, जाँचनुमा निगाह डालने के बाद वो फिर स्क्रीन पर महिला की नग्न देह से खिलवाड़ करने में लग गया. चार-पाँच मिनट खुद खेलने के बाद अब उसके द्वारा उन तस्वीरों को शेयर करने का उपक्रम शुरू कर दिया गया.
तस्वीरें तो शेयर हो ही रही थी और हर शेयर में मृत नारी की नग्न देह की चंद तस्वीरें लोगों की मानसिकता को शेयर कर रही थीं. ये मानसिकता कुछ और बलात्कारियों को जन्म दे रही थी.

++++++++++












7 टिप्पणियाँ:

DP ने कहा…

ब्लॉग बुलेटिन का धन्यवाद जो आपने मेरे ब्लॉग http://www.ignoredpost.com की पोस्ट को जगह दी । आभार :-)

Harsh Wardhan Jog ने कहा…

"बुलबुल" को शामिल करने के लिए धन्यवाद.

मनोज भारती ने कहा…

क्या उपाय है इस मानसिकता से उबरने और इस तरह बलात्कारियों को जन्म न दिए जाने का ???

कविता रावत ने कहा…

बहुत अच्छी बुलेटिन प्रस्तुति हेतु आभार!
सबको हिन्दू नव संवत्सर चैत्र शुक्ल प्रतिपदा एवं चै़त्र नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं!

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

बढ़िया ।

शिवम् मिश्रा ने कहा…

बुलेटिन हल्की फुलकी तो कतई नहीं ... हाँ हल्के फुल्के तरीके से एक काफी बड़ी बात जरूर कह गए आप |
सादर |

sach ka aaina (winners never Quit.....Quitters never win....|| ) ने कहा…

मैं एक वैश्या हूँ और विश्वास कीजिए मैं अभी तक कुंवारी हूँ …”एक कहानी”
नामक पोस्ट को "विस्फोटक स्थिति के बीच हलकी-फुल्की ब्लॉग बुलेटिन" मैं शामिल करने के लिए आपका बहुत - बहुत धन्यवाद ........सादर प्रणाम

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