प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |
एक डॉक्टर के पास एक बेहाल मरीज़ गया।
मरीज़: डॉ. साहब पेट में बहुत दर्द हो रहा है।
डॉ: अच्छा, ये बताओ आखिरी बार खाना कब खाया था?
मरीज़: खाना तो रोज ही खाता हूँ।
डॉ: अच्छा-अच्छा, (2 ऊँगली उठाते हुए ) आखिरी बार कब गए थे?
मरीज़: जाता तो रोज ही हूँ पर होता नहीं है।
डॉकटर समझ गए कि कब्ज़ है। अन्दर बहुत सारी बोतलें पड़ी थी उस में से एक उठा लाये और साथ ही केल्क्युलेटर भी लेते आये। फिर पूछा, "घर कितना दूर है तुम्हारा?"
मरीज़: 1 किलोमीटर।
डॉक्टर ने केलकुलेटर पे कुछ हिसाब किया और फिर बोतल में से चार चम्मच दवाई निकाल कर एक कटोरी में डाली।
डॉ: गाडी से आये हो या चल कर?
मरीज़: चल कर।
डॉ: जाते वक्त भाग के जाना।
डॉक्टर ने फिर से केलकुलेटर पे हिसाब किया फिर थोड़ी दवाई कटोरी में से बाहर निकाल ली।
डॉ: घर कौन सी मंज़िल पे है?
मरीज़: तीसरी मंज़िल पे।
डॉक्टर ने फिर से केलकुलेटर पे हिसाब किया फिर थोड़ी दवाई कटोरी में से और बाहर निकाल ली।
डॉ: लिफ्ट है या सीढियाँ चढ़ के जाओगे?
मरीज़: सीढियां।
डॉक्टर ने फिर से केलकुलेटर पे हिसाब किया फिर थोड़ी दवाई कटोरी में से और बाहर निकाल ली।
डॉ: अब आखिरी सवाल का जवाब दो। घर के मुख्य दरवाजे से टॉयलेट कितना दूर है?
मरीज़: करीब 20 फुट।
डॉक्टर ने फिर से केलकुलेटर पे हिसाब किया फिर थोड़ी दवाई कटोरी में से और बाहर निकाल ली।
डॉ: अब मेरी फीस दे दो मुझे पहले फिर ये दवाई पियो और फटाफट घर चले जाओ, कहीं रुकना नहीं और फिर मुझे फोन करना।
मरीज़ ने वैसा ही किया। आधे घंटे बाद मरीज़ का फोन आया और एकदम ढीली आवाज में बोला, "डॉक्टर साहब, दवाई तो बहुत अच्छी थी आपकी पर आप अपना केलकुलेटर ठीक करवा लेना। हम 10 फुट से हार गये।
सादर आपका
शिवम् मिश्रा
डॉ: अच्छा-अच्छा, (2 ऊँगली उठाते हुए ) आखिरी बार कब गए थे?
मरीज़: जाता तो रोज ही हूँ पर होता नहीं है।
डॉकटर समझ गए कि कब्ज़ है। अन्दर बहुत सारी बोतलें पड़ी थी उस में से एक उठा लाये और साथ ही केल्क्युलेटर भी लेते आये। फिर पूछा, "घर कितना दूर है तुम्हारा?"
मरीज़: 1 किलोमीटर।
डॉक्टर ने केलकुलेटर पे कुछ हिसाब किया और फिर बोतल में से चार चम्मच दवाई निकाल कर एक कटोरी में डाली।
डॉ: गाडी से आये हो या चल कर?
मरीज़: चल कर।
डॉ: जाते वक्त भाग के जाना।
डॉक्टर ने फिर से केलकुलेटर पे हिसाब किया फिर थोड़ी दवाई कटोरी में से बाहर निकाल ली।
डॉ: घर कौन सी मंज़िल पे है?
मरीज़: तीसरी मंज़िल पे।
डॉक्टर ने फिर से केलकुलेटर पे हिसाब किया फिर थोड़ी दवाई कटोरी में से और बाहर निकाल ली।
डॉ: लिफ्ट है या सीढियाँ चढ़ के जाओगे?
मरीज़: सीढियां।
डॉक्टर ने फिर से केलकुलेटर पे हिसाब किया फिर थोड़ी दवाई कटोरी में से और बाहर निकाल ली।
डॉ: अब आखिरी सवाल का जवाब दो। घर के मुख्य दरवाजे से टॉयलेट कितना दूर है?
मरीज़: करीब 20 फुट।
डॉक्टर ने फिर से केलकुलेटर पे हिसाब किया फिर थोड़ी दवाई कटोरी में से और बाहर निकाल ली।
डॉ: अब मेरी फीस दे दो मुझे पहले फिर ये दवाई पियो और फटाफट घर चले जाओ, कहीं रुकना नहीं और फिर मुझे फोन करना।
मरीज़ ने वैसा ही किया। आधे घंटे बाद मरीज़ का फोन आया और एकदम ढीली आवाज में बोला, "डॉक्टर साहब, दवाई तो बहुत अच्छी थी आपकी पर आप अपना केलकुलेटर ठीक करवा लेना। हम 10 फुट से हार गये।
सादर आपका
शिवम् मिश्रा
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
400 साल बाद भी जिंदा हैं शेक्सपियर
मनुष्यजाति और प्राकृतिक पर्यावरण - २
ह्रदय का रखवाला - फ्लेक्स ऑईल
मेरी प्रिया की आँखें - (शेक्सपियर के सोंनेट 130 का भावानुवाद )
मुस्लिम का मतलब 'वोट' और 'आतंकवाद ' है ?
शासन करना बहुत आसन है, पर देश हित में कार्य करना बहुत मुश्किल .
'काँच के शामियाने ' पर गंगा शरण सिंह जी के विचार
लालच की प्यास
एक पत्नी का रोजनामचा
एक चुकी विरासत का शहजादा
स्व॰ सत्यजित रे जी की २४ वीं पुण्यतिथि
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
अब आज्ञा दीजिये ...
जय हिन्द !!!
3 टिप्पणियाँ:
बहुत सुन्दर प्रस्तुति । सुन्दर डाक्टर बस अफसोस उसके बेकार केल्कुलेटर के लिये ।
Good links. Thanks
बढ़िया बुलेटिन. आभार .
एक टिप्पणी भेजें
बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!