(मित्रो! पिछले दिनों मेरी मातृभूमि बिहार की छवि लोगों ने ऐसी ख़राब बनाकर पोस्ट लिखी कि एक ओर मेरा प्रदेश अपराध की राजधानी बना दिया गया है और दूसरी ओर बिहारी एक गाली की तरह इस्तेमाल किया जाने लगा. तो मैंने भी सोचा कि जो बातें उन्होंने तथ्यों के अभाव में अपनी पोस्ट में नहीं लिखी हैं, उन्हें मैं तथ्यात्मक रूप से आपके सामने रखूँ)
दोस्त लोग को हमारा परनाम. आजकल देस में रेलगाड़ी के दौड़ने का दौर है. दिल्ली से आगरा सौ मिनट में पहुँचाने वाला तेज रफ़्तार गाड़ी है एक तरफ, त दोसरा तरफ़ शाने पंजाब है. दिल्ली में झण्डी देखाया गया अऊर अमृतसर साहिब से गाड़ी रवाना. लेकिन आज हम अपने देह में दौड़ने वाला रेलवे के नमक का चर्चा नहीं करने आये हैं, बास्तव में हम अपना देह में दौड़ने वाला रक्त का चर्चा करने आये हैं.
दोस्त लोग को हमारा परनाम. आजकल देस में रेलगाड़ी के दौड़ने का दौर है. दिल्ली से आगरा सौ मिनट में पहुँचाने वाला तेज रफ़्तार गाड़ी है एक तरफ, त दोसरा तरफ़ शाने पंजाब है. दिल्ली में झण्डी देखाया गया अऊर अमृतसर साहिब से गाड़ी रवाना. लेकिन आज हम अपने देह में दौड़ने वाला रेलवे के नमक का चर्चा नहीं करने आये हैं, बास्तव में हम अपना देह में दौड़ने वाला रक्त का चर्चा करने आये हैं.
चलिये बात को फिर से रेलवे का पटरी
पर लेकर
आते हैं. एगो सवाल का जवाब दीजिये, सही जवाब के लिये अपना पीठ खुदे थपथपा
लीजियेगा. त सवाल सुनिये- ऊ कौन सा ऐसा जगह है जहाँ जाने से पहले ट्रेन को रोक
दिया जाता है अऊर पसिंजर को उतार कर एयरलिफ्ट करके ऊ जगह से बाहर निकाल दिया
जाता है. बाद में खाली ट्रेन जब परली-पार पहुँचता है त सब पसिंजर फिर से ट्रेन में
चढ़ जाता है. अगर कोनो पसिंजर हिम्मत करके
ट्रेन में सफर करता है त अपना फैमिली को बोलता है कि सो जा! सो जा नहीं त गब्बर आ जाएगा.
बास्तव में प्रागैतिहासिक काल से एहाँ पर
डकैती का बिश्वबिद्यालय रहा है. बहुत सा दस्यु-सम्राट एहीं से ग्रैजुयेट होकर
भिण्ड, मुरैना, चम्बल के तराई में बस गये अऊर बहुत नाम कमाए. बहुत लोग तो डकैती के
उमर में डकैती किए अऊर जब उमर ढल गया, त सिलेण्डर करके नेता बन गए. अब त प्रदेस के
अन्दरे एतना खपत है डाकू लोग का कि एक्सपोर्ट करने का ऑर्डर पूरा करना मोस्किल हो
जाता है.
आजकल त ओहाँ पैदा होने वाला बच्चा कट्टा
लेकर पैदा होता है अऊर एके छप्पन लेकर जवान होता है. मजाल है कोनो गुजरने वाला
ट्रेन 8 से 10 घण्टा का सफर आराम से पूरा कर ले. ट्रेन जइसे राजधानी पहुँचता है
इस्टेसन पर कुली-कुली बोलकर घुसता है डाकू लोग अऊर 8 एमएम का पिस्तौल देखाकर लूट
लेता है. बचकर निकले त गेट पर टीटी देह पर का सब गहना उतरवा लेता है. ओहाँ से भी
नजर बचाकर निकले त (साइकिल) रेक्सा वाला आपको बोलेगा रजिन्दर नगर अऊर अनीसाबाद में
ले जाकर गला काट देगा.
वइसे एगो बात है गौरतलब. ऊपर से बहुत सांति
है. भाई जब घर-घर क्रिमिनल, हर घर क्रिमिनल रहेगा, त आपस में सांति त रहबे न
करेगा. रोज टीवी पर आपलोग सुनबे करते होइयेगा कि राजधानी के हवाई अड्डा से उड़ने
वाला जहाज पिपरावाँ में उतार लिया गया. जहाज के ड्राइभर का हेडफोन लूटकर बच्चा सब
मोबाइल में लगाकर गाना सुनने लगा अऊर जात्री लोग को तो खाली देह पर का कपड़ा भर
छोड़ा. सरकार भी बिचार में है कि हवाई जहाज के ऊपर नीचे फौज की तैनाती किया जाए
ताकि लोग सेफ जर्नी कर सके.
अब त टीवी खोलने का मने नहीं करता है. रोज
दिन भर एही प्रदेस का खबर छाया रहता है कि दरजन भर बच्ची का बलात्कार हुआ, अठारह
खून हो गया, एक दरजन डकैती दिन दहाड़े हो गया, रोज कम से कम एगो-दूगो बैंक त लुटाने
का खबर आम बात है.
अब अपना प्रदेस जिसका खून हमरे देह में
बहता है, का एतना गुनगान करने के बाद एगो अंतिम राज का बात बताते हैं. सोनी टीवी पर डेली एगो प्रोग्राम
देखाता है “क्राइम पैट्रोल”. उसमें घटना हमरे प्रदेस का होता है बाकी नाम
बदलकर एन्ने-ओन्ने का नाम देखाता है.
उसको भी मालूम है कि आगे
ख़तरा है !!
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13 टिप्पणियाँ:
आगे कुआँ और पीछे खाई :) बढ़िया खतरा बुलेटिन सलिल जी ।
Thanks.
मेरी पोस्ट शामिल करने के लिए बहुत- बहुत धन्यवाद।
Sa yog se apke Bihar ki rajdhani ke ek hotel me baithe apka bulletin padh rahe hain....
Aur han poori tarak surakshit hain!!
बड़ा जिगर चाहिए होता है कटु सत्य लिखने को वह भी अपनी मातृभूमि के लिए ...
बहुत बढ़िया बुलेटिन प्रस्तुति हेतु आभार!
Bihar ko sab faltuye badnam kar diya hai..kisi ko kuch bujhata ujhata nahi..ekdam sahi likha aapne..sara crime ko apna bihar me hota hai..baki sab jagah to ram rajya hai...
Wakai taqlif hoti hai faltu bate sunkar..bahut sahi likha aapne. Meri rachna shamil karne ke liye aabhar.
एतना बिगर गया बिहार!
Bahut din baad likhe hain. Kalam ki dhaar badh gayi hai :))
Bahut hi badhiya
बिहार बदनाम है ... ऐसा बिहार हर नगर-शहर में है ! दिल पर हाथ रखकर कहिये- हाँ कि ना
गौरवशाली इतिहास रहा है
करिया मेघ ढांपे नेताओं की कारस्तानी
नहीं तो आज भी ज्ञान में कोई पंगा नहीं ले सकता किसी बिहारी से आई आई टी इंजीनियर बनना हो या आई एस या किसी क्षेत्र में हो
बिहार में गड़बड़ियाँ हैं .....तो उनका विरोध करने वाले लोग भी हैं ...संघर्ष का जुझारूपन भी है । बिहार में पतझड़ बहुत है किंतु नवपल्लवों ने आँखें खोलना बन्द नहीं किया है । बहुत कुछ है जो बिहार की जिजीविशा को बनाये रखता है और बिहार की एक अलग छवि पेश करता है ।
कुछ भी हो ...हमें बिहार से मोहब्बत है ! ..और रहेगी !
यह पोस्ट लिखते हुये मुझे बहुत खुशी नहीं हुई. मेरे कई ज़ख्मों को कुरेद दिया गया था जिसके कारण मुझे यह सब लिखना पड़ा.
केवल बिहार ही क्यूँ ... हम यूपी वालों को क्या कम सुनना पड़ता है ... :(
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