साँसों की अंतिम किताब लिखना
सच में बड़ा मुश्किल है
सपने कभी दम नहीं तोड़ते
उम्मीदों की उड़ान भरते हैं
किस्म किस्म के गुब्बारों की शक्ल लिए
सपने कभी दम नहीं तोड़ते
उम्मीदों की उड़ान भरते हैं
किस्म किस्म के गुब्बारों की शक्ल लिए
बेटा बेटी को पढ़ा लूँ
सँवार लूँ उनका भविष्य
शादी कर दूँ
जो सपने अधूरे थे
बेरंग थे
उसमें रंग भर दूँ …
रंगों से सना गुलबुला चेहरा
.... जीने की वजहें होती ही जाती हैं
3 टिप्पणियाँ:
बहुत सुन्दर प्रस्तुति ।
बहुत सुन्दर बुलेटिन प्रस्तुति ..
आभार!
असली जादू कहानियों मे ही तो होता है ... :)
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