प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |
आज के भारत और तब के महाभारत के पात्रों मे कुछ समानतायें पाई गई हैं -
दुर्योधन और राहुल गांधी -
दोनों ही अयोग्य होने पर भी सिर्फ राजपरिवार में पैदा होने के कारण शासन पर अपना अधिकार समझते हैं।
अर्जुन और नरेंद्र मोदी-
दोनों योग्यता से धर्मं के मार्ग पर चलते हुए शीर्ष पर पहुचे जहाँ उनको एहसास हुआ की धर्म का पालन कर पाना कितना कठिन होता है।
कर्ण और मनमोहन सिंह -
बुद्धिमान और योग्य होते हुए भी अधर्म का पक्ष लेने के कारण जीवन में वांछित सफलता न पा सके।
जयद्रथ और केजरीवाल-
दोनों अति महत्वाकांक्षी एक ने अर्जुन का विरोध किया दूसरे ने मोदी का। हालांकि इनको राज्य तो प्राप्त हुआ लेकिन घटिया राजनीतिक सोच के कारण बाद में इनकी बुराई ही हुयी।
शकुनि और दिग्विजय-
दोनों ही अपने स्वार्थ के लिए अयोग्य मालिको की जीवनभर चाटुकारिता करते रहे।
धृतराष्ट्र और सोनिया -
अपने पुत्र प्रेम में अंधे है।
श्रीकृष्ण और कलाम-
भारत में दोनों को बहुत सम्मान दिया जाता है परन्तु न उनकी शिक्षाओं को कोई मानता है और न उनके बताये रास्ते का अनुसरण करता है।
--यह है भारत और महाभारत !!
सादर आपका
शिवम् मिश्रा
प्रणाम |
आज के भारत और तब के महाभारत के पात्रों मे कुछ समानतायें पाई गई हैं -
दुर्योधन और राहुल गांधी -
दोनों ही अयोग्य होने पर भी सिर्फ राजपरिवार में पैदा होने के कारण शासन पर अपना अधिकार समझते हैं।
भीष्म और आडवाणी -
कभी भी सत्तारूढ़ नही हो सके फिर भी सबसे ज्यादा सम्मान मिला। उसके बाद भी जीवन के अंतिम पड़ाव पे सबसे ज्यादा असहाय दिखते हैं।
कभी भी सत्तारूढ़ नही हो सके फिर भी सबसे ज्यादा सम्मान मिला। उसके बाद भी जीवन के अंतिम पड़ाव पे सबसे ज्यादा असहाय दिखते हैं।
अर्जुन और नरेंद्र मोदी-
दोनों योग्यता से धर्मं के मार्ग पर चलते हुए शीर्ष पर पहुचे जहाँ उनको एहसास हुआ की धर्म का पालन कर पाना कितना कठिन होता है।
कर्ण और मनमोहन सिंह -
बुद्धिमान और योग्य होते हुए भी अधर्म का पक्ष लेने के कारण जीवन में वांछित सफलता न पा सके।
जयद्रथ और केजरीवाल-
दोनों अति महत्वाकांक्षी एक ने अर्जुन का विरोध किया दूसरे ने मोदी का। हालांकि इनको राज्य तो प्राप्त हुआ लेकिन घटिया राजनीतिक सोच के कारण बाद में इनकी बुराई ही हुयी।
शकुनि और दिग्विजय-
दोनों ही अपने स्वार्थ के लिए अयोग्य मालिको की जीवनभर चाटुकारिता करते रहे।
धृतराष्ट्र और सोनिया -
अपने पुत्र प्रेम में अंधे है।
श्रीकृष्ण और कलाम-
भारत में दोनों को बहुत सम्मान दिया जाता है परन्तु न उनकी शिक्षाओं को कोई मानता है और न उनके बताये रास्ते का अनुसरण करता है।
--यह है भारत और महाभारत !!
सादर आपका
शिवम् मिश्रा
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कहा कृष्ण ने अर्जुन से ज्ञान चक्षु खोल अपने
उन जवानों का कर्ज़ा चुकाएंगे कब?
"पिंजरा तोड़"
इश्क़, ख़ुदा और पछतावा
‘पथिक’ .. (स्टीफ़न क्रेन)
घिर आए हैं ख्वाब
देश प्रेम
समय तुम
कितना अब और इंतज़ार करूँ मैं...???
इश्क़ रंगता है मुझे रोज़
कुमार प्रशांत श्रीवास्तव की 'काँच के शामियाने 'से रोचक मुलाक़ात
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अब आज्ञा दीजिये ...
जय हिन्द !!!
7 टिप्पणियाँ:
वाह !
श्रीकृष्ण और कलाम-
भारत में दोनों को बहुत सम्मान दिया जाता है परन्तु न उनकी शिक्षाओं को कोई मानता है और न उनके बताये रास्ते का अनुसरण करता है। :)
बहुत बढ़िया तुलना ।
आभारी है 'उलूक' के 'देश प्रेम' को स्थान देने के लिये ।
मुझे याद करने के लिए आप के स्नेह का आभार शिवम् जी ....
रोचक चर्चा के साथ सुंदर बुलेटिन.मुझे भी शामिल करने के लिए आभार.
रोचक साम्य, सुन्दर सूत्र।
बहुत ही रोचक पोस्ट राजनीति और महाग्रंथ से जुड़ी हुई।
शिवम जी, ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, " भारत और महाभारत - ब्लॉग बुलेटिन " , मे इस पोस्ट को शामिल करने हेतु आपका ह्रदयतल की गहराइयों से धन्यवाद :)
सर्वप्रथम.. राष्ट्रप्रेम,
उपरांत.. धर्मप्रेम,
फिर.. स्वार्थ प्रेम..शिवमजी को सप्रेम
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