फिर एक ब्लॉगर को, एक फेसबुक आईडी को ब्लॉक कर दिया गया. बताया जा रहा है
कि अजीत सिंह नाम के उस व्यक्ति ने एक टीवी कार्यक्रम की रिपोर्ट की चर्चा
अपनी पोस्ट में की थी. वो पोस्ट कितनी सांप्रदायिक थी, उस पोस्ट से किसी के
मजहब को क्या खतरा हो सकता था, उस पोस्ट से कैसे माहौल बिगड़ने की सम्भावना
थी ये बातें तो वे लोग ही जानें जिन्होंने उस पोस्ट की रिपोर्ट की या वे
जानें जिन्होंने उस पोस्ट के आधार पर अजीत सिंह की आईडी को ब्लॉक कर दिया
है.
फ़िलहाल तो इतना कहा जा सकता है कि देश में ही नहीं वरन
विदेश में भी स्वतंत्र रूप से लिखने वालों पर खतरा तेजी से मंडराने लगा है.
कट्टर इस्लामिक कृत्यों के विरोध में लिखने पर, इस्लामिक आतंकवाद के
विरुद्ध लिखने वालों के लेखन को अवरुद्ध करने से जहाँ कट्टरपंथियों को
संतोष नहीं मिल रहा है वहाँ ऐसे लोगों की जान तक ले ली जा रही है.
बांग्लादेश में विगत माहों में ब्लॉगर्स की हत्याएं इसी का प्रतीक हैं.
इसी
तरह से देश में भी काफी वर्षों से धर्मनिरपेक्षता, साम्प्रदायिकता के नाम
पर राजनैतिक रोटियाँ लगातार सेंकी जाती रही हैं और उसी राजनैतिक आग पर
सामाजिकता को भी जलाने की कुत्सित योजना बनाई जाने लगती है. अब कुछ ऐसा ही
बार-बार धर्मनिरपेक्षता के नाम पर, साम्प्रदायिकता के नाम पर किया जाने लगा
है. धर्मनिरपेक्षता का, साम्प्रदायिकता का नाम लेकर आखिर कब तक
हिन्दू-मुस्लिम विभेद फैलाया जाता रहेगा? जो-जो लोग भी साम्प्रदायिकता की,
धर्मनिरपेक्षता की व्याख्या कर लेते हैं वे कृपया कुछ सामान्य से प्रश्नों
का जवाब दें, जो हिन्दू-मुस्लिम के दिमाग में ही नहीं जन्म रहे हैं बल्कि
प्रत्येक उस देशवासी के मन में उपज रहे हैं जो देश में अमन, शांति,
भाईचारा, सौहार्द्र चाहता है.
आखिर धर्मनिरपेक्षता के नाम पर इस तरह की साम्प्रदायिकता कब तक फैलाई जाती रहेगी..??
आखिर हिन्दू-विरोध के नाम पर इस्लामिक तुष्टिकरण कब तक किया जाता रहेगा..??
आखिर कट्टर, धर्मांध मुस्लिम खुद अपने आपको कब इंसान समझकर वास्तविकता को स्वीकारेंगे..??
आखिर कब समझ आएगा कि हिन्दू कभी भी सांप्रदायिक नहीं रहा, कभी भी कट्टर नहीं रहा..??
आखिर बचने की जरूरत किसे और किससे है..??
आखिर जिहाद के नाम पर चल रहे खून-खराबे को कौन सा मुसलमान पसंद कर रहा है..??
आखिर बम धमाकों के द्वारा, मासूमों की गर्दन काट कर, खून बहाकर किस धर्मनिरपेक्षता का पैगाम दिया जा रहा है..??
सवाल
बहुत हैं.... सबके दिमाग के हैं... और सभी लोगों के लिए हैं.... पर अब समय
आ गया है.... बाकी समझाना हमारा काम नहीं.... क्योंकि सब अपनी-अपनी जगह पर
पर्याप्त समझदार हैं.... फिर भी इतना तो समझना होगा कि जागे तो सवेरा
मिलेगा, सोते रहे तो बस अंधकार ही अंधकार है....
चलिए सवाल
हमारे अपने मन के हैं, हमारे अपनों के हैं सो जवाब तो खोजने ही पड़ेंगे...
तब तक आज के हालातों पर कुछ प्रकाश डालने की कोशिश है, आज की बुलेटिन के
माध्यम से. शायद कोई सन्देश दे पाने में सफल रहे... शायद साम्प्रदायिकता,
धर्मनिरपेक्षता का नाम लेकर अभिव्यक्ति पर अंकुश न लगे.. लेखनी को बाधित न
किया जाये.. धर्म-मजहब को कलंकित न किया जाये..... शायद....!!!
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आतंकी संगठन का खतरनाक 'वैश्विक' उभार
दुनिया के लिए आई.एस. एक नयी चुनौती
आखिर मुसलमान ही आतंकवादी क्यों
बांग्लादेश में एक युद्ध लड़ रहे हैं ब्लॉगर
जब अपने फेसबुक वॉल पर इस पाकिस्तानी ने लिखा,‘आई लव इंडिया, ग्रेट इंडिया’
एक ब्लॉगर का क़त्ल
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3 टिप्पणियाँ:
इंसान की बात छोड़ कर यहाँ
कुछ भी करने
की आजादी है
इंसान की बात
मत कर ऐ इंसान
कह दिया जायेगा
तू ही तो है वो जो
सब से बड़ा फसादी है ।
सुंदर बुलेटिन ।
बहुत खरी खरी कह दिए महाराज ....वैसे अब सच में ही यह समय आ गया है की तटस्थता की स्थिति से निकला जाए ....लिंक्स सुन्दर हैं ..चलते हैं पोस्टों की तरफ
बिलकुल सटीक और बेबाक ... जय हो राजा साहब ... बढ़िया बुलेटिन लगाई |
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