प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |
एक बार एक लड़के ने एक बुजुर्ग से पूछा, "बाबा, जब एक दिन दुनिया से जाना है तो फिर लोग पैसे के पीछे क्यों भागते हैं?"
"जब जमीन जायदाद जेवर यहीं रह जाते हैं तो लोग इनको अपनी जिंदगी क्यों बनाते हैं?"
"जब रिश्ते निभाने की बारी आती है तो दोस्त ही दुश्मनी क्यों निभाते हैं?"
बुजुर्ग ने गौर से तीनों सवाल सुने। फिर उसने माचिस की डिब्बी से तीन तीलियां निकालीं। दो तीलियां उसने फेंक दीं और एक तीली को आधा तोड़कर उसका ऊपर वाला भाग फेंक दिया। उसके बाद नीचे वाले भाग को नुकीला बनाकर अपना दांत कुरेदते हुए बोला,
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
"चल भाग यहाँ से, मुंझे नहीं पता।"
"जब जमीन जायदाद जेवर यहीं रह जाते हैं तो लोग इनको अपनी जिंदगी क्यों बनाते हैं?"
"जब रिश्ते निभाने की बारी आती है तो दोस्त ही दुश्मनी क्यों निभाते हैं?"
बुजुर्ग ने गौर से तीनों सवाल सुने। फिर उसने माचिस की डिब्बी से तीन तीलियां निकालीं। दो तीलियां उसने फेंक दीं और एक तीली को आधा तोड़कर उसका ऊपर वाला भाग फेंक दिया। उसके बाद नीचे वाले भाग को नुकीला बनाकर अपना दांत कुरेदते हुए बोला,
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
"चल भाग यहाँ से, मुंझे नहीं पता।"
शिक्षा :- कुछ सवालों के जवाब ... सिर्फ़ आपका अनुभव दे सकता है कोई और नहीं ... :)
सादर आपका
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
ख्वाहिशें
कभी पूरी ही नहीं होती
दो पंछी दो तिनके कहो ले के चले हैं कहां!
जहां उन का ठिकाना
रुकता नही वक्त कभी
इस की आदत भी आदमी की सी हैं
"बाज़ार से नहीं गुजरा हूँ, फिर भी खरीददार हूँ",
दुनिया मे हूँ, दुनिया का तलबगार नहीं हूँ
विद्वता और अहंकार
आजकल साथ साथ पाये जाते है
कार्टून:-अगले जनम मोहे सांसद बनाइयो
इस जन्म मे भी कोशिश कर लो
चाह मेरी
क्या है
दुनिया में किसी पर भी विश्वास करने से पहले बेहतर है कि परख लिया जाये।
बेहद जरूरी है
मुहल्ला अस्सी क्यों नहीं देखेंगें...?
हम तो देखेंगे ... दिखाओ तो
मानसून नदी
बहती रहे
मेरे एहसास अगर तुम पर लिखते चले गए.....
तो दुनिया मुझे पागल समझने लगेगी
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
अब आज्ञा दीजिये ...
जय हिन्द !!!
3 टिप्पणियाँ:
जरूरी क्या है?
यहाँ आना ? \
यहीं पर कुछ कह के जाना?
वहाँ जाना ?
वहाँ कुछ कह आना ?
जरूरी कुछ नहीं है।
अच्छा बुलेटिन है ।
ये चौथा सवाल है :)
धन्यवाद शिवम, मानसून नदी को ब्लाग बुलेटिन में जगह देने के लिए
एक टिप्पणी भेजें
बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!