प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
Amit Kumar Srivastava
फ़ेंचुरी फे उन्नीफ रन कम रह गए ,फक्फेना फाहब के । जब तक रहे खूब हंफे और खूब हंफाया । फुरुआती दौर में उन्होंने अपनी निजी और इकलौती बेगम और रेलवे फे फम्बंधित वाकयों पर ( लखनऊ में वह फ्टेशन माफ्टर थे ) बहुत फारे व्यंग लिखे । 'पराग' में जब खलीफा तरबूजी फेमफ हुआ था तब एक बार अपने पिता जी ( रेलवे में गार्ड ) के फाथ उनफ़े चारबाग फ्टेशन पर उनके कक्ष में मिला था । मेरे पिता जी के अच्छे मित्र थे वह ,उफ फमय मै बहुत छोटा था । उनकी क्रिकेट की कमेंट्री मुझे आज भी याद है ,जिफमें उन्होंने लिखा था ,"फाले फब के फब गुफ गए "।
विनम्र फ्रद्धांजलि ।
Kanchan Singh Chouhan
कुछ लोगों का होना अजीब होता है आपके जीवन में। उतना ही अजीब था के०पी० सक्सेना जी का होना। ३० सितंबर २००७ को उन्होने कहा था कि अगली ३० सितंबतर को तुम कई जगह छप चुकी होगी। जाने क्या था उस समय उनकी जुबान पर......
ये फोटो खिंचाने वो मंच से नीचे उतर कर मेरे पास आये थे और कहा था, जब तुम लिजेंड बनोगी तब मैं जिंदा नही रहूँगा, तुम्हारे साथ फोटो खिंचाने को.....!!
Sonal Rastogi
'अपने ही पानी में पिघलना बर्फ का मुकद्दर होता है'
के पी सक्सेना — feeling sad.
Rashmi Ravija
'फुबह के फ़ात बज रहे हैं ,फक्फेना फाहब ... बालुफाही और फमोफे लेने नहीं चलेंगे '
बचपन से खलीफा तरबूजी का ये जुमला जुबान पर चढ़ा हुआ है.
के.पी.सक्सेना साहब के हास्य-व्यंग्य हमेशा से बहुत ही उत्कृष्ट कोटि के और चेहरे पर मुस्कान लाने में सक्षम रहे हैं. आज के हास्य-व्यंग्य विधा की दुर्गति देख वे और भी याद आयेंगे .आपकी कमी हमेशा खलेगी .
विनम्र श्रद्धांजलि
Nivedita Srivastava
आज लखनऊ के हास्य और व्यंग की धार कहीं खो गयी ...... के . पी . सक्सेना जी आपके लिए स्वर्गीय लिख जाना कचोट रहा है
सलिल वर्मा
Abhi Shivam ne fone par khabar di..
Maine turat fone milaya.
Wo manhoos khabar pakki nikali.. Jeebh aur gale ki problem thi..
Subah Heart fail ho gaya..
Mujhe ek meethi zuban sikhane wale mere guru Drona SHRI K P SAXENA nahin rahe..
Abhi pichhale hafte apne bete ke sath unke ek article par short film banayi thi.. Aur main bana K P..
Mera pranaam aapke charanon mein!!
Aap sada jeevit rahenge mere dil mein - mere lekhan mein.
Dipak Mashal
कई लोग के.पी.सक्सेना जी को लगान फ़िल्म की वजह से जानते हैं, लेकिन असल में लगान उनकी प्रतिभा के ट्रेलर का भी ट्रेलर भर थी। विनम्र श्रद्धांजलि
Herjinder Sahni
कुछ सप्ताह पहले ही यह सिलसिला टूटा. पिछले कईं साल से सोमवार की दोपहर जब मैं के पी सक्से ना के व्यंयग्य का संपादन कर रहा होता था तभी कूरियर से उनका अगले सप्ता ह का व्यं ग्य आ जाता था. कभी कभी मेरे काम में देरी हो जाती थी लेकिन उनका व्यंयग्य समय पर ही आता था. मैं ही नहीं मेरे बाकी सहयोगी भी लाल और नीली स्या ही से लिखे गए खूबसूरत हैंडराइटिंग वाले उस लिफाफे का इंतजार करते थे.
मैं लखनऊ की उस पीढी का हूं जो स्वातंत्र भारत में के पी सक्सेना का व्यंग्य पढते हुए बडी हुई. व्यंग्य से हमारा पहला परिचय के पी सक्सेपना के जरिये ही हुआ. परसाई और शरद जोशी तो हमारी जिंदगी में बहुत बाद में आए.
लखनऊ छोडा तो के पी सक्से ना मेरे लिए और भी महत्वापूर्ण हो गए. उनके व्यंग्य अब सिर्फ व्यं ग्य् नहीं थे, वे अब ऐसी रचनाएं थीं जिनमें मैं लखनऊ का महसूस कर सकता था.
लेकिन आज, लखनऊ से दूरी की तकलीफ को कम करने वाला एक और पुल टूट गया.
Lalitya Lalit
के पी का जाना
आज सुबह हिंदी व्यंग्य के बुजुर्ग व्यंग्य शिल्पी श्री के पी सक्सेना का लम्बी बीमारी के बाद लखनऊ में निधन हो गया ,उन के लेखन में एक एहसास था जो पड़ने बैठता था तो पढ के ही उठता था ,कभी वोह अपने जीवन में किसी भी द्वन्द ने नहीं रहे ,एक एक कर बुजुर्ग रचनाकारों का चले जाना हिंदी साहित्य की एक अपूरणीय क्षति है ,प्रभु उन कि आत्मा को शांति प्रदान करे
Satish Kumar Chouhan
लखनऊ से अट्हास पत्रिका के संपादक और चर्चित रचनाकार अनूप श्रीवास्तव ने दुखद समाचार दिया कि आज सुबह ७ बजे हिंदी व्यंग्य के सशक्त हस्ताक्षर के पी सक्सेना का स्वर्गवास हो गया। हिंदी व्यंग्य को विशाल पाठक वर्ग से जोड़ने एवं उसे लोकप्रिय विधा बनाने में के पी भाई का महत्वपूर्ण योगदान है ,
Sanjay Vyas
केपी जी !! RIP
BANK LOCKER- by K P SAXENA............. www.youtube.com
प्रणाम !
आज ३१ अक्तूबर है ... वैसे तो आज के दिन को याद रखने के और भी बहुत से कारण है पर आज सुबह से जिस खबर के कारण आज का दिन विशेष हो गया है वो कोई खुशखबरी नहीं पर एक दुखद खबर है !
मशहूर लेखक केपी सक्सेना साहब नहीं रहे ...
'लगान', 'स्वदेस' और 'जोधा अकबर' जैसी सुपरहिट फिल्मों में डायलॉग
लिखने वाले लखनऊ के मशहूर लेखक और व्यंग्यकार केपी सक्सेना ने ८१ साल की
उम्र में आज इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया। केपी के नाम से
मशहूर यह लेखक एक साल से जीभ के कैंसर से जूझ रहा था और दो बार उनकी सर्जरी
भी हो चुकी थी।
केपी सक्सेना का पूरा नाम कालिका प्रसाद सक्सेना था, लेकिन अपने
चाहनेवालों के बीच वे केपी के नाम से ही मशहूर हुए। केपी की पकड़ सिर्फ
हिंदी पर नहीं थी, बल्कि उर्दू और अवधी में भी उनको महारत हासिल थी।
साहित्य में खास योगदान के लिए उन्हें 2000 में पद्मश्री पुरस्कार दिया गया
था। अपनी चुंबकीय लेखन शैली के चलते उन्हें फिल्म इंडस्ट्री में भी मौका
मिला और उनके जबरदस्त डायलॉग्स ने कई फिल्मों को सुपरहिट बनाया। उन्होंने
लगान, स्वदेस, हलचल, जोधा अकबर (2008)च् जैसी सुपरहिट फिल्में दी हैं। जोधा
अकबर के लिए तो उन्हें बेस्ट डॉयलाग कैटेगरी में फिल्म फेयर अवार्ड के लिए
नॉमिनेट किया गया था।
केपी ने 80 के दशकी शुरुआत में दूरदर्शन के लिए सीरियल 'बीवी नातियों
वाली' लिखा था। केपी ने लेखन के क्षेत्र में आने से पहले रेलवे में लिए
स्टेशन मास्टर के तौर पर नौकरी भी की थी। बरेली में जन्मे केपी पचास के दशक
में लखनऊ में आकर बस गए थे।
फेसबुक पर भी लोगो ने इस दुखद खबर पर गहरा शोक प्रकट किया है ...
Amit Kumar Srivastava
फ़ेंचुरी फे उन्नीफ रन कम रह गए ,फक्फेना फाहब के । जब तक रहे खूब हंफे और खूब हंफाया । फुरुआती दौर में उन्होंने अपनी निजी और इकलौती बेगम और रेलवे फे फम्बंधित वाकयों पर ( लखनऊ में वह फ्टेशन माफ्टर थे ) बहुत फारे व्यंग लिखे । 'पराग' में जब खलीफा तरबूजी फेमफ हुआ था तब एक बार अपने पिता जी ( रेलवे में गार्ड ) के फाथ उनफ़े चारबाग फ्टेशन पर उनके कक्ष में मिला था । मेरे पिता जी के अच्छे मित्र थे वह ,उफ फमय मै बहुत छोटा था । उनकी क्रिकेट की कमेंट्री मुझे आज भी याद है ,जिफमें उन्होंने लिखा था ,"फाले फब के फब गुफ गए "।
विनम्र फ्रद्धांजलि ।
Kanchan Singh Chouhan
कुछ लोगों का होना अजीब होता है आपके जीवन में। उतना ही अजीब था के०पी० सक्सेना जी का होना। ३० सितंबर २००७ को उन्होने कहा था कि अगली ३० सितंबतर को तुम कई जगह छप चुकी होगी। जाने क्या था उस समय उनकी जुबान पर......
ये फोटो खिंचाने वो मंच से नीचे उतर कर मेरे पास आये थे और कहा था, जब तुम लिजेंड बनोगी तब मैं जिंदा नही रहूँगा, तुम्हारे साथ फोटो खिंचाने को.....!!
Sonal Rastogi
'अपने ही पानी में पिघलना बर्फ का मुकद्दर होता है'
के पी सक्सेना — feeling sad.
Rashmi Ravija
'फुबह के फ़ात बज रहे हैं ,फक्फेना फाहब ... बालुफाही और फमोफे लेने नहीं चलेंगे '
बचपन से खलीफा तरबूजी का ये जुमला जुबान पर चढ़ा हुआ है.
के.पी.सक्सेना साहब के हास्य-व्यंग्य हमेशा से बहुत ही उत्कृष्ट कोटि के और चेहरे पर मुस्कान लाने में सक्षम रहे हैं. आज के हास्य-व्यंग्य विधा की दुर्गति देख वे और भी याद आयेंगे .आपकी कमी हमेशा खलेगी .
विनम्र श्रद्धांजलि
Nivedita Srivastava
आज लखनऊ के हास्य और व्यंग की धार कहीं खो गयी ...... के . पी . सक्सेना जी आपके लिए स्वर्गीय लिख जाना कचोट रहा है
सलिल वर्मा
Abhi Shivam ne fone par khabar di..
Maine turat fone milaya.
Wo manhoos khabar pakki nikali.. Jeebh aur gale ki problem thi..
Subah Heart fail ho gaya..
Mujhe ek meethi zuban sikhane wale mere guru Drona SHRI K P SAXENA nahin rahe..
Abhi pichhale hafte apne bete ke sath unke ek article par short film banayi thi.. Aur main bana K P..
Mera pranaam aapke charanon mein!!
Aap sada jeevit rahenge mere dil mein - mere lekhan mein.
Dipak Mashal
कई लोग के.पी.सक्सेना जी को लगान फ़िल्म की वजह से जानते हैं, लेकिन असल में लगान उनकी प्रतिभा के ट्रेलर का भी ट्रेलर भर थी। विनम्र श्रद्धांजलि
Herjinder Sahni
कुछ सप्ताह पहले ही यह सिलसिला टूटा. पिछले कईं साल से सोमवार की दोपहर जब मैं के पी सक्से ना के व्यंयग्य का संपादन कर रहा होता था तभी कूरियर से उनका अगले सप्ता ह का व्यं ग्य आ जाता था. कभी कभी मेरे काम में देरी हो जाती थी लेकिन उनका व्यंयग्य समय पर ही आता था. मैं ही नहीं मेरे बाकी सहयोगी भी लाल और नीली स्या ही से लिखे गए खूबसूरत हैंडराइटिंग वाले उस लिफाफे का इंतजार करते थे.
मैं लखनऊ की उस पीढी का हूं जो स्वातंत्र भारत में के पी सक्सेना का व्यंग्य पढते हुए बडी हुई. व्यंग्य से हमारा पहला परिचय के पी सक्सेपना के जरिये ही हुआ. परसाई और शरद जोशी तो हमारी जिंदगी में बहुत बाद में आए.
लखनऊ छोडा तो के पी सक्से ना मेरे लिए और भी महत्वापूर्ण हो गए. उनके व्यंग्य अब सिर्फ व्यं ग्य् नहीं थे, वे अब ऐसी रचनाएं थीं जिनमें मैं लखनऊ का महसूस कर सकता था.
लेकिन आज, लखनऊ से दूरी की तकलीफ को कम करने वाला एक और पुल टूट गया.
Lalitya Lalit
के पी का जाना
आज सुबह हिंदी व्यंग्य के बुजुर्ग व्यंग्य शिल्पी श्री के पी सक्सेना का लम्बी बीमारी के बाद लखनऊ में निधन हो गया ,उन के लेखन में एक एहसास था जो पड़ने बैठता था तो पढ के ही उठता था ,कभी वोह अपने जीवन में किसी भी द्वन्द ने नहीं रहे ,एक एक कर बुजुर्ग रचनाकारों का चले जाना हिंदी साहित्य की एक अपूरणीय क्षति है ,प्रभु उन कि आत्मा को शांति प्रदान करे
Satish Kumar Chouhan
लखनऊ से अट्हास पत्रिका के संपादक और चर्चित रचनाकार अनूप श्रीवास्तव ने दुखद समाचार दिया कि आज सुबह ७ बजे हिंदी व्यंग्य के सशक्त हस्ताक्षर के पी सक्सेना का स्वर्गवास हो गया। हिंदी व्यंग्य को विशाल पाठक वर्ग से जोड़ने एवं उसे लोकप्रिय विधा बनाने में के पी भाई का महत्वपूर्ण योगदान है ,
Sanjay Vyas
केपी जी !! RIP
BANK LOCKER- by K P SAXENA............. www.youtube.com
ब्लॉग बुलेटिन की पूरी टीम और पूरे हिन्दी ब्लॉग जगत की ओर से हम सब स्व॰ के॰ पी॰ सक्सेना साहब को अपनी हार्दिक विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते है ... शत शत नमन करते है ... प्रभु उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें ... ॐ शांति शांति शांति |
क्या फक्फेना फाहब, फ़ेंचुरी फे उन्नीफ रन ही तो कम रह गए , आप ने अपना विकेट इतनी आफानी फे कैफे दे दिया !?
आप तो ऐफे न थे !!