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गुरुवार, 5 जुलाई 2012

क्रोध की ऊर्जा का रूपांतरण - ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय ब्लॉगर मित्रो ,
प्रणाम !

गीता मे अर्जुन को समझाते हुए श्री कृष्ण कहते हैं, 'काम' के मार्ग में बाधा आने पर क्रोध का जन्म होता है। क्रोध मन के संवेगों का प्रवाह है, जिस पर बांध न बनाए जाने पर वह व्यक्ति को पतन की ओर ले जाता है। वैज्ञानिक शोध भी बताते हैं कि 60 सेकेंड का क्रोध व्यक्ति के शरीर को 600 सेकेंड तक कंपित करता है, क्योंकि क्रोध से जुड़े तथ्य व्यक्ति को 600 सेकंड तक व्यथित करते रहते हैं। क्रोध एक ऐसी आग है, जिसमें जलने वाले व्यक्ति की ऊर्जा का क्षय हो जाता है।
लड़ने को सदैव तत्पर
मनोवैज्ञानिक मानते हैं कि प्रत्येक व्यक्ति हर स्थिति-परिस्थिति में अपने अनुकूल परिणाम चाहता है। इसके लिए ज्यादातर व्यक्ति लड़ने और बहस करने के लिए तत्पर हो जाते हैं। वहीं कोई व्यक्ति लड़ने को उद्यत हो रहा हो, तो हम तुरंत ईंट का जवाब पत्थर से देना शुरू कर देते हैं। जरा-सी बात पर हमारे अंदर का पशु क्रोध के रूप में सामने आ जाता है।
क्रोध के कारण
हमारे अंदर क्रोध का कारण शारीरिक, जैविक, परिवेश, संस्कार, दृष्टिकोण आदि हो सकता है। चिड़चिड़ाना, रोना, कड़वे वचन बोलना, कुंठा, हिंसा, ईष्र्या, द्वेष आदि के रूप में भी क्रोध की अभिव्यक्ति होती है। क्रोध के समय हम इतने व्यथित हो जाते हैं कि इससे बचने के बजाय उसमें ही उलझ जाते हैं। अधिकतर लोग क्रोध के बाद क्रोध के औचित्य को ही सिद्ध नहीं करते हैं, बल्कि अपने कुतर्क से इसके लिए दूसरों को उत्तरदायी भी ठहराते हैं।
अध्यात्म है क्रोध की औषधि
यदि व्यक्ति साधना और ध्यान का निरंतर अभ्यास करता है, तो वह जान पाता है कि उसे क्रोध क्यों आता है। वह समझ जाता है कि वह स्वयं ही क्रोध का कारण है। अध्यात्म से जुड़ा व्यक्ति निरंतर अभ्यास करता है, जिससे वह क्रोध से बच सके। निरंतर अभ्यास से मन शांत होने लगता है और बड़ी-बड़ी समस्याएं विवेकपूर्ण ढंग से सुलझा लेता है। निर्णय लेने की क्षमता भी बढ़ जाती है।
ऊर्जा परिवर्तित करना
आध्यात्मिक व्यक्ति अपने प्रति सजग हो जाता है। क्रोध का उत्तर वह क्रोध से नहीं देता। जब सामने वाले को जताया जाए कि उसकी बात पर आप न तो क्रोधित हैं और न ही उसकी बात का बुरा माना है, तो आप महसूस करेंगे कि वह न केवल शांत हो जाएगा, बल्कि शर्मिंदगी भी महसूस करेगा। व्यक्ति यदि चाहे, तो अपनी क्रोध की ऋणात्मक ऊर्जा को सकारात्मकता की ओर ले जा सकता है। सकारात्मक ऊर्जा के साथ व्यक्ति उचित निर्णय लेने की स्थिति में पहुंच जाता है। सच तो यह है कि क्रोध की ऋणात्मक ऊर्जा तर्क-कुतर्क करती है, जबकि सकारात्मक ऊर्जा जीवन को एक नया आयाम देती है।
आलेख - डॉ. सुरजीत सिंह गांधी

सादर आपका 

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अब आज्ञा दीजिये ...
 
जय हिंद !!

26 टिप्पणियाँ:

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

बढ़िया बुलेटिन शिवम जी....
अपनी रचना यहाँ पाकर खुशी हुई....

शुक्रिया.

अनु

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

ढेर सारा लिंक दे दिये हैं। सब पढ़ें तब न बतायें कि कैसी बुलेटिन है।:(

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

बहुत बहुत धन्यवाद भैया मेरी पोस्ट पसंद करने के लिए।


सादर

विष्णु बैरागी ने कहा…

मुझे शरीक कर आपने मुझे अतिरिक्‍त सम्‍मान प्रदान किया है। अन्‍तर्मन से आपका आभारी हूँ।

रश्मि प्रभा... ने कहा…

ऐसे कुतर्क से कई बार रूबरू होना पड़ा है ...
बुलेटिन सीख देती है ... लिंक्स विचार

Satish Saxena ने कहा…

बड़े प्यारे लिंक दिए हैं शिवम भाई ...और
अंदाज़ तो विशेष है ही !

shikha varshney ने कहा…

अच्छी सीख देती बुलेटिन.

रविकर ने कहा…

nice

Anupama Tripathi ने कहा…

वाह क्रोध पर सार्थक चर्चा और बुलेटिन भी बढ़िया ...!!
बहुत आभार शिवम मेरी रचना को स्थान दिया ..!!

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

बहुत बढ़िया बुलेटिन ...चैतन्य को शामिल करने का आभार

Ragini ने कहा…

बहुत ही बढ़िया बुलेटिन है...मुझे भी शामिल करने के लिए शुक्रिया....

Randhir Singh Suman ने कहा…

nice

Soniya Gaur ने कहा…

डॉक्टर सुरजीत का लेख बहुत ही ज्ञानवर्धक लगा मुझे.... मेरी रचना को शामिल करने के लिए आपकी तहेदिल से आभारी हो ध्न्यवाद शिवम जी

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

गुड है !!

उपेन्द्र नाथ ने कहा…

dhanyabad shivam ji, bahut achchhe link mile. sunder prastuti.

Arvind Mishra ने कहा…

शानदार जानदार

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

क्रोध तो नियन्त्रण में करना ही होगा...बहुत ही सुन्दर सूत्र..

मनोज कुमार ने कहा…

क्रोध पर नियंत्रण के उपाय वाली बात बहुत अच्छी रही। हमारे ब्लॉग को स्थान दिया गया इसके लिए आभार।

anshumala ने कहा…

चर्चा में मेरी पोस्ट शामिल करने के लिए धन्यवाद !
क्रोध करना बुरा नहीं है बल्कि उसे बिना सोचे व्यक्त कर देना गलत है अपने क्रोध से खुद को प्रेरित करने के लिए भी उपयोग कर सकते है और समाज में हो रही बुराई के प्रति क्रोध करना और फिर उसके लिए काम करना बुरा नही है |

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

बहुत बहुत धन्यवाद,शिवम जी !

मुकेश पाण्डेय चन्दन ने कहा…

बुलेटिन चर्चा में मेरी पोस्ट शामिल करने के लिए धन्यवाद !
बहुत ही सुन्दर बुलेटिन !

Vinamra ने कहा…

वैसे क्रोध में तो इतनी उर्जा होती है की अगर ठीक से पिरोया जाए तो हमारी बिजली की जटिल समस्या भी हल हो सकती है.

अजय कुमार झा ने कहा…

बहुत ही सार्थक प्रस्तावना के साथ सुंदर लिंक्स चयन शिवम भाई । बहुत बढिया जमाए आप बुलेटिन । बहुत बहुत शुक्रिया ।

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

bahut sunder links sajaye hain. kuchh links tak pahunch payi aur kaafi aanand uthaya...samay ki kami k karan sabhi link tak nahi pahunch payi.

SAMAR SHESH HAI ko yaha samaan dene k liye aabhari hun.

शिवम् मिश्रा ने कहा…

आप सब का बहुत बहुत आभार !

डॉ टी एस दराल ने कहा…

आरम्भ में ही आध्यात्मिक चिंतन चर्चा में चार चाँद लगा रहा है . बढ़िया चर्चा .

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