दो सौ रुपये... आखिर क्या कीमत है इन दो सौ रुपयों की.... यकीन मानिये बहुत
बडी कीमत है दो सौ रुपये की... एक जान चली जाती है दो सौ रुपयों में... जी
हाँ यह २०१२ का भारत है... आज़ाद भारत है.. आइये इस भारत को ध्यान से देखते
हैं... पंजाब का जालंधर शहर, सरकारी सिविल अस्पताल ... एक नवजात बच्ची का
जन्म होता है... और बच्ची को पैदा होने के बाद इन्क्युबेटर पर रखा जाना
था... कीमत मांगी गयी दो सौ रूपये... लेकिन दिहाड़ी मजदूर पिता अपनी बच्ची
के लिए दो सौ रूपये जमा नहीं करा पाया.... और अस्पताल प्रशासन बच्ची को
लाइफ सपोर्ट सिस्टम से हटा देता है... और बच्ची की जान चली जाती है.... जी
हाँ यह वाकई २०१२ का भारत है... फिर ज़िम्मेदारी से पल्ला झाड़ने की भेड़
चाल शुरू होती है.. अस्पताल अपनी ज़िम्मेदारी से भागते हैं.. मुख्यमंत्री
जांच का भरोसा देते हैं.. लेकिन... क्या वाकई कुछ होगा? उम्मीद नहीं... जी
हाँ यह वाकई २०१२ का भारत है...
आईए अब आपको देश की राजधानी दिल्ली दिखाते हैं.... तीन नौजवानों ने खुद को एलआईसी एजेंट बताकर मैजिक पेन की मदद से बुजुर्ग से २०० रुपयों का चेक लिया, लेकिन हेरा फ़ेरी करके... खाते से ९० हजार रुपये निकाल लिए। जी
हाँ यह वाकई २०१२ का भारत है....
इस चकाचौंध... इस चमचमाती हुई समझदार आर्थिक तरक्की महज़ एक छलावा है, और इसकी आड में क्या यही २०१२ का भारत है? सरकार की तरफ़ देखिए तो एक तिहाई मंत्रिमंडल दागदार हैं, कॄषि मंत्री व्यस्त हैं क्योंकी उन्हे दो नम्बर चाहिए... मंहगाई की तरफ़ देखनें और सच्चाई का सामना करनें को कोई तैयारी नहीं है... क्या कहियेगा। फ़िर एक खबर आती है तिवारी जी छियासी साल में पापा बन गये.... शर्मनाक!! और सामाजिक स्थिति आखिर क्या बनी... जी
हाँ बिल्कुल यह वाकई २०१२ का ही भारत है....
इस भारत में जिधर महज़ दो सौ रुपयों के लिए जान चली जाती है, सरकारी अस्पताल बदहाली पर रोते हैं... सरकार बजट का रोना रोती है... और वहीं करोडो रुपये कसाब पर खर्चे जाते हैं... सरकारी बाबूओं की मौज बनी रहे उसके लिए पैसा पानी की तरह बहाया जाता है....
ज़रा सोचिए... पन्द्रह अगस्त नज़दीक है... लेकिन क्या वाकई इस २०१२ के इस आज़ाद भारत की आम जनता को आज़ादी मिली है... अदम गौंडवी साहब की चंद पंक्तिंयां....
जो आ गए फुटपाथ पर घर की तलाश में
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चलिए आज के बुलेटिन की तरफ़ चलें... एक लाईना
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नेग और ब्याज :- जी बिल्कुल... अब इसी की कसर बाकी थी....
कलयुग की सत्यनारायण कथा . :- जी वाकई यह २०१२ के हिन्दुस्तान की कहानी है
दोहवाली .... भाग - 22 / संत कबीर :- बहुत अच्छे
उम्र पूरी हुई , ख़त अधूरा रहा:_ :- पूरा कीजिए
मैं :- कितना खतरनाक होता है न यह मैं...
स्तालिन युग’’: अन्ना लुर्डस्ट्रांग :- पढना अच्छा लगा... देखते हैं अन्ना का क्या होता है..
एनडी तिवारी ही रोहित शेखर के पिता :- देश बदल रहा है न
परबत बनेंगे, सड़क धीरे-धीरे" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') :- आहिस्ता आहिस्ता
शब्दों के अरण्य में ... :- बहुत अच्छे
तुम पुष्प भाँति मुस्कान लिये :- वाह वाह
घर से निकाला आज बेटे ने मुझे, पा एक बेटी रास्ते पर आ गया :- बहुत अच्छे भाई
अगस्त में जुटेंगे ब्लॉगिंग के महारथी :- भाई कोई देव बाबा को भी इन्भिटेशन भेजो...
ईश्वर :- अनन्त है
सच क्या है ? :- भगवान जानें सच क्या है...
घर की खामोशी :- वो अफ़साना जिसे अंज़ाम तक लाना न हो मुम्किन... उसे एक खूबसूरत मोड देकर छोडना अच्छा...
केजरीवाल...:- टीम अन्ना
एर्नेस्तो कार्देनाल की कविता:- पढिए तो कहिए
नेपाल यात्रा- गोरखपुर से रक्सौल (मीटर गेज ट्रेन यात्रा):- गजब ट्रेन चलाई भाई
बर्फ़ानी आश्रम एवं संत बालयोगी का योग ---------- ललित शर्मा :- जै हो... हर हर महादेव
हम तेरे शहर में हैं...अनजाने,बिन तेरे कौन हम को पहचाने... :- हर कोई अकेला ही तो है इस अनजान से शहर में...
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मित्रों आशा है आज का बुलेटिन आपको पसन्द आया होगा.... कल फ़िर मिलेंगे...
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6 टिप्पणियाँ:
जी हाँ बिल्कुल यह वाकई २०१२ का ही भारत है....जहां बड़ी बातों को अनदेखा कर छोटी बातों पर पहरे लगा दिये जाते हैं ...
सुन्दर लिंक्स सुन्दर बुलेटिन
सार्थक बुलेटिन देव ... आभार !
उम्दा बुलेटिन ...!!
शुभकामनायें..
बढिया
सुन्दर सूत्र..
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