Subscribe:

Ads 468x60px

कुल पेज दृश्य

सोमवार, 19 अगस्त 2019

इनाम में घोड़ा लेंगे या सेव - ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |

एक राजा था,,,उसने एक सर्वे करने का सोचा कि
मेरे राज्य के लोगों की घर गृहस्थी पति से चलती है या पत्नि से...??
🤷🏻‍♂🤷🏻‍♂

उसने एक ईनाम रखा कि "  जिसके घर में पति का हुक्म चलता हो, उसे मनपसंद घोडा़ ईनाम में मिलेगा और जिसके घर में पत्नि की सरकार हो वह एक सेब ले जाए.. ।
🐴🍎

एक के बाद एक सभी नगरजन सेब उठाकर जाने लगे ।
राजा को चिंता होने लगी.. क्या मेरे राज्य में सभी जगह पत्नी का हुक्म चलता है,,🤔🤔
इतने में एक लम्बी लम्बी मूछों वाला, मोटा तगडा़ और लाल लाल आखोंवाला जवान आया और बोला
" राजा जी मेरे घर में मेरा ही हुक्म चलता है .. घोडा़ मुझे दीजिए .."

राजा खुश हो गए और कहा जा अपना मनपसंद घोडा़ ले जा ..।😀😀
जवान काला घोडा़ लेकर रवाना हो गया ।

घर गया और फिर थोडी़ देर में दरबार में वापिस लौट आया।

राजा: " क्या हुआ जवामर्द ? वापिस क्यों आया..??"

जवान : " महाराज, घरवाली कहती है काला रंग अशुभ होता है, सफेद रंग शांति का प्रतिक होता है तो आप मुझे सफेद रंग का घोडा़ दीजिए।

राजा: " घोडा़ रख ..और सेब लेकर चलता बन,,,

इसी तरह रात हो गई ...दरबार खाली हो गया,, लोग सेब लेकर चले गए ।

आधी रात को महामंत्री ने दरवाजा खटखटाया,,,

राजा : " बोलो महामंत्री कैसे आना हुआ ?"

महामंत्री : " महाराज आपने सेब और घोडा़ ईनाम में रखा ,इसकी जगह एक मण अनाज या सोना वगेरह रखा होता तो लोग  कुछ दिन खा सकते या जेवर बना सकते थे,,,

राजा :" मुझे तो ईनाम में यही रखना था लेकिन महारानी ने कहा कि सेब और घोडा़ ही ठीक है इसलिए वही रखा,,,,

महामंत्री : " महाराज आपके लिए सेब काट दुँ..!!

राजा को हँसी आ गई और पुछा यह सवाल तुम दरबार में या कल सुबह भी पुछ सकते थे तो आधी रात को क्यों आये ??

महामंत्री : " मेरी धर्मपत्नी ने कहा अभी जाओ और पुछ के आओ,,,सच्ची घटना का पता चले।

राजा ( बात काटकर ) : " महामंत्री जी , सेब आप खुद ले लोगे या घर भेज दिया जाए ।"

सादर आपका
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

लोहे का घर-56

३७६. इतवार

कभी तो चौंक के देखे कोई हमारी तरफ, क‍िसी की आंख में हमको भी इंतज़ार द‍िखे ….Gulzar

बलिदानी मदन लाल ढींगरा

डॉ शंकर दयाल शर्मा - सदैव श्रद्धेय व्यक्तित्व

विश्वास है

आने वाले कल के लिए

तस्वीर तेरी आँखों में बसाया.......

भाव जगेंं जब अनुपम भीतर

जाने क्यों आँखें रहती नम नम ...

उठ लखन लाल प्रिय भाई - राम की आकुलता पर आधारित सुन्दर गीत

कविता की रेसिपी

थेथर से होते थे न दोस्त

एक सफ़र स्त्री मन का खुद से बातें करते हुए ...

#विश्व_फोटोग्राफी_दिवस #लघुकथा #कैमरा

~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
अब आज्ञा दीजिए ...

जय हिन्द !!!

10 टिप्पणियाँ:

Onkar ने कहा…

सुन्दर बुलेटिन.मेरी कविता शामिल की.आभार.

Shalini kaushik ने कहा…

सार्थक बुलेटिन, मेरी पोस्ट को स्थान् देने हेतु हार्दिक धन्यवाद सर

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

कथा आनन्द दायक है। आज तो हम भी सेव लेकर आए हैं।

सागर नाहर ने कहा…

मजेदार कहानी।
:)

अनुपमा पाठक ने कहा…

The story brought a smile!
सुंदर संयोजन!
आभार!

दिगम्बर नासवा ने कहा…

सार्थक बुलेटिन ... बहुत से अच्छे लिंक्स ...
आभार मुझे भी शामिल करने के लिए आज ...

अजय कुमार झा ने कहा…

हा हा हा हा हा , जय हो पत्नी कथा की ।
चकाचक बुलेटिन लगाए महाराज 🙏🙏🙏🙏🙏

Anita ने कहा…

रोचक भूमिका, पठनीय सूत्रों से सजा बुलेटिन..आभार !

Preeti 'Agyaat' ने कहा…

रोचक किस्सा...पठनीय लिंक्स
मेरी पोस्ट सम्मिलित करने के लिए धन्यवाद

Alaknanda Singh ने कहा…

धन्यवाद श‍िवम जी मेरी ब्लॉग पोस्ट को अपने इस नायाब सेकलन में शाम‍िल करने के ल‍िए

एक टिप्पणी भेजें

बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!

लेखागार