सायद एही साल का बात है या लास्ट ईयर का. समय
पुस्तक मेला का था,
इसलिये साल चाहे जो भी हो, हम तब तक दिल्ली से
निकाले नहीं गये थे. पुस्तक मेला का तमाम गहमा-गहमी के बीच मेला घूमना अऊर बहुत सा
किताब खरीदना त होबे किया, एगो अलग अनुभब ई हुआ कि ब्लॉग के पुराना
समय के दोस्त लोग से मिलना-मिलाना भी हुआ. अऊर हमारे लिये त भतीजा अभिसेक अऊर बेटी
झूमा को लेकर घूमने का एगो अलगे मजा है. किताब खरीदने के साथ-साथ उसका समीच्छा भी
साथे साथ हो जाता है.
ई सबके साथ एगो बात जो ई पुस्तक मेला का आकर्सन
होता है,
ऊ होता है अपने दोस्त लोग के किताब का बिमोचन. उसमें भाग लेना,
किताब को खरीदकर पढ़ना अऊर उनके साथ अपना नाम भी जुड़ा होने का एगो
अलगे आनन्द है. तनी देर के लिये हम भी ऊ लोग के साथ सेलेब्रिटी का स्टैटस पा लेते
हैं. बाकी हमको कभी ई बात का मलाल नहीं हुआ कि हमरा कोनो किताब कभी नहीं छपा. बहुत
लोग बोला, लेकिन हमरा मुस्कुराने के अलावा कोई जवाब नहीं रहा.
आज अर्चना तिवारी जी से भी एही बात हो
रहा था. हम उनको बोले कि हम जेतना अच्छा पाठक हैं, ओतने खराब
लेखक हैं, इसलिये किताब लिखने के तरफ कभी ध्यान नहीं गया. हाँ ई बात अऊर है कि मार्केट में हमसे भी खराब
लिखने वाला लोकप्रिय लोग है, इसलिये कभी-कभी हमको भी अपना
लिखा अच्छा लगता है. हम अऊर अर्चना जी एक
दूसरा के बात से सहमत थे कि अभी हमलोग को किताब के तरफ से ध्यान हटा लेना चाहिये.
वैसे भी हम आजकल लघुकथा के तर्ज पर लघु-कबिता
लिखने का कोसिस कर रहे हैं. अब काहे कि ई कोसिस है इसलिये बहुत कम लोग को इसके बारे में पता है. हमारा
बुलेटिन का टीम में भी रश्मि दी, वाणी जी अऊर शिवम बाबू को सायद
इसका खबर होगा. बाकी त जब तक छप नहीं जाते, तब तक छिपे रहने
में भलाई है. ई कबिता लिखने का काम भी हम रोज का एगो कबिता के हिसाब से करते हैं
अऊर कमाल का बात है कि मजाक मजाक में साल भर में 365 से जादा हो गया है हमरा ई
टाइम पास.
खैर, ई सब त बात से निकला बात है. असली बात जो हम आप लोग को बताने जा रहे हैं ऊ एही साल का फरवरी का घटना है सायद. एक रोज हम अभिसेक को फोन लगाकर बोले
खैर, ई सब त बात से निकला बात है. असली बात जो हम आप लोग को बताने जा रहे हैं ऊ एही साल का फरवरी का घटना है सायद. एक रोज हम अभिसेक को फोन लगाकर बोले
- अभिषेक!
अब तैयार हो जाओ विमोचन के लिये!
- किसका
विमोचन चचा?
- विमोचन
किताब का होता है,
तो किताब का ही होगा न!
- बताइये
कहाँ चलना है और कब... किनके किताब का विमोचन है?
- अभी
तय नहीं हुआ है!
- मतलब??
- देखो
विमोचन का तारीख पक्का है 14 फरवरी और जगह भी तय है – इण्डिया गेट!
- ठीक
है चचा,
लेकिन किनके किताब का विमोचन है, ये तो
बताइये!
- तुम्हारे
चचा का किताब अभी फाइनल नहीं हुआ है, जिस दिन हो गया उस
दिन इसी डेट और वेन्यु पर तुम्हारे हाथों विमोचन होगा.
- आप
मजाक कर रहे हैं चचा,
आपका बर्थ-डे तो 12 फरवरी को होता है, चौदह को
तो वैलेंटाइन डे होता है.
-
वही तो. सोचते हैं अपनी कबिता का
किताब छपवा ही देते हैं और कीमत होगा पचास रुपया. इण्डिया गेट पर तुम्हारे हाथों
विमोचन होगा,
क्योंकि मेरी कविताओं को जितनी इज़्ज़त तुमने दी है शायद किसी ने नहीं
दी. ऐसे में अनावरण तुम्हारे हाथों होगा और हमलोग इण्डिया गेट पर आये हुये
वैलेंटाइन डे के जोड़ों को कहेंगे कि दूसरे दिन सूख जाने वाले गुलाब से अच्छा है कि
ये ताज़ी कविता की किताब दो अपने चाहने वाले को जिसकी ख़ुशबू वो ज़िंदगी भर महसूस
करेगा/ करेगी.
-
अच्छा आइडिया है चचा!
अभिसेक
भी हमरे हाँ में हाँ मिला दिया जइसा ऊ हमरे हर बेसिर पैर के बात के साथ करता है.
लेकिन हमरे बात में भी दम था. कुछ समय बाद अनुराग शर्मा जी भी अमेरिका से
आए तो मिलने आए और किताब का नाम भी सुझाए – तीन सौ पैंसठ!
अब कास्मीर से 370 खतम हो गया है, त हमरा 365 भी आजाद होइये जाएगा. देखिये न 365 केतना छोटा संख्या है उस संख्या के आगे जहाँ तक हमारा ब्लॉग-बुलेटिन पहुँच गया है – अढ़ाई हज़ार यानि पच्चीस सौ!
अब कास्मीर से 370 खतम हो गया है, त हमरा 365 भी आजाद होइये जाएगा. देखिये न 365 केतना छोटा संख्या है उस संख्या के आगे जहाँ तक हमारा ब्लॉग-बुलेटिन पहुँच गया है – अढ़ाई हज़ार यानि पच्चीस सौ!
जय हो!!!
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शिव मंदिर, जटोली का
डॉ॰ विक्रम साराभाई की १०० वीं जयंती
मिलन
प्रेम और प्रकृति
कश्मीर में फिर महकेगी अमन की फिजा। जगदीश बाली
आज स्यापा या खामोशी?
रोज़ प्रातः बोलते हैं विश्व का कल्याण हो ...
युद्ध तुम्हारा शेष रहेगा समतल जब तक राह न होगी....
बैलेंस्ड-डाइट
पाकिस्तान का स्वतंत्रता दिवस 15 से 14 अगस्त क्यों हुआ?
सुषमा स्वराज ----- देश की आम स्त्रियों के लिए प्रेरणादायी व्यक्तित्व
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16 टिप्पणियाँ:
पहिला टिप्पणी जइसन पहिला आशीर्वाद हमार, बुक क ई के रख ले लेला के जरूरत बा उ किताब के खातिर
बाकी त हर बार बेजोड़ नु पोस्ट पब्लिश होला
ई भी ऐतिहासिक झटका में गिना जाएगा। प्रेम के स्वतंत्रता दिवस पर इंडिया गेट से जब आपका 365 निकलेगा ना तो हम भी चाहेंगे कि आपके साथ एगो ऐतिहासिक सेल्फ़ी ले ही लें। बाकी तो अप्रकाशित लेखकों में आप इंद्रधनुषी आभा छोड़ ही रहे हैं।
लघु कविताओं की गर्माहट लेने को हम भी इंडिया गेट पर रहेंगे सलिल भाई
जय हो।
निकालिए तो शायद हम रिकार्ड करें फिर 😂
बधाई पूरी ब्लॉग बुलेटिन टीम को , शिवम को विशेष स्नेह निरंतरता बनाये रखने के लिए
इंतजार रहेगा १४ फरवरी का! बुलेटिन की ढाई हजारवीं पोस्ट पर हार्दिक बधाई!!
आपकी ब्लॉग पोस्ट खास होती है, वैसे ही आपकी लघु कविताएँ भी..
किताब की अग्रिम बुकिंग मान ली जाये !
ब्लॉग बुलेटिन की निरंतरता में आप लोगों का बहुत योगदान है. बना रहे!
बहुत इंतज़ार है ... ३६५ का आनंद लेना है ...
आज की लाजवाब चर्चा ... बहुत आभार हमें भी शामिल करने का आज के ख़ास बुलेटिन में ...
मैं तो इंडिया गेट के पास ही हूं
सभी पाठकों और पूरी बुलेटिन टीम को 2500 वीं पोस्ट की हार्दिक बधाइयाँ |
ऐसे ही स्नेह बनाए रखिए | सलिल दादा को प्रणाम।
ब्लॉग बुलेटिन का सफ़र चलता रहे!
३६५ जल्दी छपे! इंतज़ार रहेगा पुस्तक का!
शुभकामनाएँ!
सादर!
हो जाये इस बार! अग्रिम बधाई!
सभी सुधि पाठकगण का आभार... फिलहाल तो 365 की कोई संभावना नहीं दिख रही है... यदि हुई तो अवश्य सूचित करूँगा!
धन्यवाद!!
2500वीं पोस्ट की बधाइयाँ... इस खुशी में मुझे शामिल करने के लिए धन्यवाद आपका
सलिल जी , मैं भी आपकी छोटी कविताओं की साक्षी हूँ । अब तो 365 दिन 365 का इंतज़ार है । ब्लॉग बुलेटिन यूँ ही नए आयाम तय करे । शुभकामनाएँ
हमको मालूम है कि पहली ऑटोग्राफ वाली कॉपी हमको नहीं मिलने वाली, फिर भी एक कॉपी तो मेरी अभी से बुक कर लीजिए, काहे कि कोई और तो हमको वैलेंटाइन डे पर इसको गिफ्ट करेगा नहीं, सो खुद ही खरीद के खुद को गिफ्ट कर लेंगे...��
बस अब छपवा ही डालिए चाचू !!!
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बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!